राजस्थान
कचरा उठाने का काम भी विधानसभा अध्यक्ष देवनानी करेंगे तो फिर अजमेर नगर निगम में भाजपा बोर्ड होने का क्या फायदा है?
S.P.MITTAL BLOGGER
बार बार पाइप लाइन टूटने से पानी की भी भीषण किल्लत। चार दिन में एक बार सप्लाई
28 सितंबर 2025 को चौथा दिन रहा जब अजमेर शहर में घर घर से कचरे का संग्रहण नहीं हुआ। लगातार चार दिनों से कचरा नहीं उठने से शहर के हालात बेहद खराब है। जगह जगह कचरे के ढेर के कारण दुर्गंध आ रही है। ऐसे हालात तब है जब अजमेर को स्मार्ट सिटी की उपाधि मिली हुई हे।
असल में कचरा संग्रहण के ठेकेदार और अजमेर नगर निगम प्रशासन के बीच विवाद हो गया है। इसे ठेकेदार की हिम्मत ही कहा जाएगा कि उसने अजमेर जैसे शहर का कचरा उठाने से इंकार कर दिया है। क्या बगैर राजनीतिक संरक्षण के एक ठेकेदार इतनी हिम्मत कर सकता है? वह भी तब जब निगम से लेकर केंद्र सरकार तक भाजपा की हो।
- स्वाभाविक है कि ठेकेदार को किसी प्रभावशाली भाजपा नेता का संरक्षण है, इसलिए उसने कचरा न उठाने की हिम्मत दिखाई है। हालात को बिगड़ता देख अजमेर शहर के भाजपा विधायक और विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने दखल दिया है। देवनानी ने ठेकेदार को बुलाकर फटकार लगाई है और साथ ही निगम के आयुक्त को भी आवश्यक दिशा निर्देश दिए है।
यह बात अलग है कि देवनानी के दखल के बाद भी 28 सितंबर को कचरा संग्रहण का काम शुरू नहीं हो सका। कहा जा रहा है कि अब 29 सितंबर को आयुक्त से वार्ता के बाद ही ठेकेदार कोई निर्णय लेगा। सवाल उठता है कि यदि कचरा उठाने का कार्य भी विधानसभा अध्यक्ष देवनानी करेंगे तो फिर अजमेर नगर निगम में भाजपा बोर्ड होने का क्या फायदा है? मौजूदा समय में निगम में भाजपा का बोर्ड है और श्रीमती ब्रज लता हाड़ा महापौर के पद पर आसीन है। क्या महापौर का निगम प्रशासन पर कोई प्रभाव नहीं है जो ठेकेदार को विधानसभा अध्यक्ष के पास जाना पड़ता है।
- ठेकेदार के हड़ताल पर चले जाने के बाद शहर को बचाने की पहली जिम्मेदारी महापौर की है। ठेकेदार का आरोप है कि निगम प्रशासन बेवजह की कटौती करता है, जिसकी वजह से आर्थिक नुकसान हो रहा है। वहीं निगम प्रशासन का कहना है कि कचरा न उठने की शिकायत पर ही जुर्माना लगाया जाता है। यह सही है कि मौजूदा ठेकेदार का कार्य बेहद खराब है।
सप्ताह में दो दिन तो कचरा संग्रहण नहीं होता। कभी वाहन में खराबी तो कभी ड्राइवर के न आने का बहाना बनाकर कचरा संग्रहित नहीं किया जाता। गत 25 सितंबर से कचरे का संग्रहण न होने से शहर के बिगड़े हालातों का अंदाजा लगाया जा सकता है। यहां यह उल्लेखनीय है कि अजमेर में सफाई का कार्य तीन प्रकार से होता है। एक घर घर कचरा संग्रहण, दो गली मोहल्लों में सफाई कर्मियों द्वारा झाड़ू आदि लगाना तथा तीन सड़क के डिवाइडर के नीचे जमा मिट्टी को हटाना।
यह तीनों ही कार्य ठेके पर दिए गए है। निगम के भी स्थाई कर्मचारी सफाई का काम करते हैं, फिर भी प्रतिमाह एक हजार से ज्यादा ठेका सफाई कर्मियों को भुगतान किया जाता है। आरोप है कि सफाई ठेके में बड़ा भ्रष्टाचार है। चूंकि इस भ्रष्टाचार में सभी मालामाल हो रहे हैं, इसलिए दोनों राजनीतिक दलों के पार्षद भी चुप रहते हैं।
पानी की किल्लत :
अजमेर में एक और कचरा संग्रहण नहीं हो रहा तो दूसरी ओर लोगों को पानी की किल्लत का भी सामना करना पड़ रहा है। चूंकि अजमेर में पेयजल 135 किलोमीटर दूर बीसलपुर बांध से आता है, इसलिए पेयजल की किल्लत होती है। चूंकि बांध से अजमेर शहर तक पुरानी और कमजोर पाइप लाइन है,इसलिए बार बार टूट जाती है। 27 सितंबर को ही माखुपुरा के निकट सीमेंट के पाइप वाली लाइन टूट गई। इससे पहले भी केकड़ी, सरवाड़, नसीराबाद आदि में लाइन टूटती रहती है।
पुरानी लाइन होने के कारण पहले ही मांग के अनुरूप पानी की सप्लाई नहीं होती और जब पाइप लाइन टूट जाती है तो फिर दो दिन का अंतराल चार दिन का हो जाता है। तीन चार दिन में एक बार पेयजल की सप्लाई होने से अजमेर के लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जब त्योंहारी सीज में पानी की ज्यादा मांग है तब चार दिन में एक बार सप्लाई होने से परेशानी का अंदाजा लगाया जा सकता है।
- पेयजल का समय निर्धारित नहीं होने की वजह से भी लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। कभी सुबह पांच बजे तो कभी रात को 10 बजे सप्लाई दी जाती है। जलदाय विभाग में आम लोगों की सुनने वाला कोई नहीं है। अजमेर के लोगों को पानी की किल्लत का तब सामना करना पड रहा है, जब प्रमुख स्त्रोत बीसलपुर बांध लबालब भरा हुआ है।
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