दिल्ली

छींक को रोकना असंभव नहीं लेकिन बेहद खतरनाक : जान पर बन आई

paliwalwani
छींक को रोकना असंभव नहीं लेकिन बेहद खतरनाक : जान पर बन आई
छींक को रोकना असंभव नहीं लेकिन बेहद खतरनाक : जान पर बन आई

छींक को रोककर सबसे बड़ी गलती कर दी

नई दिल्ली :

छींक को रोकना असंभव नहीं लेकिन बेहद खतरनाक है। यह किसी स्टंट से कम नहीं जिससे जान तक जा सकती है। हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट में ऐसी ही एक घटना के बारे में बताया गया है कि कैसे एक शख्स ने छींक रोकने के लिए ऐसा किया कि उसकी सांस की नली ही फट गई। दो मिलीमीटर लंबा छेद हो गया।

डॉक्टरों के मुताबिक, यह अपनी तरह का पहला ज्ञात मामला है। इससे उसकी जान तक जा सकती थी। डॉक्टर तब हैरान रह गए जब उन्होंने पाया कि इतनी बड़ी दुर्घटना होने के बाद उसे सांस लेने में कोई तकलीफ नहीं हो रही थी। वह आराम से बात कर पा रहा था और उसे खाना निगलने में भी कोई परेशानी नहीं हुई। हालांकि उसकी गर्दन दोनों ओर से सूज गई थी और आवाज में कर्कश पन था।

यह घटना तब हुई जब उस व्यक्ति को कार चलाते समय अचानक छींक आने का अहसास हुआ। उसने इसे रोकने के लिए अपनी नाक के नीचे अंगुली रख दी और मुंह बंद कर दिया। इससे हुआ यूं कि छींक आने से उसके मुंह के अंदर बहुत दबाव आ गया। रिपोर्ट के अनुसार, इस अजीब छींक नियंत्रण तकनीक का उसके शरीर में बिल्कुल विपरीत प्रभाव पड़ा। छींक रोकने की वजह से उसकी श्वास नली में दो मिलीमीटर का एक छोटा सा छेद हो गया। छींक रोकने से इसका इतना शक्तिशाली प्रभाव पड़ा कि छींक सामान्य से 20 गुना अधिक तेज थी।

साल 2018 में ब्रिटेन में हुई यह दुर्लभ घटना को हाल ही में बीएमजे केस रिपोर्ट में प्रकाशित किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि छींक रोकने से 34 वर्षीय उस शख्स के मुंह के अंदर दबाव इतना अधिक था कि श्वास नली फट गई। श्वास नली में 0.08 इंच का छेद हो गया। इसके अलावा, वह आदमी दर्द से छटपटा रहा था। उसकी गर्दन दोनों तरफ से सूज गई थी। डॉक्टरों ने उसकी जांच की और हल्की सी कर्कश आवाज सुनी। हालांकि, शख्स को सांस लेने, बात करने या निगलने में कोई परेशानी नहीं हो रही थी।

एक्स-रे से पता चला कि उस आदमी को ऐसी बीमारी है, जो अक्सर धूल के संपर्क में आने से छींक बढ़ा देती है। उसने लगातार आ रही छींक को रोकने के लिए ऐसा किया था। डॉक्टरों ने कहा कि उसे सर्जरी की जरूरत नहीं है। हालांकि, उसे दो दिनों तक अस्पताल में निगरानी में रखा गया। डिस्चार्ज के दौरान, डॉक्टरों ने उसे पेन किलर और हाई फीवर की दवाई थी। कुछ दिनों तक किसी भी शारिरिक काम को न करने की सलाह दी। पांच सप्ताह बाद सीटी स्कैन से पता चला कि घाव पूरी तरह से ठीक हो गया है।

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