इंदौर
इंदौर अपडेट : श्री श्रीविद्याधाम पर देशभर के गुरुभक्तों का जुटा मेला : कल मां भगवती की 108 दीपों से महाआरती
Anil bagora, Sunil paliwalआश्रम के संस्थापक ‘भगवन’ के रजत मंडित दिव्य विग्रह का 21 विद्वानों ने किया दुग्धाभिषेक
इंदौर : विमानतल मार्ग इंदौर स्थित श्री श्रीविद्याधाम पर चल रहे 27 वें वार्षिकोत्सव में आज सुबह आश्रम के संस्थापक ब्रह्मलीन महामंडलेश्वर स्वामी गिरिजानंद सरस्वती ‘भगवन’ के दिव्य विग्रह का प्रकटोत्सव मनाया गया. आश्रम के 21 विद्वानों ने आचार्य पं. राजेश शर्मा के निर्देशन में ‘भगवन’ के रजत मंडित विग्रह का दुग्धाभिषेक करते हुए गुलाबजल, घी, शहद, पंचगव्य, पवित्र तीर्थों एवं नदियों के जल आदि से षोडशोपचार, पूजन किया. इस दौरान देशभर में कार्यरत उनके शिष्यों ने भी इंदौर आकर पादुका पूजन किया. गुरुभक्तों का मेला दिनभऱ इंदौर आश्रम में जुटा रहा. गुप्तकाशी स्थित श्री श्रीविद्याधाम पर भी महामंडलेश्वर स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती के सानिध्य में पूज्य ‘भगवन’ के मंदिर में विशेष श्रृंगार एवं पूजा-अर्चना तथा अभिषेक के आयोजन किए गए. आश्रम परिवार के पूनमचंद अग्रवाल, सुरेश शाहरा एवं पं. दिनेश शर्मा ने पालीवाल वाणी को बताया कि महोत्सव में बुधवार 9 फरवरी 2022 को सायं 7.30 बजे मां भगवती की 108 दीपों से महाआरती के बाद 8 : 00 बजे श्री श्रीविद्याधाम परिसर में शोभायात्रा निकाली जाएगी.
मां हर वर्ष इस दिन अपने भक्तों को रथ में विराजित होकर, स्वर्ण आभूषणों से अलंकृत होकर दर्शन देने निकलती है. स्वामी गिरिजानंद सरस्वती वेद वेदांग विद्यापीठ के विद्यार्थी एवं बटुक इस रथ को अपने हाथों से खींचते हुए चलेंगे. गुरुवार 10 फरवरी 2022 को सायं 6 : 00 बजे से भव्य पुष्प बंगला सजेगा, जिसमें मां पराम्बा के दिव्य और अलौकिक दर्शन होंगे. उधर आश्रम के प्रकोशोत्सव के उपलक्ष्य में 21 विद्वानों द्वारा किए जा रहे सग्रहमख शिव-शक्ति महायज्ञ में प्रतिदिन स्वाहाकार की मंगल ध्वनि गूंज रही है. यहां ललिता सहस्त्रार्चन एवं महारुद्र से सग्रहमख शिव-शक्ति महायज्ञ में अब तक साढ़े 3 लाख आहुतियां समर्पित की जा चुकी है. 10 फरवरी 2022 को महायज्ञ में मां को प्रिय पदार्थों, त्रिमधु, मालपुआ, खिरान, गन्ना, पान, मौसमी फल, हलवा एवं अन्य व्यंजनों की विशेष आहुतियां देकर जनकल्यण, कोरोना से मुक्ति एवं समाज में सदभाव की प्रार्थना की जाएगी. आज भी नित्य नूतन श्रृंगार की श्रृंखला में मां पराम्बा का नयाभिरान श्रृंगार महेश्वरी के रूप में किया गया.