इंदौर
इंदौर में भाजपा को हो रहा है नुकसान-सर्वे में कांग्रेस जीत की ओर
Mahesh Joshi, Sachin Vyas ... ✍
● इंदौर मेरी पहचान एवं पालीवाल वाणी समूह-का सटीक विशलेषण
● छत्तीसगढ़ के 8 सर्वे में कांग्रेस और भाजपा 4-4 की बराबरी पर
● मध्यप्रदेश में 3 एग्जिट पोल में भाजपा को बहुमत मिलने के आसार
● तेलंगाना में 4 सर्वे सामने आए, सभी में टीआरएस को बहुमत
इंदौर। (सुनील पालीवाल की कलम से ) इंदौर शहर की स्थापना वर्ष 1715 में हुई थी, जो स्थानीय जमीन मालिकों के कारण नर्मदा नदी घाटी के किनारे एक व्यापारिक बाजार के रूप में उभरकर समाने आया और इंदौर शहर का नाम यहाँ पर स्थापित इंद्रेश्वर मंदिर पर पड़ा।
इस शहर का संगमनाथ या इंद्रेश्वर मंदिर, क्हान और सरस्वती नदी के संगम स्थल के समीप स्थित है। इंदौर शहर को एक शानदार ऐतिहासिक स्मारकों के रूप में वर्णित किया गया है और यह रानी अहिल्या बाई होल्कर द्वारा संरक्षित अपनी स्थापत्य कला के लिए बहुत प्रसिद्ध है। राजस्थान और तेलंगाना में वोटिंग थमने के साथ ही पांच चुनावी राज्यों के एग्जिट पोल्स आ गए। मध्यप्रदेश के लिए अब तक 8 सर्वे सामने आए हैं। पांच में कांग्रेस को बहुमत मिलता दिख रहा है। राजस्थान के 6 सर्वे में से 4 में कांग्रेस की सरकार बनने के आसार हैं। छत्तीसगढ़ के 8 सर्वे में भाजपा 4 और कांग्रेस 4 पर आगे है। तेलंगाना में 4 सर्वे आए हैं, सभी में टीआरएस की सरकार बनने का अनुमान जताया गया है।
टिकिट वितरण से लेकर मतदाताओं के मतदान ओर उनकी नाराजगी तक हमारी टीम ने मिलकर लोगों के विचार जाने ओर उनकी सोच पर मध्यप्रदेश में भाजपा की सत्ता जा सकती है, वही कांग्रेस का वनवास खत्म हो रहा है। तमाम सर्वे में एक बात स्पष्ट हो चुकी है कि मतदाताओं ने अपनी चतुराई से मतदान तो किया, लेकिन इस बार पार्टी के चिन्ह से ज्यादा जनता में लोकप्रिय, स्पष्ट छवि के साथ काम करने वालों को वोट देकर इंदौर एवं इंदौर तहसील के परिणाम पुरे मध्यप्रदेश में प्रभावित कर रहे है। क्योंकि पहले 8 भाजपा 1 पर कांग्रेस थी, जब मोदी का जादु सर पर बोल रहा था। लेकिन इस बार ना मोदी ओर ना ही शिवराज की बात लोगों के समझ में आई। ओर ना ही कांग्रेस पसंद आई। जनता की मजबूरी थी, कि प्रदेश में परिवर्तन होना चाहिए, इसलिए भाजपा का विकल्प कांग्रेस को चुना। इसलिए इस बार 11 दिसबंर 2018 को इंदौर से भाजपा को काफी नुकसान होता दिखाई दे रहा है। वही इंदौर तहसील की चारों सीट भाजपा के हाथ से जा रही है। ऐसा अनुमान है कि भाजपा 2 सीट पर सिमट जाए वही कांग्रेस 7 सीट जीतती हुई दिखाई दे रही है। जो सीट कांग्रेस जीत रही है उसमें कांग्रेस नेताओं की मेहनत का नतीजा नहीं है, बल्कि जनता की नाराजगी की वजह से भाजपा अपनी पूर्व की जीती हुई सीट पर हार का खतरा स्पष्ट रूप से दिख रहा है। भाजपा में जमकर भीतरघात होने की आशंका है, वही कांग्रेस कार्यकर्ताओं को जीत की खुशबू आने से एकजूट होकर लड़ी, जनता की नाराजगी का फायदा कांग्रेस ने खुब उठाया। क्योंकि मध्यप्रदेश में अभी तक तीसरी ताकत उभर नहीं पाई। इसी का फायदा कांग्रेस के उम्मीद्ववार ने जमकर उठाया। जनता को शहर में हो रही तोड़फोड़ रास आई ओर ना ही नोटबंदी या जीएसटी का असर दिखाई दिया। जनता परेशान थी लेकिन भाजपा को विकास दिख रहा था। जैसा विकास भाजपा ने किया वो विकास जनता को पसंद नहीं आया। इसलिए इंदौर सहित इंदौर तहसील में इन उम्मीद्ववारों को जीत मिल सकती है। या इनके जीतने की उम्मीद बन गई है। नतीजा तो 11 दिसबंर 2018 को ही आना है। लेकिन लोगों की राय में इन प्रत्याक्षीयों का मतगणना के दौरान भाग्य चमक सकता है।
● संजय शुक्ला 1 विधानसभा

