स्वास्थ्य
Health Alert : जोड़ों में जमा यूरिक एसिड का तुरंत सफाया कर देगी काली हल्दी, दर्द से मिलेगी राहत, जानें कैसे पहुंचाती है फायदा
Pushplataबुजुर्गों के साथ-साथ अब कम उम्र के लोग भी हाइपरयुरिसीमिया यानी हाई यूरिक एसिड की समस्या से परेशान रहने लगे हैं। कारण है खानपान में गड़बड़ और बेहद खराब लाइफस्टाइल। यूरिक एसिड दरअसल, एक टॉक्सिन है जो खाने से प्यूरीन नामक रसायन के टूटने पर बनता है। किडनी इन टॉक्सिन को फिल्टर कर टॉयलेट के जरिए बाहर निकाल देती हैं, लेकिन अधिक मात्रा में होने पर किडनी भी इन्हें निकालने में असमर्थ हो जाती हैं।
ऐसे में समय के साथ बॉडी में यूरिक एसिड की मात्रा बढ़ने लगती है और धीरे-धीरे ये हड्डियों के बीच में क्रिस्टल के रूप में जमा होना शुरू हो जाता है, इससे बोन्स के बीच में गैप होने लगता है, हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और व्यक्ति को जोड़ों में तेज दर्द, अकड़न और सूजन का सामना करना पड़ता है। कई बार तो ये दर्द इतना बढ़ जाता है कि पीड़ित को चलने-फिरने में भी परेशानी होने लगती है, साथ ही हाई यूरिक एसिड का खराब असर किडनी पर भी पड़ता है। ऐसे में इन टॉक्सिन को कंट्रोल करना और जरूरी हो जाता है।
क्या है समाधान?
हाई यूरिक एसिड के लिए प्यूरिन जिम्मेदार होता है, ऐसे में सबसे पहले ऐसे खाद्द पदार्थ से पूरी तरह दूरी बना लें जिसमें प्यूरिन की मात्रा पाई जाती है, साथ ही शारीरिक गतिविधियों को बढ़ा दें। इन सब के साथ कुछ खास चीजों का सेवन करने से हड्डियो के बीच में जमा प्यूरिक के क्रिस्टल को पिघलाने में मदद मिल सकती है। इन्हीं खास चीजों में से एक है काली हल्दी।
आपने अक्सर पीली हल्दी और इससे जुड़े कई गुणों के बारे में सुना होगा। वहीं,एक्सपर्ट्स की मानें तो काली हल्दी का सेवन आपको पीली हल्दी के मुकाबले अधिक फायदा पहुंचा सकता है। काली हल्दी कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से निजात दिलाने में असरदार है, हाई यूरिक एसिड की परेशानी भी इन समस्याओं में से एक है।
काली हल्दी का उपयोग आमतौर पर खाना पकाने में नहीं किया जाता है। इससे अलग ये पारंपरिक औषधीय के रूप में उपयोग होती है। साथ ही कई दवाओं को बनाने में भी काली हल्दी का उपयोग किया जाता है, जिसके चलते इसकी कीमत पीली हल्दी के मुकाबले अधिक होती है।
कैसे पहुंचाती है आराम?
दरअसल, काली हल्दी में करक्यूमिनोइड्स की मात्रा अधिक पाई जाती है, जो एक पावरफुल एंटीऑक्सीडेंट के रूप में काम करता है। इससे शरीर के किसी भी अंग में सूजन को कम करने में मदद मिलती है। साथ ही ये जोड़ों में दर्द की समस्या से भी राहत दिलाने का काम करता है। इसके अलावा काली हल्दी में कार्मिनेटिव गुण होते हैं, जो पाचन एंजाइमों के स्राव को उत्तेजित करके स्वस्थ पाचन को भी बढ़ावा देते हैं, इससे प्यूरिन से भरपूर चीजों का पाचन भी बेहतर तरीके से हो पाता है और ये हड्डियों के बीच जमता नहीं है। इस तरह काली हल्दी का सेवन करने से शरीर में बढ़े हुए यूरिक एसिड को कम करने में मदद मिल सकती है। साथ ही अर्थराइटिस और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी गंभीर बीमारियों का जोखिम भी कम होता है।
इस तरह करें सेवन
आप काली हल्दी के पाउडर का सेवन दूध या हल्के गुनगुने पानी के साथ कर सकते हैं। इससे दर्द से राहत मिलेगी। इसके अलावा आप चाहें तो इसे किसी स्मूदी या सूप में डालकर भी पी सकते हैं, काली हल्दी से हर्बल चाय बनाई जा सकती है। इन सब के अलावा जोड़ों में दर्द बढ़ने की स्थिति में काली हल्दी का लेप भी राहत दिलाने में मददगार हो सकता है।