इंदौर

राजबाड़ा चौपाटी : नगर पालिका निगम की पाबंदी के बाद कैसे लगता है फुटपाथ बाजार?

Paliwalwani
राजबाड़ा चौपाटी : नगर पालिका निगम की पाबंदी के बाद कैसे लगता है फुटपाथ बाजार?
राजबाड़ा चौपाटी : नगर पालिका निगम की पाबंदी के बाद कैसे लगता है फुटपाथ बाजार?

फिर क्यों होते है विवाद ? निगम आयुक्त को इसकी जड़ पता लगाना चाहिए

इंदौर : सड़क फुटपाथ कारोबारियों की इतनी बड़ी बसावट के पीछे किन का संरक्षण है. जबकि नगर पालिका निगम ने समस्त फुटपाथियो को सड़क कब्जे से प्रतिबंध का एलान किया हुआ है. तो फिर कैसे सड़को पर फुटपाथी दुकाने लग रही है. जानकार सूत्रों की माने तो  इस फुटपाथ को लेकर निचले स्तर का रिमूव्हल दस्ता की बड़ी भूमिका संदिग्ध है. 

उच्चस्तरीय अधिकारियों के निर्देश है कि कोई सड़क बाँधक गतिविधि हो तो रिमूव्हल कार्यवाही हो. गौरतलब रहे कि कल निगम ऊपायुक्त लता अग्रवाल के निर्देशन में अन्नपूर्णा क्षेत्र में 100 अधिक दुकानदारों के अतिक्रमण फुटपाथ हटाने की रिमूव्हल कार्यवाही की गई. विदित रहे कि स्मार्ट सिटी के स्वरूप देने के लिए वर्षो पुराने पक्के मकान दुकाने कुर्बान हुई थी. लेकिन अब वही नवनिर्मित सड़क फुटपाथ पर 100 से ज्यादा फुटपाथियो ने दुकाने लगा ली.  

रविवार को इसकी खबर आयुक्त ओर महापौर तक साक्ष्यों के साथ पहुंची तो रिमूव्हल अधिकारी सकते में आये. रिमूव्हल की कार्यवाही करना पड़ी. यह सवाल सबसे बड़ा है कि आखिर फुटपाथ किसके संरक्षण में लगता है ? क्यों शिकायत के बाद रिमूव्हल को ड्रामा रिहर्सल करना पड़ती है. निगम आयुक्त को इसकी जड़ का पता लगाना चाहिए. नगर पालिका निगम का निचले स्तर के रिमूव्हल दस्ता अगर ईमानदारी से सख्ती रखे तो सड़क फुटपाथ लग नही सकता है. लेकिन ऐसा नही होता है, जिसकी परिणीति आज जो स्मार्ट सिटी पर कब्जे कर बैठे फुटपाथियो और रिमूव्हल के बीच हुई मारपीट विवाद के नजारे बना देते है.

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