मन्दसौर
7 साल की मासूम का दुष्कर्म करने वाले दरिंदों की फांसी की सजा पर हाई कोर्ट की मुहर, जख्म ऐसे की आंतें तक बाहर निकाल दी थी देख कांप गए थे डाक्टर
Paliwalwani
7 साल की मासूम का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म करने वाले दो दरिंदों की फांसी की सजा पर मप्र हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने भी मुहर लगा दी है। गुरुवार को जस्टिस विवेक रूसिया और जस्टिस शैलेंद्र शुक्ला ने अपने 85 पेज के फैसले में आरोपियों की अपील को खरिज करते हुए कहा कि सत्र न्यायालय ने दुष्कर्मियों को फांसी की सजा देकर सही किया है। आरोपियों ने मासूम बच्ची के साथ जो वहशीपन दिखाया है उसके बाद उन्हें किसी तरह की राहत नहीं दी जा सकती। दोनों जजों ने कहा कि जिस पेन से ऐसे फैसले पर हस्ताक्षर करना पड़े उसे तोड़ना बेहतर है।
यह थी घटना
26 जून 2018 की शाम मंदसौर के एक निजी स्कूल में पढ़ने वाली सात साल की बच्ची अचानक गायब हो गई थी। परिजनों ने बच्ची को काफी तलाश लेकिन जब वह नहीं मिली तो उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई। अगले दिन 27 जून 2018 को बच्ची लहूलुहान हालत में सड़क पर मिली थी। बच्ची की हालत काफी गंभीर थी उसके गुप्तांग पर गहरी चोंट थी। सीसीटीवी कैमरे खंगाले जिसके बाद पुलिस ने दो आराेपियाें इरफान उर्फ भय्यू पिता जहीर मेवाती निवासी चंदन की गली मंदसौर और आसिफ पिता जुल्फीकार मेवाती निवासी हरिजन बस्ती मंदसौर को गिरफ्तार किया। पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने बच्ची के साथ दुष्कर्म करना और उस पर हमला करना कबूल किया। आरोपियों ने पुलिस को बताया था कि इरफान बच्ची को स्कूल के बाहर से अपहरण कर नेहरू बस स्टैंड के पीछे लक्ष्मण दरवाजे से लगे खाली मैदान पर ले गया। वहां उसने आसिफ को भी बुला लिया। दोनों ने मिलकर बच्ची के साथ दुष्कर्म किया था। उसके बाद मासूम पर चाकू से बच्ची के गुप्तांग पर हमला भी किया था। बाद में बच्ची को बेहोशी की हालत में वहीं छोड़कर आरोपी भाग गए थे।
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55 दिन में ही सुना दी थी फांसी की सजा
वारदात के 55 दिन बाद 21 अगस्त 2018 को विशेष न्यायाधीश मंदसौर निशा गुप्ता ने दोनों आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी। तब से ही दोनों आरोपी उज्जैन की सेंट्रल जेल में बंद हैं। दोनों आरोपियों की फांसी की पुष्टि के लिए शासन ने हाई कोर्ट में गुहार लगाई थी। वहीं फंसी की सजा को चुनौती देन के लिए दोनों आरोपितों ने भी अपील दायर की।
दुष्कर्म और आरोपियों द्वारा किए गए हमले से बच्ची गंभीर रूप से घायल हो गई थी और उसकी स्थिति काफी नाजुक थी। उसे मंदसौर के जिला चिकित्सालय में प्रारंभिक उपचार के बाद उसी दिन 27 जून 2018 को इंदौर के एमवाय अस्पताल रैफर कर दिया गया था। बच्ची की हालत देख एमवाय अस्पताल के डॉक्टर भी कांप गए थे। बच्ची का रेक्टम बुरी तरह फट गया था और आंतें बाहर आ गई थीं। बच्ची इलाज के लिए लंबे समय इंदौर के एमवायएच में भर्ती थी। स्वस्थ होने के बाद शासन ने बच्ची की शिक्षा की व्यवस्था करते हुए उसका स्कूल में प्रवेश करवाया था।