मध्य प्रदेश
दमोह में युवक से पैर धोकर पानी पिलाने की घटना : हाईकोर्ट ने कहा ऐसी घटनाएं हिंदू समाज के लिए नुकसानदेह
paliwalwani
दमोह.
दमोह में युवक से पैर धोकर पानी पिलाने की घटना में आरोपियों के खिलाफ NSA की कार्रवाई होगी। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने पूरे मामले पर संज्ञान लेकर सख्त रुख अपनाया। हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी में कहा कि देश में जातिगत विद्वेष के मामले बढ़ रहे हैं।
ऐसी घटनाएं हिंदू समाज के लिए नुकसानदेह
जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस प्रदीप मित्तल की डिवीजन बेंच ने कहा कि प्रत्येक जाति अपनी जातिगत पहचान के प्रति मुखर और अति सचेत हो गई है और किसी विशेष जाति से संबंधित होने के अपने गौरव को प्रदर्शित करने में कोई कसर नहीं छोड़ती। इससे जातिगत हिंसा की कई घटनाएं बढ़ रही हैं। भारत के मुख्य न्यायाधीश पर जूता फेंके जाने की घटना, हरियाणा में एक वरिष्ठ अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक द्वारा की गई आत्महत्या, इस देश में जाति से जुड़े ऐसे मुद्दों के उदाहरण हैं। कोर्ट ने कहा कि प्रत्येक समुदाय, बार-बार और बेशर्मी से अपनी जातिगत पहचान का दिखावा करता है। यह पूरे हिंदू समाज के लिए नुकसानदेह हो रहा है।
MP हाईकोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान
हाईकोर्ट ने दमोह जिले में हाल ही में ओबीसी समुदाय के व्यक्ति को सामान्य समुदाय द्वारा पैर धोकर पीने पर विवश करने की घटना पर स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई की। कोर्ट ने दमोह एसपी को निर्देश दिए कि आरोपियों के खिलाफ बीएनएस की धारा 351 और 133 के तहत प्रकरण दर्ज किया जाए। वायरल वीडियो में पहचान में आ रहे सभी लोगों के खिलाफ तत्काल NSA की कारवाई की जाए, जिन्होंने पीड़ित को ऐसा कृत्य करने पर विवश किया। अगली सुनवाई 15 अक्टूबर तय की गई।
पीड़ित पर मीम बनाने का आरोप, फिर दी सजा
सुनवाई के दौरान दमोह पुलिस अधीक्षक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हाजिर हुए। कोर्ट ने कहा कि कथित तौर पर अन्नू पांडे नामक व्यक्ति पर आरोप है कि उसने गांव में शराब बेची, जहां पंचायत ने शराबबंदी लागू की थी। अखबारों और मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक पंचायत ने अन्नू पांडे पर जुर्माना लगाया। पीड़ित पर आरोप है कि उसने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करके अन्नू पांडे के गले में जूतों की माला पहने हुए एक मीम बनाया था। सामान्य समुदाय के लोगों द्वारा आपत्ति जताए जाने पर पीड़ित ने मीम हटा दिया।
इस पर पंचायत कर निर्णय लिया गया कि पीड़ित को प्रायश्चित करना होगा। उसे गांव के मंदिर में बुलाया गया और भीड़ ने उसे अन्नू पांडे के पैर धोने और उस पानी को पीने के लिए मजबूर किया। बाद में वायरल एक अन्य वीडियो में यह भी दिखाया गया कि पीड़ित कहता है कि कुछ लोग राई का पहाड़ बनाने की कोशिश कर रहे हैं। जिस व्यक्ति के उसने पैर धोए, वह लंबे समय से उसका गुरू है।
पीड़ित के पास कोई विकल्प नहीं था
हाईकोर्ट ने कहा कि वीडियो के उस हिस्से में प्रथम दृष्टया पीड़ित की आँखों की गतिविधियों से स्पष्ट रूप से पता चलता है कि वह अपने सामने रखी किसी चीज को पढ़ रहा था। कोर्ट ने कहा कि आरोपियों के खिलाफ धारा 296 लगाई गई, जिसके लिए अधिकतम सजा तीन साल है। पूरी घटना मंदिर परिसर में हुई थी, इसलिए धारा 196(2) भी लागू होगी। कोर्ट ने कहा कि मंदिर के भीतर पीड़ित कई लोगों से घिरा हुआ था और उसके पास भीड़ का कहना मानने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। इसलिए, पुलिस को प्राथमिकी में भारतीय दंड संहिता की धारा 351 और धारा 133 जोड़ने का निर्देश दिया जाता है।
हिंदुओं का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा
हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि मध्य प्रदेश राज्य में जाति-संबंधी हिंसा की बार-बार होने वाली घटनाएं चौंकाने वाली हैं। यह वही राज्य है, जहां सामान्य वर्ग के एक व्यक्ति ने एक आदिवासी व्यक्ति के सिर पर पेशाब कर दिया था और जिसे शांत करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री ने पीड़ित के पैर धोए थे। लोग खुद को ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र कहते हैं। डेढ़ सदी के भीतर इन चीजों पर लगाम नहीं लगाई जा सकी। ऐसे में जो लोग खुद को हिंदू कहते हैं, उनका अस्तित्व आपस में लड़कर खतरे में पड़ जाएगा।
कोर्ट ने कहा कि पीड़ित समुदाय के लोगों में आक्रोश के कारण, यदि तत्काल कार्रवाई नहीं की गई, तो हालात हिंसा की ओर जा सकते हैं, जहां पुलिस की कार्रवाई अप्रभावी हो जाएगी और सार्वजनिक व्यवस्था भंग हो सकती है। दमोह पुलिस और प्रशासन को निर्देश दिया जाता है कि वे उन सभी व्यक्तियों के खिलाफ तुरंत राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (FIR के अलावा) के तहत कार्रवाई करें, जिनकी पहचान सुनिश्चित की जा सकती है।





