Wednesday, 09 July 2025

इंदौर

कुशाभाऊ की फटी धोती और आज की भाजपा, मोदी-शाह के दौरे के बाद बड़े बदलाव की संभावना, इंदौर भी घेरे में

नितिनमोहन शर्मा
कुशाभाऊ की फटी धोती और आज की भाजपा, मोदी-शाह के दौरे के बाद बड़े बदलाव की संभावना, इंदौर भी घेरे में
कुशाभाऊ की फटी धोती और आज की भाजपा, मोदी-शाह के दौरे के बाद बड़े बदलाव की संभावना, इंदौर भी घेरे में
  • भाजपा की मांडू चिंतन बैठक में और कसाया आरएसएस का शिकंजा

  • आरएसएस के क्षेत्र प्रचारक की मौजूदगी से बेहद अहम हुई बैठक

  • 3 दिन, 15 सत्र, 175 नेता ओर सुबह सुबह संघ की शाखा

  • "सत्तावाली भाजपा" के नेताओ का आचार-विचार-व्यवहार निशाने पर

नितिनमोहन शर्मा...✍️

सौन्दर्य की नदी नर्मदा ओर उसकी प्रेयसी रानी रूपमती के मांडू में भाजपा ने 3 दिन अपनी मातृ संस्था आरएसएस के विचार की घुटी गटकी। सरकार और संगठन को तो ये घुटी गटकाई ही गई, नेताओ को भी नाक पकड़कर हलक में उड़ेल दी गई। कहने को ये भाजपा का प्रदेश स्तरीय प्रशिक्षण वर्ग था। लेकिन इस वर्ग में गोपनीय रूप से अकस्मात पहुंचे आरएसएस के क्षेत्रीय प्रचारक दीपक विसपुते के कारण मांडू बैठक की अहमियत कई कई गुना बढ़ गई।

विसपुते ने न केवल प्रशिक्षण वर्ग में उपस्थिति दर्ज करवाई बल्कि वर्ग का एक सत्र भी उनके नाम रहा। आमतौर पर ऐसा कम ही होता है कि भाजपा के कार्यक्रम में आरएसएस का कोई इस स्तर का पदाधिकारी शामिल हो। संघ में ये काम, संघ की तरफ से भाजपा में भेजे गए प्रचारकों के जरिये ही होता है। ऐसे में विसपुते का वर्ग में मौजूद रहना साफ संकेत है कि " सत्ता वाली भाजपा" को विचार से नजदीक लाने के लिए आरएसएस ने एक बार फिर से भाजपा पर शिकंजा कस दिया है।

बैठक के स्व कुशाभाऊ ठाकरे के एक प्रसंग से इसका खुलासा भी हो गया। उदहारण बनी कुशाभाऊ की वो फटी धोती जो हाथ से सिली हुई थी। पार्टी के सत्ता में आने के बाद भी वो उसी धोती को हाथों से धोकर जब सूखते हुए दिखे तो इस प्रंसग का जन्म हुआ। मांडू बैठक में इस प्रसंग के जरिये सत्ता और सन्गठन को नसीहत दी गई कि जमीन मत छोड़ो..नही तो जमीन पर आने में देर नही लगेगी।

मांडू बैठक की अहमियत इस बात से भी पता चलती है कि इसमे विचार परिवार से लेकर देश के रक्षा सामर्थ्य ओर विदेश नीति तक पर लंबी बात हुई। सांस्कृतिक राष्ट्रवाद से लेकर राष्ट्र पुनर्निर्माण में भाजपा की भूमिका भी जांची गईं। अजा जनजाति ओर आदिवासी वर्ग में पार्टी का कामकाज भी बैठक का अहम हिस्सा रहा। 

भाजपा के सूत्र बताते है कि बैठक के दूरगामी परिणाम शीघ्र प्रदेश में नजर आएंगे। सत्ता और संगठन स्तर पर फेरबदल के अलावा "संघ विचार" की पुनर्स्थापना इसमे अहम है।

  •  "दीनदयाल भवन" बदलाव की चपेट में...!!

इस बैठक के पहले भाजपा प्रदेश के कई जिलों में जिलाध्यक्ष बदल चुकी थीं। बैठक शुरू होने की पूर्व संध्या पर भी उसने 5 जिलाध्यक्ष हटा दिए। इस लिहाज से इंदौर को भी देखा जाने लगा। हालांकि मांडू बैठक में सन्गठन में फेरबदल जैसे विषय नही थे और न ऐसी बैठकों में ऐसे फैसले लिए जाते है लेकिन सूत्र बता रहे है कि इंदौर के दीनदयाल भवन भी बदलाव की जद में आ गया है।

