इंदौर

indore news : लाखों रूपयों का हिसाब झमेले में...पूर्व अध्यक्ष को मौका मिला तो ही रूक पाएंगी मनमानी...! पैसों से सबका बीमा कराना लक्ष्य : गोपाल कचोलिया

sunil paliwal-Anil Bagora
indore news : लाखों रूपयों का हिसाब झमेले में...पूर्व अध्यक्ष को मौका मिला तो ही रूक पाएंगी मनमानी...! पैसों से सबका बीमा कराना लक्ष्य : गोपाल कचोलिया
indore news : लाखों रूपयों का हिसाब झमेले में...पूर्व अध्यक्ष को मौका मिला तो ही रूक पाएंगी मनमानी...! पैसों से सबका बीमा कराना लक्ष्य : गोपाल कचोलिया

इंदौर : वकीलों से एकत्र किया लाखों रूपयों का हिसाब अभी झमेले में है. इंदौर अभिभाषक संघ के चुनाव सिर पर है और अध्यक्ष पद के प्रबल दावेदार गोपाल कचोलिया को दुबारा मौका मिला तो ही मनमानी रूक सकेंगी. 

करीब तीन साल पहले 2021 में तदर्थ समिति ने विशेष साधारण सभा के निर्णय के विपरीत जाकर वर्ष 2021 में इंदौर में अभिभाषक वेलफेयर समिति का गठन किया था. उसके कई दुष्परिणाम सामने आएं थे. संघ के लगभग 6000 छः हजार सदस्य वकीलों से टिकट बिक्री के समय वेलफेयर राशि के नाम पर 30/- रुपये के रूप में  लिया जानेवाला लाखों रुपए लगभग तीन -चार सौ सदस्यों वाली अभिभाषक वेलफेयर समिति के खाते में जमा होने लगा यानी लगभग 6000 छः हजार वकीलों की मेहनत की गाढ़ी कमाई वेलफेयर समिति के... लगभग 400 चार सौ सदस्यों को बंटने का रास्ता खुल गया था. 

यही नहीं, अधिवक्ता कल्याण निधि के टिकट की खरीद पर इन्दौर अभिभाषक संघ इन्दौर को प्राप्त होने वाली दस प्रतिशत कमीशन की धनराशि जो अभिभाषक संघ के खाते में जमा होनी चाहिये थी, वह वेलफेयर समिति के खाते में जमा होने लगी. वर्ष 2021 से समिति के अस्तित्व में आने के बाद जिला न्यायालय परिसर इन्दौर में अधिवक्ता कल्याण निधि का 40 रूपए का टिकट पचास या उससे अधिक मूल्य में बिकने लगा और अभिभाषक वेलफेयर समिति इन्दौर अभिभाषक संघ इन्दौर के द्वारा भी अधिवक्ता कल्याण निधि के टिकट पर 40/- मूल्य के अलावा प्रति टिकट 30 रूपये वकीलों से वसूले जाने लगे, जिससे वकीलों को 40 रूपये का टिकट 70  रूपये में पड़ने लगा था.

तब संघ के करीब साढे पांच हजार सदस्य थे और उनके पैसों का लाभ बेजा तरीके से इन्दौर अभिभाषक संघ इन्दौर के समानांतर गठित अभिभाषक वेलफेयर समिति के सदस्यों को मिलना था. गत वर्ष 2023 में तत्कालीन अध्यक्ष गोपाल कचोलिया ने इन्दौर अभिभाषक संघ इन्दौर के अध्यक्ष नाते अध्यक्ष रहते हुए समिति से हिसाब मांगा किंतु समिति के कर्ताधर्ता उन्हें हिसाब देने की बजाय टालते रहे और फिर कार्यकाल समाप्त होने के पूर्व चुनाव की घोषणा के बावजूद मप्र स्टेट बार काउंसिल ने चुनाव नहीं होने का हवाला देकर कचोलिया की अध्यक्षतावाली समिति को भंग कर दिया था, जिसके चलते वेलफेयर समिति द्वारा जमा कराये पैसों का हिसाब अब तक हजारों सदस्यों को नहीं मिल पाया है.

अब विधिजगत में 1 मार्च 2024 को होने वाले चुनाव पर सबकी निगाहें है, क्योंकि कचोलिया ने वकीलों के हित में लंबी लड़ाई लड़ी है और समिति का हिसाब भी लेना बाकी है, ऐसे में वकीलों का एक खेमा कचोलिया को हराने में जुटा है किंतु जीत-हार का फैसला तो आम वकीलों को ही करना है. जिनका पैसा वेलफेयर समिति के खाते में है और कचोलिया के जीतने पर ही यह पैसा अभिभाषक संघ के खाते में जमा होने के आसार है.

इनका कहना है...

