इंदौर
साहित्यकारों की पहली पसंद बनी मातृभाषा.कॉम : पाठकों की संख्या पहुंची 10 लाख
Sunil Paliwal-Anil Bagora● दो हज़ार से ज़्यादा रचनाकार एक ही मंच पर : इंदौर में बना कीर्तिमान
इंदौर । हिन्दी भाषा की कई विधाएँ जिनमें या तो लेखन बंद ही हो गया या कम हो रहा है, जैसे रिपोतार्ज, संस्मरण, पत्र लेखन, लघुकथा, डायरी, आदि। ऐसी विधाओं को बचाने का ज़िम्मा उठाने के लिए, साथ ही, नए रचनाकारों और विधा के स्थापित रचनाकारों के लेखन को संग्रहित कर पाठको तक उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से मध्य प्रदेश के इंदौर से एक अंतरताना ‘मातृभाषा.कॉम’ वर्ष 2016 में शुरु हुआ था, जो वर्तमान में वटवृक्ष बन गया है। मातृभाषा उन्नयन संस्थान की इकाई के रूप में अंतरताना हिन्दी के प्रति जागरुकता फैलाने और रचनाकारों को मंच देने में भी अग्रणी बनता जा रहा है। इंदौर के युवा पत्रकार और लेखक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ ने हिन्दी साहित्य से जनता को आसानी से जोड़ने के उद्देश्य से भाषा के प्रचार -प्रसार हेतु एक प्रकल्प शुरू किया।
● शुन्य से लेकर शिखर तक : रचनाकारों के सृजन को फ़िल्म एवं विज्ञापन से जुड़े व्यवसायिक समूहों तक भी पहुँचाया जाता है, जिससे लेखकों को आय भी प्राप्त होती है। संस्थान से जुड़े सैकड़ों लेखकों की कहानियों पर वेब सीरीज़ भी बन रही है और कविताओं को विज्ञापन एजेंसियाँ लेखकों से ख़रीद रही हैं। डॉ. जैन कहते हैं कि “मातृभाषा.कॉम ने एक पहल की है, जिसके माध्यम से हम रचनाकारों के लेखन को सहेज भी रहे हैं और उसे हिन्दी भाषा के प्रचार में उपलब्ध भी करवा रहे हैं। साथ ही, हम हिन्दी प्रचार हेतु मातृभाषा उन्नयन संस्थान के साथ हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए भी कार्य कर रहे हैं।“ सारा काम शुन्य से शुरू होकर शिखर तक पहुंचाने का कार्य पाठकों को ही जाता हैं। इस अंतरजाल पर वर्तमान में दो हज़ार से ज़्यादा नवोदित व स्थापित रचनाकार जुड़े हैं, जो 22 से अधिक विधाओं में लेखन कर रहे हैं।
● एक से एक हस्ती जूड़ी : मातृभाषा के स्थायी स्तम्भकारों में डॉ. वेद प्रताप वैदिक, डॉ. दिविक रमेश, फ़िल्म अभिनेता आशुतोष राणा, राजकुमार कुंभज, अहद प्रकाश, सईद अंसारी सहित कई नाम हैं। यह अंतरताना एंड्रॉयड मोबाइल एप्लीकेशन के रूप में भी गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध है। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के साथ मातृभाषा.कॉम के माध्यम से हिन्दी के विस्तार और संरक्षण हेतु ’हस्ताक्षर बदलो अभियान’ चलाया जा रहा है, जिसके अंतर्गत सक्रिय हिन्दी-योद्धा जनता के बीच पहुँचकर हिन्दी में हस्ताक्षर करने की प्रेरणा देते हैं। वर्तमान में ग्यारह लाख से अधिक लोगों ने संस्थान के साथ जुड़कर अपने हस्ताक्षर हिन्दी में कर लिए हैं।
● पाठकों के लिए एक मंच : मातृभाषा.कॉम के द्वारा सैकड़ों लेखकों के लेखन को पुस्तकबद्ध भी किया है और उनके परिचय को इंटरनेट पर सहेज कर पाठकों के लिए उपलब्ध कराया जा रहा है। आने वाले दिनों में मातृभाषा.कॉम द्वारा लेखकों को मानदेय भी उपलब्ध करवाने व उनकी आय के लिए कार्य करने की दिशा में भी प्रयास किए जा रहे हैं। छोटे-छोटे गाँवों में हिन्दी भाषा के प्रचार के लिए मातृभाषा द्वारा गोष्ठियों एवं परिचर्चाओं का भी आयोजन किया जा रहा है। इसके साथ गाँवों में पुस्तकालय भी तैयार किए जा रहे हैं।
शोधकर्ताओं के लिए शीघ्र ही शोध अकादमी : भविष्य में मातृभाषा.कॉम एवं मातृभाषा उन्नयन संस्थान के साझा प्रयासों से हिन्दी भाषा में शोधकर्ताओं के लिए शोध अकादमी भी तैयार की जा रही है। यह अनुक्रम हिन्दी वर्तमान समय में पाठकों और हिन्दी के विस्तार के लिए प्रतिबद्धता से कार्यरत है। इस प्रकल्प में डॉ अर्पण जैन के साथ शिखा जैन, डॉ नीना जोशी, भावना शर्मा भी सक्रियता से कार्यरत हैं।
● पालीवाल वाणी ब्यूरों-Sunil Paliwal-Anil Bagora...✍️
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