इंदौर

पालीवाल समाज ने एक ऐसी शख्सियत को खो दिया, जो सबसे प्रिय था : श्री तुलसीराम जी भट्ट को विन्रम श्रद्वाजंलि

Paliwalwani
पालीवाल समाज ने एक ऐसी शख्सियत को खो दिया, जो सबसे प्रिय था : श्री तुलसीराम जी भट्ट को विन्रम श्रद्वाजंलि
पालीवाल समाज ने एक ऐसी शख्सियत को खो दिया, जो सबसे प्रिय था : श्री तुलसीराम जी भट्ट को विन्रम श्रद्वाजंलि

इंदौर : पालीवाल ब्राह्मण समाज 44 श्रेणी इंदौर के कोषमंत्री श्री शिवलाल पुरोहित ने पालीवाल वाणी को बताया कि कल हमने एक अनमोल रत्न खो दिया, जिसकी पूर्ति की जाना असंभव हैं. प्रभु को जो प्रिय होता है. अक्सर उसे चुन लेता हैं. हम उन्हें याद करके उनके सद्कार्य और उनके बताए मार्ग पर चले तो हम उन्हें अच्छे मन से याद कर सकते हैं. उनका अचानक चले जाना, एक असंभव को संभव वाली घटना घटित हो गई. हम जब भी मिलते थे तो अक्सर समाज विकास और उत्थान को लेकर चर्चा करते रहते थे. हम सभी को मनोहरी मुस्कान और अपनी मीठी वाणी की शब्दावली में अक्सर हमें चौंका देते थे. लेकिन हमारा सबसे प्रिय भाई हम से रूठ गया. 

समाज ने आज एक ऐसी शख्सियत को खो दीया जिससे हमेशा समाजजनों को मार्गदर्शन और आशीर्वाद मिलता रहता था. समाज में ऐसी शख्सियत के चले जाने से अपूरणीय क्षति हुई हैं, जिसकी पूर्ति होना असंभव समझता हूं. समाज के वयोवृद्ध समाजसेवी पूर्व कार्यकारिणी सदस्य सबको प्यार और दुलार देने वाले श्री तुलसीराम जी भट्ट साहब का अचानक हम सभी को छोड़कर चले जाना हमारे समाज और परिवार से एक आशीर्वाद का हाथ जो हमेशा सभी के ऊपर रहता था वह आज नहीं रहा है. 

कर्म और धर्म में हमेशा प्रथम स्थान पर रहने वाले श्री भट्ट साहब आज हमारे सबके बीच नहीं है यह परिवार और समाज के लिए बहुत बड़ी क्षति हुई है. श्रीमान भट्ट साहब का स्वभाव सहज सरल सेवाभावी दयालु प्रवृत्ति के गरीबों के मसीहा हर समाज के प्रत्येक ऐसे व्यक्ति की आवश्यकता पड़ने पर हर प्रकार से एवम् आर्थिक रूप से मदद करने वाले व्यक्तित्व के धनी थे. 

आपने पालीवाल समाज के जनमानस के लिए देवपुरी धर्मशाला को खरीदने में अहम भूमिका निभाई थी जिसकी वजह से आज पूर्वी क्षेत्र के समाज जनों के लिए बहुत बड़ी सौगात के रूप साबित हुई. समाज की ऐसी शख्सियत के बारे में लिखने के लिए सूरज को दीपक दिखाने के समान होगा. 

श्रीमान भट्ट साहब प्रभु श्री चारभुजा नाथ के दरबार में प्रतिदिन प्रात : हाजिरी लगाते थे और उनकी यह खासियत यह थी कि वह जब भी प्रभु के दरबार में दर्शन करने आते थे तब दीन दुखियों के लिए कुछ आहार एवं नगदी रूपए सहित सामग्री भी प्रतिदिन वितरित करते थे. और उनका एक ही कहना था कि समाज की धर्मशाला और समाज की कार्यकारिणी में कार्य करने वाले प्रत्येक व्यक्ति को इस मेरे प्रभु श्री चारभुजा नाथ से हमेशा डर के रहना चाहिए. इनके पास सभी का हिसाब रहता है, इनकी सब पर नजर हरती.   

ऐसी प्रभु पर अटूट आस्था रखने वाले आज हमारे बीच नहीं हैं हमें आज अकेलापन महसूस हो रहा हैं. वही समाज में हमेशा लोगों की तकलीफें दुर करने वाला आज हमारे बीच नहीं रहा. पालीवाल समाज के साथ में व्यक्तिगत रूप से पुण्य आत्मा के लिए प्रभु से प्रार्थना करता हूं और दिवंगत आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें एवं दुखित परिजन को यह असहनीय दुख सहन करने की शक्ति प्रदान करें. अपने ईष्ट मित्रों और परिवार की तरफ से अश्रुपूरित श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं.  

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