स्वास्थ्य

WHO की रिपोर्ट : बीमारी नहीं अस्पताल में घूमते बैक्टीरिया और वायरस होते हैं मरीज की मौत कारण

paliwalwani
WHO की रिपोर्ट : बीमारी नहीं अस्पताल में घूमते बैक्टीरिया और वायरस होते हैं मरीज की मौत कारण
WHO की रिपोर्ट : बीमारी नहीं अस्पताल में घूमते बैक्टीरिया और वायरस होते हैं मरीज की मौत कारण

क्या आपने सुना है कि किसी मरीज की मौत अस्पताल में जाने की वजह से हो गई? कई बार आपको लगता होगा कि मरीज अस्पताल जाते वक्त इतना भी बीमार नहीं था, लेकिन वापस जिंदा लौटकर नहीं आया. ऐसे मामले कई बार हमारी समझ से परे हो जाते हैं. लेकिन अगर आपको पता चले कि अस्पताल में ऐसे कई बैक्टीरिया और वायरस घूमते रहते हैं, जो बीमार और कमजोर मरीजों को और बीमार कर देते हैं और उनकी बीमारी लाइलाज हो जाती है. तो आपको बहुत सी बातें समझ में आ जाएंगी. ये ऐसा बैक्टीरिया होता है जिस पर आमतौर पर दवाएं बेअसर हो चुकी होती हैं. ये खुलासा WHO की इंफेक्शन कंट्रोल रिपोर्ट से हुआ है.

बड़े देशों में भी इंफेक्शन के हालात खराब

WHO की रिपोर्ट कहा गया है कि सेप्सिस यानी खून और दूसरे ऑर्गन में मौजूद इंफेक्शन के आधे से ज्यादा केस अस्पताल की वजह से होते हैं. WHO की रिपोर्ट के मुताबिक अच्छी हाइजीन के बावजूद कई बड़े देशों में भी इंफेक्शन के हालात खराब हैं.  

24 प्रतिशत लोग मर जाते हैं

दुनिया भर में अस्पताल से मिले इंफेक्शन की वजह से 24 प्रतिशत लोग मर जाते हैं. इसी तरह ऐसे मरीज जिन्हें आईसीयू में भर्ती होने की नौबत आती है, उनमें से सेप्सिस यानी इंफेक्शन के शिकार आधे मरीजों की मौत हो जाती है. मौतों की तादाद इस वजह से भी बढ़ जाती है क्योंकि ऐसे ज्यादातर इंफेक्शन पर एंटीबायोटिक दवाएं काम नहीं करती.  

106 देशों पर आधारित सर्वे रिपोर्ट

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी रिपोर्ट में ये भी दावा किया कि पिछले 5 सालों से कई देशों के इंफेक्शन कंट्रोल प्रोग्राम का सर्वे किया जा रहा है. 106 देशों के सर्वे में केवल 4 देश ऐसे थे जिनमें इंफेक्शन कंट्रोल के तरीके मौजूद थे. दुनिया भर में केवल 15 प्रतिशत हेल्थ केयर फैसिलिटी ऐसी हैं जहां इंफेक्शन कंट्रोल के तरीके अपनाए जा रहे हैं.  

अस्पतालों के लिए चुनौती

ऐसे इंफेक्शन का इलाज अब अस्पतालों के लिए चुनौती बन चुका है. अस्पतालों में भर्ती होने वाले 100 मरीजों में से अमीर देशों में 7 मरीज और गरीब देशों में 12 मरीज अस्पताल वाले इंफेक्शन के शिकार हो जाते हैं. आईसीयू में भर्ती तकरीबन 30 प्रतिशत मरीज अस्पताल में मौजूद इंफेक्शन की चपेट में आ जाते हैं. गरीब देशों के मामले में ये आंकड़ा 20 गुना ज्यादा है. अमेरिका के आंकड़ों के मुताबिक वहां भर्ती हर 31 में से एक मरीज और हर 43 में से एक अस्पताल कर्मी को इंफेक्शन चपेट में ले लेता है. अलग-अलग स्टडी के मुताबिक कोरोना की पहली लहर में 2020 में अस्पतालों में जितने मरीज भर्ती हुए उममें से 41 प्रतिशत को अस्पताल से इंफेक्शन मिला.

इंफेक्शन के मामले में क्या है देशों की स्थिति  

11 प्रतिशत देशों के पास अस्पताल में होने वाले इंफेक्शन को रोकने का कोई प्रोग्राम नहीं है.  

54 प्रतिशत देश ऐसे हैं जहां ऐसा प्रोग्राम तो है लेकिन वो ठीक तरीके से लागू नहीं किया गया है. भारत को भी इसी श्रेणी में रखा गया है.

34% देश ही ऐसे हैं जहां इंफेक्शन कंट्रोल सिस्टम पूरे देश में लागू है और उनमें से केवल 19% ही ऐसे हैं जहां ये सिस्टम असरदार तरीके से काम कर रहा है.  

कैसे कम होगा इंफेक्शन का खतरा

WHO के मुताबिक अगर इंफेक्शन कंट्रोल के तरीके अपना लिए जाएं तो हेल्थ केयर में होने वाला ये खतरा 70 प्रतिशत कम हो सकता है. Alcohol based hand rub अस्पताल में जरुरी जगह पर मौजूद होना चाहिए. जैसे मरीज के बेड के पास, एमरजेंसी, फर्स्ट एड, ओटी के बाहर आदि. आईसीयू में पहनकर जाने वाला एप्रन आईसीयू से बाहर नहीं आना चाहिए. ये नियम डॉक्टर, तीमारदार और मरीज सभी के लिए है. इसी तरह डॉक्टर जो स्टेथोस्कोप या कोई भी उपकरण अपने साथ लेकर जाएं उसे सेनेटाइज करने के बाद ही आईसीयू से बाहर लाया जाए. इसी तरह आईसीयू में मोबाइल फोन इंफेक्शन का बड़ा सोर्स बनते हैं. मोबाइल को अस्पताल के इंफेक्शन वाले एरिया में ना लाया जाए तो बेहतर है.

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