महाराष्ट्र
MLC रिजल्ट से MVA को नई ताकत : उद्धव ठाकरे ने दी शिंदे को टेंशन
paliwalwaniमुंबई. महाराष्ट्र से लोकसभा चुनाव के हौंसला बढ़ाने वाले नतीजे के बाद अब विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) गठबंधन को एक और गुड न्यूज मिली है. यहां उद्धव ठाकरे की शिवसेना यूबीटी विधान परिषद चुनाव में एकनाथ शिंदे की शिवसेवा पर भारी पड़ी है.
उद्धव ठाकरे की पार्टी ने विधान परिषद की चार में से दो सीटें जीत ली हैं. वहीं सत्ताधारी महायुति गठबंधन को महज 2 सीटों से संतोष करना पड़ा है. इसमें बीजेपी को एक सीट, जबकि एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना को एक सीट से संतोष करना पड़ा है.
महाराष्ट्र विधान परिषद के लिए हर दो साल पर होने वाले चुनाव के लिए 26 जून को वोट डाले गए थे, जिसके नतीजे सोमवार को घोषित हुए. इसमें शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने मुंबई ग्रैजुएट और मुंबई टीचर सीट पर जीत हासिल की, जबकि भाारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) कोंकण ग्रैजुएट सीट पर विजयी रही. वहीं शिंदे वाली शिवसेना के किशोर दराडे ने नासिक टीचर सीट पर जीत हासिल की.
विधान परिषद चुनाव में फिर भारी पड़े उद्धव
यहां शिवसेना (यूबीटी) नेता अनिल परब ने सोमवार को बीजेपी के किरण शेलार को हराकर मुंबई ग्रैजुएट निर्वाचन क्षेत्र से महाराष्ट्र विधान परिषद का चुनाव जीता. परब को 44,784 वोट मिले, जबकि शेलार को 18,772 वोट मिले. यहां कुल डाले गए वोट में से 64,222 वोट वैध पाए गए और जीत का कोटा 32,112 वोट था. प्रथम वरीयता के मतदान में परब को 44,784 वोट मिले और उन्हें विजयी घोषित कर दिया गया. इसके अलावा शिवसेना (यूबीटी) के उम्मीदवार जेएम अभ्यंकर ने मुंबई टीचर सीट से जीत हासिल की. उन्हें 11,598 वैध मतों में से 4,083 मत मिले.
कोंकण में बीजेपी ने कांग्रेस को दी मात
वहीं कोंकण ग्रैजुएट सीट में बीजेपी के निरंजन दावखरे ने कांग्रेस के रमेश कीर को हराया. दावखरे को 1,00,719 वोट मिले, जबकि कीर को 28,585 मत मिले. इसके अलावा शिवसेना के किशोर दराडे ने नासिक टीचर सीट पर जीत हासिल की. दराडे ने अपने करीबी प्रतिद्वंद्वी विवेक कोल्हे (निर्दलीय) को हराकर अपनी सीट बरकरार रखी और 63,151 वैध मतों में से जीत के लिए पर्याप्त मत हासिल किए.
लोकसभा चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद विधान परिषद चुनाव के ये नतीजे भी बीजेपी-शिवसेना और एनसीपी की महायुति गठबंधन के लिए चिंता बढ़ाने वाले हैं. वहीं विपक्षी एमवीए गठबंधन के लिए उद्धव ठाकरे को मिला यह जनसमर्थन एक संजीवनी की तरह देखा जा रहा है.