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Prayagraj Maha Kumbh 2025: महाकुंभ की भव्यता से बेचैन हुए पाकिस्तानी, बटवारे का दुःख मना रहे सरहद पार वाले

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Prayagraj Maha Kumbh 2025: महाकुंभ की भव्यता से बेचैन हुए पाकिस्तानी, बटवारे का दुःख मना रहे सरहद पार वाले
Prayagraj Maha Kumbh 2025: महाकुंभ की भव्यता से बेचैन हुए पाकिस्तानी, बटवारे का दुःख मना रहे सरहद पार वाले

Maha kumbh News in Pakistan: महाकुंभ 2025 की भव्यता ने न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में सनातन धर्मावलंबियों के दिलों में उत्साह जगा दिया है। प्रयागराज में गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पवित्र संगम पर चल रहे इस महापर्व के अलौकिक दृश्य दुनिया भर में लोगों को आकर्षित कर रहे हैं। लेकिन एक देश ऐसा भी है जहांकी खबरें चर्चा का विषय बनी हुई हैं, और वो है पाकिस्तान। महाकुंभ की भव्यता और आयोजन की भूरी-भूरी प्रशंसा कर रहे के हिंदू, अपने पूर्वजों को कोसने से भी पीछे नहीं हट रहे हैं।

पाकिस्तान में इंटरनेट पर महाकुंभ से जुड़े वीडियो और तस्वीरें सबसे ज्यादा देखे जा रहे हैं

महाकुंभ सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह सनातन संस्कृति की महानता और भारत की शक्ति का प्रतीक भी है। इस आयोजन में करोड़ों श्रद्धालु एकत्रित होते हैं, शाही स्नान के शुभ मुहूर्त का इंतजार करते हैं, और गंगा के पवित्र जल में डुबकी लगाकर अपने पापों से मुक्ति की कामना करते हैं। महाकुंभ की ऐसी भव्यता को देखकर पाकिस्तान में भी उत्सुकता बढ़ गई है। इंटरनेट पर महाकुंभ से जुड़े वीडियो और तस्वीरें पाकिस्तान में सबसे ज्यादा देखे जा रहे हैं। लेकिन यह उत्सुकता खुशी के बजाय एक प्रकार की हताशा में बदल रही है।

काश! बंटवारे के वक्त भारत न छोड़े होते तो वे भी इस आयोजन का हिस्सा हो पाते

सरहद के इस पार का नजारा पाकिस्तान में बैठे लोगों को बेचैन कर रहा है। महाकुंभ के दौरान गंगा स्नान, साधु-संतों का जमावड़ा, अखाड़ों की धर्म ध्वजाएं, और करोड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ देखकर पाकिस्तान के लोग मंत्रमुग्ध हैं। लेकिन उनके पास इस आयोजन में शामिल होने का कोई रास्ता नहीं है। पाकिस्तान के हिंदू समुदाय में महाकुंभ को लेकर उत्साह और निराशा का मिला-जुला असर दिख रहा है। कई लोग सोच रहे हैं कि उनके पूर्वजों ने 1947 में भारत में ही क्यों नहीं रुकने का निर्णय लिया। कुछ लोग अपने दादा-परदादाओं को कोस रहे हैं कि उन्होंने उस वक्त भारत छोड़ने का फैसला क्यों किया।

पाकिस्तानी सोशल मीडिया पर लोगऔर उनकी प्रशासनिक कुशलता की प्रशंसा कर रहे हैं। उनकी नजर में यह आयोजन भारत के विकास और धार्मिक सहिष्णुता का प्रमाण है। वहीं, पाकिस्तान में बढ़ती अस्थिरता और अराजकता के बीच यह भव्य आयोजन उनकी दुखती रग पर चोट कर रहा है। महाकुंभ में निशुल्क भोजन और रहने की व्यवस्था, वीआईपी इंतजाम, और करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम पाकिस्तानियों को हैरान कर रहे हैं। वे भारत की व्यवस्थागत क्षमता की तुलना अपने देश की बदहाल स्थिति से कर रहे हैं।

पाकिस्तानियों को इस बात पर विश्वास करना मुश्किल हो रहा है कि 40 करोड़ श्रद्धालु महाकुंभ में शामिल हो सकते हैं। उनकी प्रतिक्रिया में हैरानी, ईर्ष्या, और आत्मविश्लेषण की झलक दिखाई देती है।

महाकुंभ की भव्यता ने पाकिस्तान के हिंदुओं के दिलों में अपने जड़ों की ओर लौटने की तड़प जगा दी है। वे इस आयोजन को अपने धर्म और संस्कृति के गौरव का प्रतीक मानते हैं।

महाकुंभ के आंकड़े और पाकिस्तान के हाल

  • पाकिस्तान की कुल आबादी: 20 करोड़
  • महाकुंभ में श्रद्धालु: 40 करोड़
  • पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (PIA) के विमान: 31
  • महाकुंभ में चार्टर्ड प्लेन: 200
  • इस्लामाबाद के थाने: 13
  • महाकुंभ के लिए अस्थायी थाने: 56
  • पाकिस्तान की ट्रेनों की संख्या: 228
  • महाकुंभ की स्पेशल ट्रेनें: 3000

इन आंकड़ों को देखकर पाकिस्तान में महाकुंभ की भव्यता पर सन्नाटा छा गया है। वे समझ रहे हैं कि यह आयोजन सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि भारत की प्रशासनिक दक्षता और सांस्कृतिक शक्ति का भी प्रतीक है। महाकुंभ को दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक और सांस्कृतिक समागम माना जाता है। जहां एक दिन में पांच करोड़ लोगों का एक स्थान पर एकत्र होना संभव होता है। पाकिस्तान में बैठे लोग इन दृश्यों को देखकर दंग हैं और भारत की प्राचीन परंपराओं की गहराई को समझने की कोशिश कर रहे हैं।

महाकुंभ की भव्यता सिर्फ सनातन धर्म के लोगों के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक प्रेरणा है। पाकिस्तान के लोग इस आयोजन को देखकर जितना हैरान हैं, उतना ही अपने देश की हालत पर दुखी भी हैं। यह आयोजन न केवल आस्था का संगम है, बल्कि यह भारत की सामाजिक, सांस्कृतिक, और आर्थिक शक्ति का भी प्रतीक है।

पाकिस्तान के हिंदुओं के लिए यह एक ऐसा अवसर है जो उन्हें उनके धर्म और परंपरा की महिमा का एहसास कराता है। शायद यही कारण है कि वे अपने पूर्वजों के फैसलों पर सवाल उठा रहे हैं और अपने देश की स्थिति पर विचार करने के लिए मजबूर हो रहे हैं।

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