इंदौर

Indore News : इंदौर में ट्रैफिक कैसे बिगड़ा, समझना है तो यहां आओ

paliwalwani
Indore News : इंदौर में ट्रैफिक कैसे बिगड़ा, समझना है तो यहां आओ
Indore News : इंदौर में ट्रैफिक कैसे बिगड़ा, समझना है तो यहां आओ

इंदौर.

इंदौर का हर नागरिक शहर के बर्बाद ट्रैफिक सिस्टम से ना सिर्फ परेशान है बल्कि इसे गालियां भी देता है। इंदौर में कहीं पर भी ट्रैफिक सही स्थिति में नहीं नजर आता है। ट्रैफिक इंदौर के चुनाव तक का मुद्दा रह चुका है लेकिन इसमें बदलाव कभी नहीं हुआ। इसे सुधारने के नाम पर रोज नए-नए प्रयोग जरूर हुए लेकिन सुधरने के बजाए हालत ओर खराब ही हुई है। वैसे इंदौर में हर रोज ट्रैफिक के नए नियम लागू करने वाले अफसरों ने कभी ये बिगड़ा कैसे? इस पर ध्यान नहीं दिया।

यदि इंदौर के ट्रैफिक की बदहाली को समझना हो तो आप कभी कोठारी मार्केट से सिख मोहल्ला, काछी मोहल्ला से चिकमंगलूर चौराहे तक आ जाए। 3 से 4 साल पहले इस पतली सड़क से 300 से 400 मीटर के हिस्से को दोपहिया वाहन से पार करने में बमुश्किल 1 से डेढ़ मिनिट का समय लगता था, लेकिन अब इतना समय तो कोठारी मार्केट चौराहे से सिख मोहल्ला पहुँचने में ही लग जाता है। ओर कभी कभी तो कोठारी मार्केट का सिग्नल ग्रीन होने के बाद जब गाड़ियां सिख मोहल्ला के लिए बढती है, तो सिग्नल ग्रीन से लाल होने तक आधे चौराहे पर गाड़ियों की लाइन लगी रहती है। ओर एमजी रोड से गाड़िया नही निकल पाती।

आज हालत ये है कि इस हिस्से को पार करने में 10 मिनिट आराम से लग जाते हैं और ये रोज की स्थिति है। ये हालत बनी है यहां बने नए नए बाजारों से। पहले इस इलाके में अधिकांश मकान पुराने और आवासीय थे। लेकिन बीते 3 से 4 साल में यहां जमकर नई ईमारतें खड़ी हुई है और ये सभी या तो आवासीय नक्शे या मकान मरम्मत की अनुमति लेकर बनी है।

कायदे से यहां आवासीय घर बनने थे लेकिन बन गई है दुकाने, दुकानें भी नहीं मार्केट वो भी एमओएस कब्जा कर। छोटी सी जगह में पांच से सात दुकान ग्राउंड फ्लोर ओर बगैर इजाजत के तलघर में बन गई है। ये तो ठीक दुकानों का सामान फुटपाथ तक फैला रहता है और उसके बाद लगती है गाड़ियां ओर वो भी आधी सड़क तक।

जो 10 से 15 फिट की सड़क बचती है उसमें गाड़ियां निकालना वाहन चालकों की मजबूरी है। दरअसल इस क्षेत्र में ये सब निर्माण सत्ताधारियों की सरपरस्ती में हुआ है, ओर उनके किए हर काम भले ही वो अवैध, गैरकानूनी, ओर जनसमस्या की श्रेणी के हो, लेकिन वो शहर को प्रयोगशाला बनाने वालों को नजर नही आते है, ऐसे में यहां ट्रैफिक बर्बाद होना तय है। ये वो इलाका है जो अभी ट्रैफिक के लिहाज से बर्बाद हो रहा है। ओर कमोबेश पूरे शहर की यही कहानी है।

लेकिन हमारे शहर के माई-बाप बन चुके नेताओं और अफसर कुछ नहीं कर रहे। दरअसल ये नेता ओर अफसर यहां से कभी निकलें तो उन्हें जनता रोज जो परेशानी झेलती है वो समझ आए। स्थिति सुधारने ओर गलत को रोकने के लिए जो जिम्मेदार है वो ऐसी गड़बडियों को रोकने और अवैध हिस्से को तोड़ने के बजाए ये जरूर कहते नजर आएंगे जिन्होंने दुकान ली है उनकी क्या गलती उन गरीबों का क्या..। लेकिन ये बोलते समय वो ये भूल जाते हैं कि अवैध बनने देना और बाद में उस पर कार्रवाई नहीं करना उसे प्रशय देने की श्रेणी में आता है। और मेरी नजर में यह अपराध किसी की हत्या करने से ज्यादा संगीन है।

हत्या में व्यक्ति को एक बार में मारा जाता है लेकिन इस तरह से जनता को रोज तिल तिल मौत दी जाती है। लेकिन कानून के जानकारों की नजर में इस तरह के गुनाहों की कोई सजा नहीं है। ये अकेली इस सड़क की नही बल्कि पूरे शहर की समस्या है। इनको काबू करने के लिए जो सैंकड़ो रिमूवल कर्मचारियों की गैंग बनाई गई उसका खर्चा शहर का आम आदमी उठाता है लेकिन उसे ही परेशानी से जूझना पड़ता है..। क्योंकि ये गैंग केवल अफसर ओर नेताओं के इशारों पर काम करती है।

अफसर ओर नेताओं की नजर में इस तरह से शहर को बर्बाद करना वाजिब है। ओर ये ऐसा मानने के लिए स्वतंत्र है क्योंकि इस शहर के लोग ट्रैफिक में फंसकर आपस में गाली गलौज कर सकते है लेकिन ट्रैफिक बर्बाद करने वालों के सामने नतमस्तक जो हो जाते है। यदि यही हाल रहा तो वो दिन दूर नहीं जब शहर में कोई रहना ही पसन्द नही करेगा और तब ये नेता और अफसर दूसरी जगह अपने आप को सेट कर चुके होंगे। तब हम रोएंगे लेकिन ये भूल जाएंगे कि इसके लिए शहरवालों की बुजदिली जिम्मेदार है।

बाकलम 

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