इंदौर
नगर निगम के फर्जी बिल घोटाले के खिलाफ कांग्रेस ने पहली बार सड़क पर दिखाया दम : जीतू" से " जिंदा" हुई कांग्रेस..!
नितिनमोहन शर्माबेतहाशा बड़े सम्पत्ति कर, जल कर, शहर की चौपट होती सफाई व्यवस्था
● प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने गृह नगर में जमकर घेरा भाजपा को, विजयवर्गीय को भी नही बख्शा.
● नगर निगम के कथित भ्र्ष्टाचार के खिलाफ जीतू पटवारी की अगुवाई में अरसे बाद एकजुट नजर आई कांग्रेस.
● जिला- शहर कांग्रेस की मेहनत भी आई नजर, अध्यक्ष पद के दावेदार भी पहुँचे भीड़ लेकर.
● अल्पसंख्यक पार्षद व इलाको से आई सबसे ज्यादा भीड़, वाटर कैनन की मार ने विरोध को ऊंचाई दी.
बेतहाशा बड़े सम्पत्ति कर, जल कर, शहर की चौपट होती सफाई व्यवस्था, जगह जगह गंदगी-गड्ढे, खुदाई और फर्जी बिल के जरिये जनता के टैक्स की राशि के साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ इंदौर ने मंगलवार को दमदार आवाज सुनी। बरसो बाद शहर की सड़क पर, शहर के मुद्दों को लेकर सत्ता पक्ष से दो दो हाथ हुए। ऐसा नही की विपक्ष अब तक "निठल्ला" ही बेठा था। वह विरोध तो करता था लेकिन वह " ठिलवाई" से आगे बढ़ा नही। मंगल को सब कुछ उल्टा था। विरोध गम्भीर था। नेता भी "मन" से मौके पर न केवल मौजूद थे बल्कि मुखर भी थे।
"मरता क्या न करता" की तर्ज पर कल कांग्रेस लंबे समय बाद शहर की सड़कों पर "जिंदा" नजर आईं। नगर निगम का वो फर्जी बिल घोटाला भी कल फिर फ्रंटफुट पर आ गया, जिसे नेपथ्य के पीछे जाना मान लिया गया था। नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष चिंटू चौकसे की अगुवाई और प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी की मौजूदगी में मंगल को सत्ता पक्ष को भी अहसास हुआ कि अभी शहर में प्रतिपक्ष हैं। प्रतिपक्ष को भी ये जेहन में रखना होगा कि बिन लाठी डंडे, वाटर कैनन की मार खाये वह विपक्ष से सत्ता पक्ष बन नही सकता।
● नितिनमोहन शर्मा
अरसे बाद मंगलवार को इंदौर ने वो दृश्य देखा, जिसे इन्दौरी लगभग बिसरा ही चुके थे। वो दृश्य था विपक्षी दल के विरोध प्रदर्शन का। लाठीचार्ज का, वाटर कैनन का, बेरिकेड्स तोड़ने-पार करने का नज़ारा। ये शहर भूल ही चुका था कि इंदौर में कोई विपक्षी दल भी है। अन्यथा जो पक्ष ने तय कर दिया, उसे ही मानने-स्वीकारने की मजबूरी इस शहर की हो चली थी। बरसो बाद विपक्ष जनता से जुड़े मुद्दों और जनता के टेक्स के पैसे की लूट के खिलाफ सड़क पर नजर आया और वह भी दमदारी से। अन्यथा विरोध के नाम पर अब तक विपक्ष के खाते में महज रस्म अदायगी थी या फिर " मांडवाली"।
बात है कांग्रेस की। मंगलवार को अरसे बाद पार्टी के विपक्षी चेहरे का असली "मंगलाचरण" हुआ। जहां सत्तापक्ष भाजपा के खिलाफ ईमानदारी से घेराबंदी भी हुई और जुबानी हमले भी। पहली बार भाजपा के "महाबली" नेता, मंत्री और उनके "विधायक सखा" भी निशाने पर आए। अन्यथा " तिजारती रिश्ते" इतने मजबूत हो चले थे कि सत्ता पक्ष भी सदैव बेफिक्र ही रहता था कि कर क्या लेंगे? लेकिन कल कांग्रेस ने कर के दिखाया।
