इंदौर

रामकथा संस्कारों का सृजन कर व्यक्तित्व को आदर्श बनाती है : दीदी मां मंदाकिनी

विनोद गोयल
रामकथा संस्कारों का सृजन कर व्यक्तित्व को आदर्श बनाती है : दीदी मां मंदाकिनी
रामकथा संस्कारों का सृजन कर व्यक्तित्व को आदर्श बनाती है : दीदी मां मंदाकिनी

संगम नगर में चल रहे रामकथा ज्ञान यज्ञ में कोरोना से मुकाबले के लिए हर चेहरे पर मास्क : कोरोना से मुक्ति दिलाने के लिए प्रार्थना

इंदौर : (विनोद गोयल) रामकथा संस्कारों का सृजन कर हमारे व्यक्तित्व को आदर्श बनाकर ऊंचाई की ओर ले जाती है. रामकथा श्रवण के लिए मनोरंजन की आशा लेकर नहीं आना चाहिए. राम त्रिकाल सत्ता है. उनकी लीलाएं भी सर्वकालिक है. हनुमानजी के व्यक्तित्व के गुणों को शब्दों में समेट पाना असंभव है. अष्ट सिद्धि नवनिधि के दाता हनुमानजी स्वंय वैराग्य, भक्ति, ज्ञान और बल के साथ चरित्र के भी धनी है. बल के साथ शील अर्थात चरित्र भी ऊंचा होना चाहिए. सुंदरकांड रामायण का सबसे श्रेष्ठ और लोकप्रिय हिस्सा है. रामकथा केवल शरीर से नहीं, मन, बुद्धि और चित्त से श्रवण करना चाहिए.

कोरोना ने हमारे जन जीवन को बुरी तरह आक्रांत कर रखा : ये प्रेरक विचार हैं प्रख्यात राम कथाकार, दीदी मां मंदाकिनी श्रीरामकिंकर के, जो उन्होंने संगमनगर स्थित प्राचीन श्रीराम मंदिर परिसर में चल रहे रामकथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन उपस्थित भक्तों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए. कथा के दौरान आज स्वयं दीदी मां और आने वाले सभी भक्तों ने कोरोना प्रोटोकाल का पालन करते हुए मास्क एवं सेनिटाइजर का प्रयोग किया. दीदी मां ने कहा कि कोरोना ने हमारे जन जीवन को बुरी तरह आक्रांत कर रखा था. अभी भी खतरा मंडरा रहा है इसलिए सुरक्षा का पालन हर दृष्टि से करना होगा. कथा शुभारंभ के पूर्व अरविंद गुप्ता, अनूप जोशी, रामसिंह रघुवंशी, भूपेन्द्र कौशिक, गोविंद पंवार,  लक्की अवस्थी, राजकुमार यादव, शेरसिंह पंवार आदि ने व्यासपीठ का पूजन किया. भजन गायकों ने हिंदी, अवधी और संस्कृत में भजनों की प्रस्तुति देकर भक्तों को सम्मोहित बनाए रखा. सुबह संगम नगर बी सेक्टर स्थित श्री चंदा विला पर सुंदरकांड का पाठ कर सैकड़ों भक्तों ने दीदी मां के सान्निध्य में कोरोना से मुक्ति दिलाने के लिए प्रार्थना की. यह क्रम प्रतिदिन सुबह 9 से 10 बजे तक जारी रहेगा. कथा भी प्रतिदिन सांय 4 से 6.30 बजे तक राम मंदिर प्रांगण में होगी.

माता सीता ने अशोक वाटिका में हनुमानजी को जितने आशीर्वाद दिए : सुंदरकांड के विभिन्न प्रसंगों की व्याख्या करते हुए दीदी मां ने कहा कि माता सीता ने अशोक वाटिका में हनुमानजी को जितने आशीर्वाद दिए हैं, उनमें से यदि एक भी हमें मिल जाए तो जीवन धन्य हो उठेगा। अशोक वाटिका में सीताजी और हनुमानजी के बीच का संवाद माता और बेटे के बीच का भावपूर्ण प्रसंग है। रामकथा तो सबको मालूम है और किष्किंधा से लेकर लंका कांड तक का कथानक भी सब जानते हैं लेकिन कथा इसलिए भी श्रवण करना चाहिए कि इससे हमारे जीवन में आने वाली समस्याओं के समाधान की दृष्टि मिलता है। रामकथा में जीवन की प्रत्येक चिंता, समस्या और संकट का समाधान मौजूद है। हनुमानजी भक्त भी हैं और भगवान भी। हनुमानजी स्वंय को राम के दासों का दास कहते हैं। उनका यह भी कहना है कि यदि आप सकाम भावना से आना चाहते हैं तो मेरे पास आएं, मैं आपकी सभी कामनाएं पूरी करूंगा लेकिन सकाम भाव लेकर प्रभु राम के पास कतई नहीं जाएं। हनुमानजी कलियुग के प्रत्यक्ष देवता हैं। वे आज भी जहां कहीं रामकथा होती है, मौजूद रहते हैं। उनकी भक्ति से अर्थ, काम, धर्म और मोक्ष, चारों फलों की प्राप्ति संभव है।

whatsapp share facebook share twitter share telegram share linkedin share
Related News
Latest News
Trending News