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कुलधरा ऐतिहासिक धरोहर-पालीवाल के आत्मसम्मान का प्रतीक

Sunil Paliwal-Sanjay Paliwal... ✍️
कुलधरा ऐतिहासिक धरोहर-पालीवाल के आत्मसम्मान का प्रतीक
कुलधरा ऐतिहासिक धरोहर-पालीवाल के आत्मसम्मान का प्रतीक

● पालीवाल ब्राह्मणों की कुलधरा शाखा ने सन 1291 में तकरीबन 600 घरों वाले इस गांव को बसाया ●

राजस्थान के जैसलमेर शहर से 18 किमी दूर स्थित कुलधरा गांव आज से 500 साल पहले 600 घरों और 85 गावों का पालीवाल ब्राह्मणों का साम्राज्य ऐसा राज्य था जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है। रेगिस्तान के बंजर धोरो में पानी नहीं मिलता वहां पालीवाल ब्राह्मणों ने ऐसा चमत्कार किया जो इंसानी दिमाग से बहुत परे है। पालीवाल समुदाय के इस इलाक़े में 84 गांव थे और यह उनमें से एक था। मेहनती और रईस पालीवाल ब्राह्मणों की कुलधरा शाखा ने सन 1291 में तकरीबन 600 घरों वाले इस गांव को बसाया था।

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● शीतलता का अनुभव-घर झरोखों के ज़रिए आपस में जुड़े थे

कुलधरा गांव संपूर्ण रूप से वैज्ञानिक तौर पर बना था। ईट पत्थर से बने इस गांव की बनावट ऐसी थी कि यहां कभी गर्मी का अहसास नहीं होता था। पालीवालें के जानकार कहते हैं कि इस कोण में घर बनाए गये थे कि हवाएं सीधे घर के भीतर होकर गुज़रती थीं। कुलधरा के ये घर रेगिस्‍तान में भी वातानुकूलन का अहसास देते थे। इस जगह गर्मियों में तापमान 45 डिग्री रहता हैं, पर आप यदि अब भी भरी गर्मी में इन वीरान पडे मकानो में जायेगे तो आपको शीतलता का अनुभव होगा। गांव के तमाम घर झरोखों के ज़रिए आपस में जुड़े थे इसलिए एक सिरे वाले घर से दूसरे सिरे तक अपनी बात आसानी से पहुंचाई जा सकती थी। घरों के भीतर पानी के कुंड, ताक और सीढ़ियां देखने लायक थी। जो वास्तव में कमाल के हैं। उन्होंने जमीन में उपलब्ध पानी का प्रयोग नहीं किया, ना ही बारिश के पानी को संग्रहित किया बल्कि रेगिस्तान के मिटटी में मौजूद पानी के कण को खोजा और अपना गांव जिप्सम की सतह के ऊपर बनाया, उन्होंने उस समय जिप्सम की जमीन खोजी ताकि बारिश का पानी जमीन सोखे नहीं।

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● पालीवाल ब्राह्मणों ने कर देने से कर दिया मना

और आवाज के लिए गांव ऐसा बसाया कि दूर से अगर दुश्मन आये तो उसकी आवाज उससे 4 गुना पहले गांव के भीतर आ जाती थी। हर घर के बीच में आवाज का ऐसा मेल था जैसे आज के समय में टेलीफोन होते हैं। जैसलमेर के दीवान ये बात हजम नहीं हुई की ब्राह्मण इतने आधुनिक तरीके से खेती करके अपना जीवन यापन कर रहे हैं, तो उन्होंने खेती पर कर लगा दिया पर पालीवाल ब्राह्मणों ने कर देने से मना कर दिया। उसके बाद दीवान सलीम सिंह को गांव के मुखिया की बेटी पसंद आ गई तो उसने कह दिया या तो बेटी दीवान को दे दो या सजा भुगतने के लिए तैयार रहो। जैसा शास्त्रों के इतिहास में उल्लेख है।

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● पालीवाल ब्राह्मण शाप दे गए-कुलधरा हमेशा वीरान रहेगा

ब्राह्मणों को अपने आत्मसम्मान से समझौता बिलकुल बर्दाश्त नहीं था। इसलिए रातोरात 84 गावों की एक महापंचायत बैठी और निर्णय हुआ की रातो-रात कुलधरा खाली करके वो चले जायेंगे। रातो-रात 84 गाँव के ब्राह्मण कहाँ गए कैसे गए और कब गए इस चीज का पता आज तक कोई पता नहीं लगा है। जो खोज का विषय है। इतिहासकार मनाते है कि पालीवालों में दैत्य शक्ति का वास होने से कुलधरा छोड़ते समय पालीवाल ब्राह्मण शाप दे गए की ये कुलधरा हमेशा वीरान रहेगा इस जमीन पर कोई फिर से कभी कोई भी परिवार आकर नहीं बस पाऐगा। जो वास्तव में एक सत्य घटना का प्रतिक बनकर आज भी पालीवालों के लिए एक धरोहर से कम नहीं है।

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● कुलधरा गांव की सीमा में आते ही मोबाइल नेटवर्क और रेडियो बंद

आज भी जैसलमेर में जो तापमान रहता है गर्मी हो या सर्दी, कुलधरा गांव में आते ही तापमान में 4 डिग्री की बढ़ोतरी हो जाती है। वैज्ञानिकों की टीम जब पहुंची तो उनकी मशीनो में आवाज और तरंगों की रिकॉर्डिंग हुई जिससे ये पता चलता है कि आज भी कुलधरा में कुछ शक्तियाँ मौजूद हैं। जो इस गांव में किसी को रहने नहीं देती। मशीनो में रिकॉर्ड तरंगे ये बताती हैं की वहां मौजूद शक्तियां कुछ संकेत देती हैं। जो एक सत्य घटना है। प्रमाण देखना होतो कुलधरा जाकर देख सकते है। आज भी कुलधरा गांव की सीमा में आते ही मोबाइल नेटवर्क और रेडियो काम करना अचानक बंद कर देते हैं पर जैसे ही गांवं की सीमा से बाहर आते है। मोबाइल और रेडियो शुरू हो जाते हैं। आज भी कुलधरा शाम होते ही खाली हो जाता है। और कोई इंसान वहां जाने की हिम्मत नहीं करता। जैसलमेर जब भी जाना हो तो कुलधरा जरुर जाए। वहां वर्षों पुरानी यादे एक बार फिर पालीवालों के दिलों दिमाग पर छा जाएगी।

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● नोट :- कुलधरा के बारे में कई इतिहासकारों ने अपनी लेखनी से कई लेख लिखे है, उसी लेख का एक हिस्सा आपकी यादें ताजा करने के लिए शेयर कर रहा हुं।
पालीवाल वाणी ब्यूरो- Sunil Paliwal-Sanjay Paliwal... ✍️
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