भोपाल। प्रदेश के करीब 48 हजार दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के बराबर नियमित वेतनमान देने में देरी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लगाये गये अवमानना मामले में आज मध्यप्रदेश सरकार 11 जुलाई को अपना जवाब पेश करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को जवाब पेश करने के लिए 11 जुलाई को अंतिम अवसर दिया है। पालीवाल वाणी को सूत्र बताते है कि सुप्रीम अपने स्तर से आदेश जारी कर सकती है, जो सरकार के लिए दिक्कतें बढ़ने जैसा कदम होगा। सरकार पहले ही सातवां वेतन आयोग लागु करने में परेशानी महसूस कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका
मध्य प्रदेश कर्मचारी मंच के प्रदेशाध्यक्ष श्री अशोक पांडे एवं हरिश बोयत, प्रवीण तिवारी, रजनीश शर्मा ने पालीवाल वाणी संवाददाता को बताया कि दैनिक वेतन भोगियों को नियमित वेतनमान देने में लेटलतीफी को लेकर उनके संगठन ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका लगाई है। जिस पर आज 11 जुलाई को अंतिम सुनवाई है। सुप्रीम कोर्ट में आज 11 जुलाई को सरकार को स्पष्ट करना है कि वह दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को कितना और कब से नियमित वेतनमान देगी
वार्षिक 58 करोड़ का अतिरिक्त भार
सुप्रीम कोर्ट में जवाब देने के लिए हाल ही में मुख्य सचिव अंटोनी डिसा ने सभी विभागों के प्रमुख सचिवों की बैठक ली है। मंत्रालय सूत्रों की मानें तो प्रदेश सरकार ने कैबिनेट में फैसले के लिए प्रस्ताव भी तैयार कर लिया है। इस फैसले से सरकार पर वार्षिक 58 करोड़ का अतिरिक्त भार आएगा
21 जनवरी 2015 को नियमित करने का फैसला
उल्लेखनिय है कि सुप्रीम कोर्ट ने दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की याचिका पर 21 जनवरी 2015 को नियमित करने का फैसला सुनाया था। जब सरकार ने 8 माह तक कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया। तो प्रदेश कर्मचारी मंच सहित अन्य संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर कर दी । जिसमें मुख्य सचिव से लेकर 7 विभागों के प्रमुख सचिवों को पक्षकार बनाया गया था।
अफसरों को कोर्ट में उपस्थित होना पड़ा
18 मार्च को पहली सुनवाई में सभी अफसरों को कोर्ट में उपस्थित होना पड़ा था। अफसरों ने आदेश का पालन करने के लिए कुछ समय मांगा। इस पर कोर्ट ने 25 अप्रैल को हलफनामा पेश करने को कहा था। इसके बाद 13 मई का समय दिया और अब आज 11 जुलाई को सुनवाई होना है।
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा अब अंतिम सुनवाई
इस बार सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि आज यह अंतिम सुनवाई होगी। जिसमें सरकार को हलफनामा देकर साफ करना है वह दैनिक वेतन भोगियों के मामले में क्या फैसला लेनी वाली है।
दैनिक वेतन भोगियों की दिपावली बनेगी
त्यौहार आने से पहले ही दैनिक वेतन भोगि कर्मचरियों को दिपावली के पर्व के पहले ही दैनिक वेतन भोगियों को सुप्रीम कोर्ट के आदेश से आशा जग गई है कि वर्षों से नियमित की अपनी मांग को लेकर धरना, प्रदर्शन, कई कर्मचारियों द्वारा आत्महत्या जैसे कदम उठाकर अपनी जीवन लीला खत्म कर ली। लेकिन अब जाकर उनकी मेहनत पर तमाम दैनिक वेतन भोगियों को दिपावली के पूर्व खुश खबरी मिलने वाली है।