इंदौर
आज आत्मा की शुद्धि का पर्व : पर्युषण
sunil paliwal-Anil paliwalइंदौर :
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पर्युषण पर्व का जैन समाज में सबसे अधिक महत्व है, इस पर्व को आत्मा की शुद्धि का पर्व पर्वाधिराज कहा जाता है. पर्युषण पर्व आध्यात्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से आत्मा की शुद्धि का पर्व माना जाता है. इसका मुख्य उद्देश्य आत्मा के विकारों को दूर करने का होता है.
जैन धर्म में अहिंसा एवं आत्मा की शुद्धि को सबसे महत्वपूर्ण स्थान दिया जाता है. प्रत्येक समय हमारे द्वारा किये गये अच्छे या बुरे कार्यों से कर्म बंध होता है, जिनका फल हमें अवश्य भोगना पड़ता है. शुभ कर्म जीवन व आत्मा को उच्च स्थान तक ले जाता है, वही अशुभ कर्मों से हमारी आत्मा मलिन होती जाती है.
पर्युषण पर्व के दौरान विभिन्न धार्मिक क्रियाओं से आत्मशुद्धि की जाती व मोक्षमार्ग को प्रशस्त करने का प्रयास किया जाता है, ताकि जनम-मरण के चक्र से मुक्ति पायी जा सकें. जब तक अशुभ कर्मों का बंधन नहीं छुटेगा, तब तक आत्मा के सच्चे स्वरूप को हम नहीं पा सकते हैं.
सभी के द्वारा मन-वचन-काय से अहिंसक धर्म का पूर्ण रूप से पालन करने का प्रयत्न करते हुए किसी भी प्रकार के अनावश्यक कार्य को करने से परहेज किया जाता है. शास्त्रों की विवेचना की जाती है, व जप के माध्यम से कर्मों को काटने का प्रयत्न करते है. व्रत व उपवास करके आत्मकेंद्रित व विषय-कसायों से दूर रहा जाता है.
पर्युषण पर्व आत्म-मंथन का पर्व है, जिसमें यह संकल्प लिया जाता है, कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जीवमात्र को कभी भी किसी प्रकार का कष्ट नहीं पहॅुचाएंगे व किसी से कोई बैर-भाव नहीं रखेंगे. संसार के समस्त प्राणियों से जाने-अनजाने में की गई गलतियों के लिए क्षमा याचना कर सभी के लिए मंगल कामना की जाती है और खुद को प्रकृति के निकट ले जाने का प्रयास किया जाता है.
पोरवाल पैलेस जंगमपुरा इंदौर पर रत्न वंशीय आचार्य श्री हस्ती-हीरा की सुशिष्या विदुषी महासती श्री सौभागवती जी महाराज आदि ठाणा 5 के सानिध्य में आज सोमवार 14 अगस्त 2023 से महापर्व पर्युषण का शुभारम्भ होगा. जिसके अंतर्गत सुबह 6 बजे प्रार्थना, 8.30 बजे से अंतगडसूत्र, 9.30 बजे से प्रवचन 2 बजे कल्प सूत्र,2.30 बजे विभिन्न प्रतियोगिताये एवं सायं 6.30 बजे प्रतिक्रमण होगा.
उक्त जानकारी पालीवाल वाणी को पोरवाल संघ के अध्यक्ष श्री तेजमल जैन मन्त्री, श्री विनोद जैन. चातुर्मास संयोजक श्री चौथमल जैन सह संयोजक श्री जिनेश्वर जैन ने प्रदान की.