इंदौर

पालीवाल भवन में विवादित एवं आपत्तिजनक शिला को तुरंत हटाया जावें - श्री दवे

Anil bagora
पालीवाल भवन में  विवादित एवं आपत्तिजनक शिला को तुरंत हटाया जावें - श्री दवे
पालीवाल भवन में विवादित एवं आपत्तिजनक शिला को तुरंत हटाया जावें - श्री दवे

इंदौर। पूर्व कार्यकारिणी सदस्य एवं वरिष्ठ समाजसेवी श्री नारायण दवे (दवे मेडिकोज) ने पालीवाल वाणी को बताया कि श्री पालीवाल ब्राह्मण समाज 44 श्रेणी इंदौर अध्यक्ष श्री भूरालाल व्यास के नाम से ज्ञापित पत्र में कहा गया कि विगत वर्ष 2015 में मंदिर एवं धर्मशाला की पहली मंजिल का पिछला हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था। तथा कार्यकारिणी ने इस क्षतिग्रस्त हिस्से को दुरूस्त करने एवं लेट-बाथ नये बनाने का निर्णय लेकर कार्य किया है। कार्य संपन्न हो गया है।

क्षतिग्रस्त हिस्सा का निर्माण करना कर्तव्य है

पूर्व कार्यकारिणी सदस्य एवं वरिष्ठ समाजसेवी श्री नारायण दवे (दवे मेडिकोज) ने पालीवाल वाणी को आगे बताया कि पदाधिकारी एवं कार्यकारिणी का भवन और समाज की सम्पत्ति की देख-रेख, रख-रखाव, टूटफूट को ठीक करना, रंगाई, पुताई, पुराने सामान को बदलना आदि कार्य अपने दायित्वों ओर कत्र्तव्यों का निर्वाह करना नियमों के अंतगर्त कार्य है, उपलब्धि नहीं हैं। जिसकी कार्यकारिणी अपने कार्यों का महिमा मंडन एवं प्रदर्शन किया जाएं।

महिमा मंडन एवं प्रदर्शन क्यों

हाल ही समय में आपने उक्त स्थान पर एक शिलालेख लगाया है जिसमें आपने कार्यकारिणी के नामों को महिमा मंडित किया है। यह उचित नहीं है। साथ ही यदि आप इस कार्य को आपकी उपलब्धि बता रहे है तो इस नामावली में स्वर्गीय देवकिशन शिवलाल जी जोशी (बिजनोल) जो कि कोषमंत्री थे। उनका नाम अंकित नहीं किया गया है। बड़े आश्चर्य का विषय है, यह सोच निंदनीय है। श्री देवकिशन जोशी इस कार्यकारिणी का हिस्सा थे। उनका नाम अंकित करके एक प्रकार से उनके स्वर्गवासी होने के बाद भी श्रद्वांजलि एवं सम्मान किया जा सकता था।

कार्यकारिणी समाज के इतिहास के पन्ने देखे

श्री दवे ने पत्र में यहा भी लिखा है कि इस बात का ध्यान दिलाना चाहता हूं कि समाज के पन्ने देखे जावें तो अपने पूर्ववर्ती समाजसेवियों, दानदाताओं और कार्यकार्यकारिणी के सैंकड़ों महानुभावों ने समाज को तन, मन, धन से इस मंदिर एवं धर्मशाला को मूर्तरूप दिया है। यदि वे लोग भी इस प्रकार से अपने नामों ओर त्याग का शिलालेखों पर उल्लेंख करते तो शायद आपको उक्त विवादित एवं आपत्तिजनक शिला के लगाने का स्थान नहीं मिलता या स्थान ढूंढना पड़ता। धन्य हैं वे त्यागी लोग जो चुपचाप अपने कत्र्तव्यों का निर्वाह करके चले गये है। उन्हें नमन करता हुं।

अध्यक्ष को पता नहीं और शिलालेंख लग जाए

श्री दवे ने समाज अध्यक्ष श्री भुरालाल व्यास के सम्मूख अपनी आपत्ति रखी तो अध्यक्ष महोदय ने इस तरह के शिलालेख लगाने पर अनभिन्नता जाहिर की तथा उल्ले मुझसे प्रश्न किया कि क्या कोई शिलालेख लगी है क्या! इसी प्रकार भवन मंत्री श्री देवकिशन पुरोहित से भी यहीं पूछा तो कहा मुझे भी कुछ मालूम नहीं है। दोनों महानुभाव के जवाब आश्चर्यजनक थे।

शिलालेंख लगाना उचित नहीं

श्री दवे ने पालीवाल वाणी को बताया कि इस प्रकार शिलालेंख लगाना उचित नहीं है। इस शिलालेंख को तुरंत हटाया जावें। इस कार्य पर किया गया खर्च व हटानें का खर्च जवाबदार लोगों से लिया जावें। भविष्य में इस प्रकार के कार्य समाज की स्वीकृति से किये जावें।

इनका कहना

काली शिलालेख पर गोल्डन नाम क्यों-अध्यक्ष को जानकारी नहीं 

अध्यक्ष ने कहा कि मैं मीटिंग में बैठा हुं

पालीवाल वाणी ने मोबाईल पर चर्चा करने पर यह कहा कि मुझे श्री नारायण दवे का कोई पत्र नहीं मिला हैं। और शिलालेख के संबंध में गोलमोल जवाब देकर कहा कि मैं अभी मीटिंग में बैठा हुं बाद में बात करना। ?

श्री भूरालाल व्यास, अध्यक्ष
श्री पालीवाल ब्राह्मण समाज 44 श्रेणी इंदौर म.प्र.
?नोटः- दिनांक 20 सितम्बर 2016 को पूर्व कार्यकारिणी सदस्य एवं वरिष्ठ समाजसेवी श्री नारायण दवे (दवे मेडिकोज) का लिखा गया पत्र पालीवाल वाणी के पास सुरक्षित है।

पालीवाल वाणी ब्यूरों से अनील बागोरा ✍
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