● रमेश मेंदौला 2 विधानसभा

● अश्विन जोशी 3 विधानसभा

● श्रीमती मालिनी गौड़ 4 विधानसभा

● सत्यनारायण पटेल 5 विधानसभा

● अंतर सिंग दरबार-महु विधानसभा

● जीतु पाटवारी राऊ विधानसभा

● विशाल पटेल देपालपुर विधानसभा

● तुलसी सिलावट सांवेर विधानसभा
● मध्यप्रदेश
मध्यप्रदेश में 230 सीटें हैं। इसके लिए 28 नवंबर को वोटिंग हुई थी। 75 फीसदी लोगों ने मतदान किया था। 2013 में भाजपा ने 165 और कांग्रेस ने 58 सीटें जीती थीं।
● राजस्थान
राजस्थान में इस बार 200 में से 199 सीटों पर वोटिंग हुई। यहां शुक्रवार को वोटिंग हुई। 2013 में यहां भाजपा ने 163 और कांग्रेस ने 21 सीटें जीती थीं।
● छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ में 90 सीटें हैं। यहां 12 नवंबर और 20 नवंबर को दो चरणों में वोटिंग हुई। कुल 76.35 फीसदी मतदान हुआ। पिछली बार भाजपा ने 49 और कांग्रेस ने 39 सीटें जीती थीं। बसपा के खाते में एक ही सीट आई थी, लेकिन उसका वोट प्रतिशत 4.4% रहा था। बसपा और जोगी की छजकां के बीच इस बार गठबंधन है। जोगी ने 2016 में कांग्रेस से अलग होकर पार्टी बनाई थी।
● तेलंगाना
राज्य में 119 सीटें हैं। यहां भी शुक्रवार को वोटिंग हुई। आंध्र से अलग होकर नए राज्य बने तेलंगाना में 2014 में पहली बार चुनाव हुआ था। तेलंगाना राष्ट्र समिति ने 63, कांग्रेस ने 21, तेदेपा ने 15, एआईएमआईएम ने 7 और भाजपा ने 5 सीटें जीती थीं। इस बार मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने छह महीने पहले ही विधानसभा भंग करने की सिफारिश की थी। इसी वजह से यहां जल्दी चुनाव हो रहे हैं। इस बार कांग्रेस और तेदेपा एक साथ चुनाव लड़ रहे हैं।
● मिजोरम
राज्य में 40 विधानसभा सीटें हैं। यहां 28 नवंबर को वोटिंग हुई थी। यहां 10 साल से कांग्रेस सत्ता में है। मुख्यमंत्री ललथनहवला तीन बार से मुख्यमंत्री हैं। 2013 में यहां कांग्रेस ने 34 सीटें जीती थीं। एमएनएफ को 5 और एमजेडपीसी को 1 सीट मिली थी। इस बार विधानसभा अध्यक्ष हेफई समेत कांग्रेस के कई नेता भाजपा में शामिल हो चुके हैं। भाजपा ने यहां चुनाव की कमान असम के मंत्री हेमंत बिस्व शर्मा को दी है, जिनके नेतृत्व में पार्टी ने इसी साल त्रिपुरा में पहली बार जीत हासिल की थी। मिजोरम कांग्रेस की सरकार वाले चार राज्यों में शामिल है।
पालीवाल वाणी ब्यूरो - Sunil Paliwal-Anil bagora-Mahesh Joshi...✍️
?Paliwalwani News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे...
www.fb.com/paliwalwani
www.twitter.com/paliwalwani
www.paliwalwani.com
Sunil Paliwal-Indore M.P.
Email- paliwalwani2@gmail.com
09977952406-09827052406-Whatsapp no- 09039752406
पालीवाल वाणी हर कदम... आपके साथ...
*एक पेड़...एक बेटी...बचाने का संकल्प लिजिए...*