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EPFO : अगर इंप्‍लायर PF खाते में नहीं दे रहा योगदान तो जानिए आपको क्‍या करना चाहिए, आपके पास कौन से हैं अधिकार?

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EPFO : अगर इंप्‍लायर PF खाते में नहीं दे रहा योगदान तो जानिए आपको क्‍या करना चाहिए, आपके पास कौन से हैं अधिकार?
EPFO : अगर इंप्‍लायर PF खाते में नहीं दे रहा योगदान तो जानिए आपको क्‍या करना चाहिए, आपके पास कौन से हैं अधिकार?

अगर आप कर्मचारी भविष्‍य निधि संगठन के सदस्‍य हैं और आपके खाते में आपकी सैलरी से हर महीने एक निश्चित राशि की कटौती होती है, लेकिन इंप्‍लायर अगर आपके पीएफ खाते में योगदान योगदान नहीं दे रहा है तो ऐसे में आपको क्‍या करना चाह‍िए और ऐसे आपके पास कौन से अधिकार होते हैं? आइए जानते हैं पूरी डिटेल।

एक सदस्य अपने मूल वेतन का 12 प्रतिशत अपने ईपीएफ में योगदान करता है और उतनी ही राशि इंप्‍लायर द्वारा जमा की जाती है। इंप्‍लायर की ओर से पीएफ खाते में योगदान पहले ही जमा कर दिया जाता है। का वार्षिक विवरण इंप्‍लायर की ओर से जमा की गई राशि के बारे में जानकारी देता है। इसे देखकर आप जानकारी कर सकते हैं कि आपके खाते में रकम जमा की गई है कि नहीं।

अगर सदस्य ने अपना UNA जनरेट कर लिया है, तो ई-पासबुक के माध्यम से हर महीने योगदान के भुगतान या गैर-भुगतान को वेरिफाई किया जा सकता है। ईपीएफओ खाताधारकों को उनके रजिस्‍टर्ड मोबाइल नंबर पर उनके पीएफ खातों में मासिक योगदान के क्रेडिट पर संदेश भी भेजता है।

ऐसे में इंप्‍लायर अपने दायित्वों को पूरा करने में विफल रहता है, तो खाताधारक के पास एक उपाय है जिसका वह लाभ उठा सकता है। ईपीएफओ इंप्‍लायर से बकाया वसूलने के लिए अधिनियम के दंड प्रावधानों को लागू कर सकता है। ऐसे इंप्‍लायर्स के खिलाफ कार्रवाई के लिए ईपीएफओ द्वारा IPC की धारा 406/409 के तहत पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई जा सकती है।

वहीं अगर इंप्‍लायर आपके खाते में योगदान के लिए अपनी बकाया राशि का भुगतान करना बंद कर देता है, तो वह ईपीएफ और एमपी अधिनियम, 1952 की धारा 14 के तहत मुकदमा चलाने के लिए उत्तरदायी है। नियोक्ता के खाते, संपत्ति को संलग्न किया जा सकता है। उसे गिरफ्तार या हिरासत में भी लिया जा सकता है।

आपके ईपीएफ खातों में इंप्‍लायर के योगदान पर 5 तथ्य

  • एक इंप्‍लायर कर्मचारियों के वेतन से अंशदान के अपने हिस्से की कटौती नहीं कर सकता है। इसकी अनुमति नहीं है और ऐसा कोई भी कार्य एक आपराधिक कैटेगरी में आता है।
  • ईपीएफ के भुगतान के कारण इंपलायर की ओर मजदूरी को कम नहीं किया जा सकता है। यह ईपीएफ और एमपी अधिनियम, 1952 की धारा 12 के तहत वर्जित है।
  • एक कर्मचारी इंपलायर्स पीएफ बकाया की देरी से जमा राशि पर पूर्ण ब्याज का हकदार है। बकाया राशि की वसूली के बाद, इंप्‍लायर को प्रत्येक देय महीने के लिए पूर्ण ब्याज का भुगतान करना होगा और यह किसी भी तरह से सदस्य द्वारा किए गए योगदान पर ब्याज को प्रभावित नहीं करेगा।
  • इंप्‍लायर योगदान का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं है, जब वह सेवा में नहीं है या संगठन छोड़ दिया है।
  • कर्मचारी को देय भविष्य निधि राशि का भुगतान इंप्‍लायर जारी की गई राशि की सीमा तक ही किया जाएगा।
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