दमदारी से सड़क पर मोर्चा संभाला और हिम्मत से पुलिसिया कार्रवाई का सामना किया। लाठी डंडे भी खाए ओर सिर भी फुटवाये। बारिश के मौसम में पुलिसिया बारिश से भीगे भी। कलफ लगे कपड़ो की चिंता नही की ओर बड़े नेताओं ने भी जमकर झूमाझटकी की। ये कांग्रेस ही नही, इस शहर के लिए भी अच्छे संकेत है। अन्यथा इंदौर तो ऐसा लगने लगा था कि सत्ता पक्ष ने इसकी " रजिस्ट्री" करवा ली।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी का इंदौर गृह नगर है। कल का विरोध प्रदर्शन उनकी ही अगुवाई में था जिसमे जिला व शहर कांग्रेस ने दम झोंका। पार्षदों ने भी कोई कसर नही छोड़ी ओर जितने भी मुट्ठीभर पार्षद है, सब भीड़ के साथ मौके पर पहुँचे। बाजी अल्पसंख्यक वर्ग के पार्षदो ने जीती। उनके इलाको से अच्छी खासी भीड़ विरोध प्रदर्शन में शामिल हुई। कांग्रेस के लिए सबसे सुकून की बात तो ये रही कि इतनी भीड़ जुट गई। ये भीड़ कांग्रेस वर्कर्स की तो थी नही? क्योंकि पार्टी का कामकाज इतना मजबूत नही कि वह ऐसे किसी विरोध प्रदर्शन में भाजपा जैसी जुट जाएं। यानी कल की भीड़ में आम शहरी भी था जो नगर निगम की कार्यप्रणाली के खिलाफ मैदान में उतरकर विपक्ष को दम दे रहा था।
पटवारी की देह में पहली बार आई "सज्जन सवारी"
कांग्रेस ने अब तक सिर्फ सज्जन वर्मा ही "दो नम्बर केम्प" के खिलाफ सर्वाधिक मुखर होते रहे हैं। उनके हमले सदैव तीखे व कटाक्ष से भरे होते रहे है। कल ये काम प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कर सबको चौका दिया। पटवारी ने जिस तरह से "महाबली मंत्री" के खिलाफ मोर्चा खोला, वह कांग्रेस ही नही सबके लिए हेरतभरा रहा। पटवारी ने न सिर्फ "मंत्री महोदय" के " एक पेड़ मा के नाम" अभियान की सफलता पर सवाल खड़े किए बल्कि ये कहने से भी नही चुके कि मंत्री पौधरोपण के जरिये मुख्यमंत्री की जड़े खोद रहें हैं।
पटवारी ने अभियान के आंकड़ों को भी ये कहते हुए कटघरे में खड़ा कर दिया कि इसके लिए दो गुना बड़ा इंदौर की जरूरत थी। तब भी लक्ष्य पूर्ण न होता। पटवारी ने निगम फर्जी बिल घोटाले पर भी दो टूक कहा कि जांच हो जाये तो पूर्व परिषद की पूरी एमआईसी जेल में बैठक करती नजर आएगी। 100 करोड़ का निगम का ये फर्जी बिल घोटाला अब तक सत्ता पक्ष की अनुकूलता के हिसाब से जांच का शिकार है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने इस मसले पर हमलावर रुख अख्तियार कर ये संकेत दे दिए है कि अब ये घोटाला सत्ता पक्ष के हिसाब से "मैनेज" नही होगा।
यूथ ब्रिगेड ने जमकर किये दो-दो हाथ
पार्टी की यूथ ब्रिगेड भी कल जबरदस्त उत्साहित नजर आई। वह यह ही तो चाहती थी कि पार्टी के बड़े नेता बजाय सत्ता पक्ष से रिश्ते निभाने की जगह दो दो हाथ करने मैदान में उतरे। कल उनकी मंशा पूर्ण हुई। सब बड़े नेता मौके पर थे। आने वाले तो प्रदेश प्रभारी भंवर जितेंद्र सिंह भी थे, लेकिन बताते है वे "गांधी भवन" में सत्ता पक्ष के "महाबली" मंत्री के " कलेऊवा" के मसले पर अब तक नाराज़ हैं। लेकिन कल शहर अध्यक्ष सुरजीत सिंह चड्डा, जिला अध्यक्ष सदाशिव यादव ने अच्छा दम भरा।
अमन बजाज और पिंटू जोशी की यूथ ब्रिगेड के तेवर सबसे तीखे थे, जिसने पुलिसिया बंदोबस्त से जमकर दो दो हाथ किए। हमेशा की तरह वरिष्ठ नेता राजेश चौकसे आंदोलन के सूत्रधार बने रहे और पूरे समय आंदोलन व आंदोलनकारियों को दिशा निर्देश भी देते रहे और जोश दिलाकर " आंदोलित" भी करते रहें। भीड़ लेकर तो वे नेता भी पहुँचे थे जिन्हें " गांधी भवन" नजर आ रहा है। ऐसे नेताओं में अरविंद बागड़ी अव्वल थे। पुराने जमीनी नेता जीतू दिवान ने भी भीड़ भरे जत्थे के साथ आंदोलन में पहुँचकर " मट्ठे" नेताओ को चौका दिया कि में आज भी दम भरता हूं।