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नहीं बढ़ेगी आपके होम लोन, कार लोन की किस्त, आरबीआई ने नहीं बदला रेपो रेट
Paliwalwaniकेंद्रीय बैंक ने रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है और इसे चार फीसदी पर बरकरार रखा है। इसके साथ ही आरबीआई ने रिवर्स रेपो रेट को भी 3.35 फीसदी पर बरकरार रखा है। केंद्रीय बैंक की बजट के बाद यह पहली और इस वित्त वर्ष की आखिरी द्विमासिक मौद्रिक नीति है।
एमपीसी बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए आरबीआई के गर्वनर शक्तिकांत दास ने कहा कि हमने इकनॉमिक एक्टिविटी में व्यवधान को कम करने के लिए उपाय किए हैं। सीपीआई महंगाई ज्यादा रही लेकिन यह उम्मीद के मुताबिक रही। कोर महंगाई भी ज्यादा है और हेडलाइन महंगाई के वित्त वर्ष 2022 की चौथी तिमाही में चरम पर पहुंचने की आशंका है। वित्त वर्ष 2023 में महंगाई का टारगेट घटाकर 4.5 फीसदी रखा गया है। अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में महंगाई के 4.9%, दूसरी तिमाही में 5%, तीसरी तिमाही में 4% और चौथी तिमाही में 4.2% रहने का अनुमान है। वित्त वर्ष 2022-23 में रियल जीडीपी की ग्रोथ 7.8 फीसदी रहने का अनुमान है।
मई 2020 में हुआ था बदलाव
माना जा रहा था कि महंगाई को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच RBI की मौद्रिक नीति समिति (MPC) नीतिगत दरों (policy rates) को यथावत रख सकती है।केंद्रीय बैंक की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति की बैठक मंगलवार को शुरू हुई थी और आज आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shaktikanta Das) आज इसमें लिए गए फैसलों की जानकारी दी। यह बैठक सात से नौ फरवरी तक होनी थी। लेकिन महान गायिका लता मंगेशकर के निधन के कारण महाराष्ट्र सरकार ने सात फरवरी को सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की थी। इसके बाद आरबीआई ने बैठक एक दिन आगे खिसका दी।
एनालिस्ट्स और इंडस्ट्री के जानकारों का कहना था कि आरबीआई के नीतिगत दरों में बदलाव की संभावना नहीं है और अप्रैल में दरों को बढ़ाया जा सकता है। इससे पहले भी केंद्रीय बैंक ने लगातार नौ बार नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया। अभी रेपो रेट 4 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी है। केंद्रीय बैंक ने आखिरी बार 22 मई 2020 को ब्याज दरों में बदलाव किया था।
रिवर्स रेपो रेट में भी बदलाव नहीं
माना जा रहा था कि आरबीआई कोरोना महामारी से पहले बाजारों में बढ़ाई गई लिक्विडिटी को वापस लेने के क्रम में रिवर्स रेपो रेट (reverse repo rate) में बढ़ोतरी कर सकता है। रिवर्स रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई कॉमर्शियल बैंकों के सरप्लस मनी को अपने पास जमा कर लेता है। बदले में आरबीआई (RBI) इन बैंकों को ब्याज देता है। यही रिवर्स रेपो रेट कहलाता है। लेकिन आरबीआई में इसमें कोई बदलाव नहीं किया। फिलहाल यह रेट 3.35 प्रतिशत है।
Engineering Export Promotion Council (EEPC) of India के चेयरमैन महेश देसाई ने कहा कि बजट में फिस्कल कंसोलिडेशन के बजाय ग्रोथ पर जोर दिया गया है। इससे साफ है कि सरकार की प्राथमिकता क्या है। इसे सपोर्ट करने के लिए आरबीआई को ब्याज दरों को निचले स्तर पर बनाए रखना होगा और मॉनिटरी पॉलिसी में नीतिगत दरों को यथावत रखना होगा।