मध्य प्रदेश
अंबर जिनका ओढना और धरती बिछोना उनकी हो रही दुर्गति
paliwalwani.com
● पालीवाल वाणी मीडिया नेटवर्क-जगदीश राठौर...✍️
जावरा. कोरोना संक्रमण के दौरान सबसे ज्यादा फजीहत भिखारियों एवं साटियों की हो रही है जो फिलहाल अंबर को अपना ओढना और धरती को अपना बिछोना मानकर त्रासदी की जिंदगी जी रहे हैं. जी हां रतलाम जिले के जावरा में शहर थाने से करीब 500 गज की दूरी और रेलवे फाटक के समीप खुले आसमान के नीचे जीवन बसर कर रहे हैं. जब मीडिया कर्मियों की टीम गुरुवार की रात्रि मैं इनके पास पहुंची तो कुछ महिलाएं और पुरुष बोले क्या करें...साहब भीख मांग कर पेट भरते हैं लेकिन ना भीख मिल रही है और न रोटी यदि पेट की आग बुझाने के लिए कहीं निकल गए तो पुलिस के डंडे पिटाई के लिए तैयार रहते हैं, जैसे तैसे हम लोग चुपचाप पास की कॉलोनियों में जाकर अपना छोटे-छोटे बच्चों का रोटी का जुगाड़ करते हैं. क्या करें साहब हमें और हमारे बच्चों को कई दिनों से चाय तक नसीब नहीं हुई. इन लोगों की बेबसी शायद समाजसेवी संस्थाओं और उनके कर्ताधर्ताओं को दिखाई नहीं दे रही है यदि यह संस्थाएं इन लोगों की सुध ले तो मानव सेवा का एक बहुत अच्छा प्रकल्प पूरा हो सकता है, लेकिन फिलहाल तो ऐसा कहीं से कहीं तक दिखाई नहीं दे रहा हैं.