दिल्ली

Supreme Court : राहुल गांधी मानहानि केस की 21 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में फिर होगी सुनवाई

Paliwalwani
Supreme Court : राहुल गांधी मानहानि केस की 21 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में फिर होगी सुनवाई
Supreme Court : राहुल गांधी मानहानि केस की 21 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में फिर होगी सुनवाई

नई दिल्ली :

  • मोदी सरनेम मामले में सजा पाए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने उनकी इस याचिका पर सुनवाई के लिए हामी भर दी है। कोर्ट ने कहा है कि वह 21 जुलाई 2023 को इस मामले में सुनवाई करेगी।

गौरतलब है कि राहुल गांधी को गुजरात की सूरत कोर्ट ने मोदी सरनेम को लेकर टिप्पणी करने के मामले में मानहानि का दोषी पाया था और उन्हें दो साल की जेल की सजा सुनाई थी। इस मामले में उन्हें गुजरात हाईकोर्ट से भी राहत नहीं मिली थी। इसी फैसले के खिलाफ राहुल ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

मामला यह है कि 2019 में मोदी उपनाम को लेकर की गई टिप्पणी के मामले में 23 मार्च 2023 को सूरत की सीजेएम कोर्ट ने राहुल को दो साल की सजा सुनाई थी, हालांकि, कोर्ट ने फैसले पर अमल के लिए 30 दिन की मोहलत भी दी थी। 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान कर्नाटक के कोलार की एक रैली में राहुल गांधी ने कहा था, ‘कैसे सभी चोरों का उपनाम मोदी है?’ इसी को लेकर भाजपा विधायक और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था। राहुल के खिलाफ आईपीसी की धारा 499 और 500 (मानहानि) के तहत मामला दर्ज किया गया था।

23 मार्च 2023 को निचली अदालत ने राहुल को दोषी ठहराते हुए 2 साल की सजा सुनाई थी। इसके अगले ही दिन राहुल की लोकसभा सदस्यता चली गई थी। राहुल की अपना सरकारी घर भी खाली करना पड़ा था। निचली अदालत के इस फैसले के खिलाफ दो अप्रैल को राहुल ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जस्टिस प्रच्छक ने मई में राहुल गांधी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उन्हें अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया था। पिछले दिनों हाईकोर्ट ने भी इस मामले में फैसला सुनाया और राहुल की याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने राहुल की निंदा भी की।

न्यायमूर्ति हेमंत प्रच्छक ने कहा कि राहुल के खिलाफ कम से कम 10 आपराधिक मामले लंबित हैं। मौजूदा केस के बाद भी उनके खिलाफ कुछ और केस भी दर्ज हुए। ऐसा ही एक मामला वीर सावरकर के पोते ने दायर किया है। न्यायमूर्ति ने आगे कहा कि दोषसिद्धि से कोई अन्याय नहीं होगा। दोषसिद्धि न्यायसंगत एवं उचित है। पहले दिए गए आदेश में हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है। इसलिए आवेदन खारिज किया जाता है।

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