भाजपा ने जिलाध्यक्षों के बदलाव के तीन पैमाने तय किये है। इसमे पहला जहा पार्टी को नगरीय निकाय चुनाव में असफलता हाथ लगी। दूसरा पैमाना उन जिलाध्यक्षों का बनाया जिन्हें अभी से आगामी विधानासभा चुनाव में चुनावी मैदान में उतरने के सपने आ रहे है। आखरी पैमाना उन अध्यक्षो का है जिनका स्थानीय स्तर के नेताओ विधायकों सांसद से पटरी नही बैठ रही। अब इंदौर का मसला किस पैमाने में है, ये आने वाला वक्त बताएगा। इंदौर के "दीनदयाल भवन" की कार्यप्रणाली के चर्चे भी अब भोपाल से आगे तक निकल गए है। अल्पसंख्यक मोर्चा की ताजा विवादित कार्यकारणी ओर उसके पुरजोर बचाव ने इसमे ओर इज़ाफा कर दिया है। सूत्र बताते है कि कोई हैरत की बात नही की ये बदलाव जल्द हो जाये। इसके लिए मोदी शाह की यात्रा का इंतजार है। मोदी के बाद अमित शाह भी ग्वालियर भोपाल आ रहे है।

  • सरकार बनाना संघ का काम नही - विसपुते

आरएसएस के क्षेत्र प्रचारक ( मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ ) दीपक विसपुते ने मांडू बैठक के एक सत्र को संबोधित किया। वे हमारा विचार परिवार पर बोले। उन्होंने स्पष्ट किया कि आरएसएस का काम सरकार बनाना नही है। संघ का काम समाज निर्माण राष्ट्र निर्माण का है। विसपुते ने संघ के स्थापना वर्ष 1925 से लेकर अब तक कि संघ संगठन की यात्रा का विस्तार से जिक्र किया ओर ये बताया कि कैसे समाज के हर क्षेत्र में संगठन खड़ा कर आरएसएस का कार्य विस्तार हुआ। 40 सहयोगी संगठनो की बात करते हुए विसपुते ने कहा कि हजार साल की मुग़लिया हुकूमत ओर 200 साल अंग्रेजी दासता ने भारत का सनातन भाव पीढ़ी दर पीढ़ी कम होता गया। परिणाम स्वरुप संघ की स्थापना की गई और आज का दृश्य सबके सामने है। हर संगठन नम्बर वन पर है। विसपुते ने आगाह भी किया कि ये अंत नही, शुरुआत है। जब तक पूरा देश संस्कार, संस्कृति और परंपराओ पर गर्व नही करता...हमारी यात्रा जारी रहेगी।

  • सिंधिया विदेश नीति, कैलाश राष्ट्र पुनर्निर्माण

बैठक 3 दिन चली। 3 दिन में 15 सत्र हुए। उदघाटन सत्र को प्रदेश अध्यक्ष वी दी शर्मा ने सम्बोधित किया। उन्होंने समाज देश की विभाजनकारी ताकतों पर फ़ोकस किया। गृह मंत्री ने मिजाज के अनुकूल वर्ग में नेताओ को चुनाव प्रबन्धन की घुटी पिलाई। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मोदी सरकार की विदेश नीति पर बात की। कैलाश विजयवर्गीय ने राष्ट्र के पुनर्निर्माण पर संबोधन दिया। गरीब कल्याण और खेती किसानी पर नरेन्द्र सिंह तोमर ने अपनी बात रखी। देश के रक्षा सामर्थ्य पर मुरलीधर राव जोरदार तरीके से मुखर हुए। हिंदूवादी नेता जयभान सिंह पवैया ने अपने प्रिय विषय सांस्कृतिक राष्ट्रवाद पर बोला तो राजस्थान से आये डॉ महेश शर्मा ने दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद पर विचार रखे। क्षेत्रीय संगठन मंत्री अजय जामवाल, प्रदेश संगठन मंत्री हितानंद, सह संगठन मंत्री शिवप्रकाश, पंकजा मुंडे, लालसिंह आर्य ने भी सत्रों को सम्बोधित किया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आखरी दिन अपनी सरकार की नीतियों के साथ मैदान में आये।

  • 3 दिन 15 सत्र ओर चुनिंदा नेता-शाखा लगी, योग व्यायाम हुआ

बैठक 3 दिन चली। इस दौरान 15 सत्र हुए। बैठक में जिलाध्यक्ष, जिला1 प्रभारी, मोर्चा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष व संयोजक, प्रदेश पदाधिकारी जैसे 175 चुनिंदा नेता शामिल हुए। मुख्यमंत्री बैठक के पहले दिन शामिल होकर निकल् गए। वे दूसरे दिन शाम को लोटे ओर रात मांडू में ही रुके। बैठक स्थल पर सुबह 6 30 बजे आरएसएस की शाखा भी लगी ओर योग व्यायाम भी हुआ।

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