पैसों से सबका बीमा कराना लक्ष्य : गोपाल कचोलिया

बार एसोसिएशन के 1 मार्च 2024 को होने वाले चुनाव में अध्यक्ष पद के उम्मीदवार गोपाल कचोलिया का कहना है कि मैंने वकीलों का पैसा वापस अभिभाषक संघ के खाते में लाने के पुरजोर प्रयास किए थे, किंतु कार्यकारिणी के असहयोग के कारण तब उसमें सफलता नहीं मिल सकी थी. अब यदि जीता तो यह पैसा वापस संघ के खाते में जमा कराया जायेंगा और इस पैसे का इस्तेमाल वकीलों के हित में करते हुए उनका सामूहिक रूप से बीमा कराया जाएंगा, ताकि वक्त-बेवक्त उन्हें या उन पर आश्रित परिजनों को सहायता के लिये किसी के सामने हाथ नहीं फैलाना पड़ें.

कचोलिया का कहना था कि संघ के सदस्यों की गाढ़ी कमाई का पैसा कमेटी के चुनिंदा सदस्यों का किस तरह बांटा जा सकता है. संघ के वकील सदस्यों का पैसा संघ के सभी वकीलों के कल्याणार्थ ही खर्च होना चाहिये.

बाक्स.

रूकवा दी थी टिकटों की कालाबाजारी ...

कचोलिया ने अध्यक्ष रहते वेलफेयर समिति से न केवल हिसाब मांगा बल्कि अवैध रूप से हो रही टिकट बिक्री की कालाबाजारी को भी रूकवा दिया था। 

बाक्स..

वेलफेयर समिति के बहाने समानांतर संस्था खड़ी की, भंग भी हुई किंतु फिर फंसा पेंच...

कचोलिया के मुताबिक वर्ष 2020 में इन्दौर अभिभाषक संघ के तत्कालीन कायर्कारिणी मण्डल ने एक बैठक कर प्रस्ताव पारित किया गया था कि कमल गुप्ता अभिभाषक द्वारा प्रस्तुत ज्ञापन के अनुसार अधिवक्ता कल्याण निधि के टिकट का विक्रय अभिभाषक वेलफेयर ट्रस्ट द्वारा किया जायेगा, अधिवक्ता कल्याण निधि के टिकट के मूल्य 40/- रूपए के अलावा वेलफेयर के लिए अलग से धनराशि भी प्रत्येक टिकट पर ली जायेगी।

खास बात यह है कि जब इस प्रस्ताव के अनुमोदन हेतु आहूत की गई अभिभाषक संघ की विशेष साधारण सभा ने बहुमत से प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। प्रस्ताव खारिज होने के बाद जब  वर्ष 2021 में  मध्यप्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद ने इंदौर अभिभाषक संघ इन्दौर के चुनाव हेतु एक  तदर्थ समिति का गठन किया था तो कमल गुप्ता की संयोजकता वाली इस समिति ने न केवल वेलफेयर समिति का गठन तक कर डाला बल्कि यह निर्णय तक भी लिया कि उक्त समिति ही इंदौर अभिभाषक संघ के कार्यालय से ही अधिवक्ता कल्याण निधि के टिकट बेचेंगी, उक्त टिकटों से मिलनेवाला कमीशन भी संघ की बजाय समिति के खाते में ही जमा होगा।

देखा जाएं तो एक तरह से तदर्थ समिति ने इंदौर अभिभाषक संघ के समानांतर अभिभाषक संघ खड़ा कर दिया था और मनमाने तरीके से वेलफेयर कमेटी बना दी थी। फिर पिछले साल कचोलिया की शिकायत पर मप्र राज्य अधिवक्ता परिषद ने अभिभाषक वेलफेयर समिति को भंग करने का प्रस्ताव पारित कर दिया था। हालांकि बाद में परिषद ने ही अपने प्रस्ताव के क्रियान्वयन पर स्थगन आदेश जारी कर अपने स्वयं के निर्णय पर स्टे कर दिया था और आज तक उस पर कोई संतोषजनक निर्णय नहीं लिया है।जिससे वेलफेयर समिति का मामला ठंडे बस्ते में पड़ गया है।

गौरतलब है कि अभिभाषक वेलफेयर समिति इन्दौर अभिभाषक संघ इन्दौर का विरोध करने के कारण भी इन्दौर अभिभाषक संघ इन्दौर के कुछ संगठित अभिभाषकों के समूह ने गोपाल कचोलिया की छवि खराब करने के उद्देश्य से संविधान की मनमानी व्याख्या कर कार्यकारिणी मण्डल को मनमाने तरीके से असंवैधानिक रूप से भंग करवा कर विशेष समिति का गठन करवा दिया है।गोपाल कचोलिया अभिभाषक ने मध्यप्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद जबलपुर के अध्यक्ष सचिव को एक पत्र मध्यप्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद के इन्दौर स्थित उप कार्यालय के माध्यम से प्रेषित कर मांग की है कि परिषद अभिभाषक वेलफेयर समिति इन्दौर अभिभाषक संघ इन्दौर को तत्काल भंग करे और समिति के खाते में जमा लाखों रुपए की धनराशि को इन्दौर अभिभाषक संघ इन्दौर के सदस्यता खाते में स्थानांतरित करवाने की कृपा करें।

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