इंदौर
फर्जी महिला SDM ने खूब छापे नोट, 100 से अधिक लोगों से लाखों रुपए की ठगी
Paliwalwaniइंदौर : मध्यप्रदेश में एक हैरान कर देने वाला मामला प्रकाश में आया है. एक महिला ने एसडीएम बनकर करीब 100 से अधिक लोगों से लाखों रुपए की ठगी की है. ये महिला हर किसी को 2-2 लाख रुपए नौकरी दिलाने के नाम पर पैसा लेती थी. अपनी गाड़ी पर मप्र शासन लिखवा रखा था. ऐसे में हर कोई इस खुबसूरत महिला के चुंगल में फंस जाता था. पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद इस महिला के खिलाफ धोखाधड़ी की रिपोर्ट लिखवाने के लिए एक के बाद एक कई लोग पहुंच रहे हैं. जिनका कहना है कि सरकारी नौकरी के नाम पर इन्होंने हमसे भी पैसे लिए. इससे साफ कहा जा सकता है कि इस महिला ने फर्जी एसडीएम बनकर खूब नोट छापे हैं.
फर्जी एसडीएम बन बेरोजगार को सरकारी नौकरी दिलाने का झांसा देने वाली महिला आरोपी जब से पकड़ाई है, तब से क्राइम ब्रांच में पीड़ित लगातार पहुंच रहे हैं. शुक्रवार को भी अधिकारियों के पास कई लोग आए. उन्होंने नौकरी पाने के लिए लाखों रुपए देने की बात कही डीसीपी निमिष अग्रवाल के मुताबिक आरोपी नीलम पति अनिरूद्ध पाराशर निवासी शिखरजी नगर को कोर्ट में पेश किया है. फर्जी अधिकारी के पकड़ाने की सूचना पर 20 युवकों ने शिकायत की है. इनमें से कई हरदा के मूल निवासी हैं. युवकों ने बताया कि किसी ने इंजीनियरिंग तो किसी ने ग्रेज्युएशन किया है.
सरकारी नौकरी की चाह में वे परिचित के माध्यम से नीलम से मिले थे. रहन-सहन और बोल-चाल देख उसे अधिकारी समझ बैठे. नौकरी के ऐवज में किसी से पांच तो किसी से आठ लाख रुपए लिए. फर्जी तरीके से फॉर्म भरवाने के बाद वह गुमराह करती रही. नौकरी नहीं मिलने पर युवक संपर्क करते तो कई सारे फॉर्म में हस्ताक्षर करवा लेती.
डीसीपी के मुताबिक आरोपी के खिलाफ 40 शिकायतें मिली हैं. अन्य बिंदुओं पर पूछताछ के लिए आरोपी को कोर्ट में पेश कर 4 दिन की रिमांड पर लिया है. पूछताछ में आरोपी ने बताया, उनके पिता इनकम टैक्स विभाग में थे. परिवार में पति और दो बच्चे हैं. मिसरौद में आयोजित राज्यपाल के कार्यक्रम में नीलम अपने गार्ड के साथ पहुंची थी. उसका पहनावा देखकर अन्य अधिकारी ने शंका के आधार पर उसे पकड़ा था. डीसीपी ने बताया कि मिसरौद पुलिस ने उसे छोड़ दिया था. जानकारी निकाल रहे हैं.
कलेक्टोरेट में देती थी फर्जी नियुक्ति पत्र लोगों को दस्तावेज पर संदेह भी हुआ. जब नीलम को खुद के पकड़ाने का संदेह होता तो वह नियुक्ति पत्र देने के लिए कलेक्टर कार्यालय बुलाती. यहां पीड़ितों को किसी भी दफ्तर के बाहर खड़ा कर देती. फिर असली अधिकारी होने का नाटक कर संबंधित दफ्तर में चली जाती. थोड़ी देर बाद लौटती और युवकों को फर्जी नियुक्ति पत्र थमा देती.