मन्दसौर
राष्ट्रीय परशुराम सेवा मंदसौर का आज ब्राह्मण समाज समागम, उमड़ी भारी भीड़
Paliwalwani- मंदसौर :
मंदसौर ब्रह्म समागम हेतु इंदौर से लगभग 500 जनों का जत्था अलग-अलग अपने निजी वाहनों से मंदसौर के लिए कुच किया. इंदौर से सीपी जोशी, अनिल बागोरा, मुकेश उपाध्याय सहित ब्राह्मण जन रवाना हुए.
मंदसौर ब्रह्म समागम हेतु उज्जैन से ब्राह्मण जन रवाना हुए. अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित सुरेंद्र चतुर्वेदी के नेतृत्व में उज्जैन से ब्राह्मण जन आज 10 सितंबर 023 को कृषि उपज मंडी प्रांगण मंदसौर में राष्ट्रीय परशुराम सेवा मध्य प्रदेश इकाई द्वारा आयोजित विशाल ब्राह्मण समागम में शामिल होने के लिए अखिल भारतीय ब्राह्मण समाज नगर अध्यक्ष पंडित विनय कुमार ओझा, पूर्व जिला अध्यक्ष ईश्वर अग्निहोत्री, कर्मचारी नेता अनोखी लाल शर्मा, राजेश पुजारी चिंतामन गणेश, घनश्याम शर्मा महिदपुर रोड, डॉ मोहन शर्मा, जगदीश शर्मा, नारायण धाम, राजेश शर्मा गुनाई, आनंदीलाल शर्मा, तीर्थ ईकाई के प्रांत मंत्री महेश शर्मा, चंद्रशेखर शर्मा, मनीष अग्निहोत्री, सोनू ज्योतिष शर्मा, कमल तिवारी, प्रदेश मंत्री रमाकांत शर्मा, शैलेश दुबे, गोपाल त्रिवेदी आदि पदाधिकारी मंदसौर के आयोजन में भागीदारी निभा रहे हैं.
पालीवाल समाज मंदसौर के समाजसेवी श्री किशन व्यास ने भी ब्राह्मण समाज के विभिन्न संगठनों को शामिल होने की अपील की साथ ही पालीवाल वाणी को बताया कि आप सभी से अनुरोध कि आप सभी पधारें एवं ज्यादा से ज्यादा ब्राह्मण इस महा कुम्ां में सम्मलित हो ऐसा प्रचार वाट्सअप फेस बुक आदि पर करें 1लाख से ऊपर ब्राम्हणों के ठहरने एवं भोजन चाय आदि की उत्तम व्यवस्था है.
भारतवर्ष की विद्याओं, शास्त्रों तथा अन्य कलाओं की रक्षा के लिये स्वयं भगवान् श्रीमहाविष्णु ने अठासी हजार गृहस्थ ऋषियों को हिमालय में प्रतिष्ठापित कर रखा है; जो दिव्यरूप से आज भी सक्रिय हैं। यह विद्वत्प्रसूता महाशक्ति भूदेवी धर्मरक्षार्थ किसी न किसी रूप में एक से एक दिव्यात्माओं को प्रकट करती रहती हैं। आवश्यकता पड़ने पर इन्हीं अठासी हजार ऋषियों में से किन्हीं को भूभ्रमण में भेजकर सनातन को बचा लेती हैं। ऐसा श्रीविष्णुमहापुराण में निर्दिष्ट है- “सर्वविद्याकलाराशिरक्षणैकप्रयोजनाः। विष्णुना हिमवत्पृष्ठे स्थापिता गृहमेधिनः॥“ इसका उल्लेख श्रीगणेशसहस्रनाम “अष्टाशीतिसहस्राद्यमहर्षिस्तोत्रयन्त्रितः“ की ’खद्योत’ टीका में श्रीभास्कररायजी ने भी किया है। इससे देववाणी के अमरत्व का निश्चय मिलता है। सावधान- किसी भी प्रकार के धर्मविप्लव को नियन्त्रित करने के लिये ये गृहमेधी ऋषि चौकन्ने रहते हैं। ऋषियों की उपासना करो, धर्म बचाओ...