इंदौर
एडवोकेट अमेंडमेंट बिल-2025 : वकीलों के विरोध के बाद सरकार ने वापस लिया
sunil paliwal-Anil Bagora
इंदौर. एडवोकेट अमेंडमेंट बिल 2025 (Advocate Amendment Bill 2025) रूपी काले कानून के विरुद्ध वकीलों के द्वारा दर्ज आपत्तियों पर विचार करने के बाद सरकार ने बिल पुनर्विचार के लिए वापस लेने का फैसला लिया.
इंदौर अभिभाषक संघ इन्दौर के पूर्व-अध्यक्ष गोपाल कचोलिया अभिभाषक ने बताया है कि एडवोकेट अमेंडमेंट बिल 2025 के विरोध में सम्पूर्ण भारत के वकीलों के विरोध-प्रदर्शन और हड़तालों के बाद अन्ततः शनिवार 22.2.2025 को केन्द्र सरकार ने एडवोकेट अमेंडमेंट बिल-2025 को पुनर्विचार हेतु वापस लेने की घोषणा कर दी है.
इस घोषणा के बाद वकीलों ने भी इस बिल के विरोध में की जा रही हड़ताल समाप्त कर दी है. बार कौंसिल आफ इण्डिया ने एडवोकेट अमेंडमेंट बिल 2025 को पुनर्विचार के लिए वापस लेने के निर्णय का स्वागत किया है.
गौरतलब है कि केन्द्र सरकार के विधि मंत्रालय के विधि मामलों के विभाग की ओर से सार्वजनिक परामर्श और आम लोगों के सुझाव प्राप्त करने के लिए दिनांक 13 फरवरी 2025 को एडवोकेट अमेंडमेंट बिल 2025 का मसौदा विधेयक जारी किया गया था और उस पर सब लोगों से सुझाव मांगे गये थे.
लेकिन मसौदे में वकील विरोधी अनेक प्रावधान को देखते ही वकीलों ने इस बिल का विरोध करना शुरू कर दिया था. वकीलों के विरोध प्रदर्शन और हड़तालों के बाद केंद्र सरकार ने बिल पुनर्विचार के लिए वापस लेने की घोषणा कर दी है. सरकार ने बिल के सम्बन्ध में सुझाव दावा / आपत्ति की प्रक्रिया भी बन्द कर दी है.
इंदौर गोपाल कचोलिया अभिभाषक ने इसे सम्पूर्ण भारत के वकीलों की एकता की जीत बताते हुए कहा है कि वकीलों की जागरूकता के कारण ही सरकार को यह बिल पुनर्विचार के लिए वापस लेने के बाध्य होना पड़ा है. अगर सही समय पर वकील समुदाय विरोध नही करता तो यह काला कानून लागू हो जाता.
इस काले कानून के कारण वकीलों के मौलिक अधिकारों का हनन होता और वकीलों की सर्वोच्च संस्था की स्वायत्तता और स्वतंत्रता प्रभावित होती. वकील इस काले-कानून के कारण निर्भिकता और निडरता के साथ अपने पक्षकारों के लिए लड़ नहीं पाते और जिसके फलस्वरूप पक्षकारों को न्याय नहीं मिल पाता.