दिल्ली
भारत ने बंद किया बांग्लादेश की कमाई का रास्ता
paliwalwani
नई दिल्ली. भारत ने बांग्लादेश को दी गई पारगमन (ट्रांसशिपमेंट) सुविधा को वापस ले लिया है. यह फैसला पश्चिम एशिया, यूरोप और अन्य देशों में निर्यात के लिए बांग्लादेश द्वारा भारतीय बंदरगाहों और हवाई अड्डों के उपयोग को लेकर लिया गया है. हालांकि, नेपाल और भूटान को यह सुविधा पहले की तरह मिलती रहेगी.
पारगमन या ट्रांसशिपमेंट का अर्थ होता है किसी देश के बंदरगाह, हवाई अड्डे या रास्तों का अस्थायी उपयोग कर, दूसरे देश तक माल पहुंचाना. बांग्लादेश लंबे समय से भारत के रास्ते अपना माल तीसरे देशों को भेजता रहा है
पीटीआई के रिपोर्ट के अनुसार, यह कदम ढाका की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस द्वारा चीन में दिए गए विवादास्पद बयान के कुछ दिनों बाद उठाया गया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत के पूर्वोत्तर राज्य, जिनकी बांग्लादेश के साथ लगभग 1,600 किलोमीटर की सीमा लगती है, चारों ओर से जमीन से घिरी हुई हैं तथा इनके पास उनके देश के अलावा महासागर तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं है. ये टिप्पणियां भारत को रास नहीं आई थीं.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, “बांग्लादेश को दी गई पारगमन सुविधा के कारण हमारे हवाई अड्डों और बंदरगाहों पर काफी भीड़ हो रही है. इससे हमारे निर्यात में देरी और लागत में वृद्धि हो रही है.” उन्होंने स्पष्ट किया कि 8 अप्रैल से यह सुविधा बंद कर दी गई है. जायसवाल ने अपनी साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा, ‘‘स्पष्ट करने के लिए बता दूं कि इन उपायों से भारतीय क्षेत्र से होकर नेपाल या भूटान को बांग्लादेश से होने वाले निर्यात पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.’’
यूनुस और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चार अप्रैल को बैंकॉक में बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान बातचीत की थी. भारतीय पक्ष हालांकि यूनुस और मोदी के बीच बैठक के बारे में ढाका की ओर से जारी बयान, विशेषकर अल्पसंख्यकों पर हमलों और हसीना के प्रत्यर्पण के लिए अनुरोध से नाराज था.
इस मामले से जुड़े लोगों ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस और प्रधानमंत्री मोदी के बीच बैंकॉक में हुई बैठक के संबंध में बांग्लादेश की ओर से जारी बयान को ‘‘शरारतपूर्ण और राजनीति से प्रेरित’’ बताया था. यूनुस के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने शनिवार को एक फेसबुक पोस्ट में कहा था कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने बैंकॉक में हुई बैठक में मोदी के समक्ष हसीना के प्रत्यर्पण के लिए बांग्लादेश के अनुरोध को उठाया और ‘‘प्रतिक्रिया नकारात्मक नहीं थी.