दिल्ली
मैंने राहुल गांधी के कारण कांग्रेस छोड़ी : गुलाम नबी आजाद
Paliwalwaniनई दिल्ली :
गुलाम नबी आजाद की आत्मकथा 'आजाद' का बुधवार को राजधानी दिल्ली में विमोचन हो गया। आजाद की इस किताब में भारतीय राजनीति के कई राज और रोचक किस्से होंगे। इस किताब की कहानी तो बाद में लेकिन आज इसके विमोचन के मौके पर गुलाम नबी आजाद ने जो कहा उसे जानिए।
दशकों तक कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे गुलाम नबी आजाद ने पिछले साल जब कांग्रेस को छोड़ा था, तब कई तरह भी बातें हुई थी। आज जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस छोड़ने का कारण खुद ही बता दिया है। गुलाम नबी आजाद ने बुधवार को राजधानी दिल्ली में अपनी किताब आजाद के विमोचन के मौके पर कहा कि राहुल गांधी ही कारण हैं, जिसकी वजह से आज वो कांग्रेस पार्टी का हिस्सा नहीं है।
आजाद ने कहा कि सोनिया गांधी ने पार्टी के लिए बहुत कड़ी मेहनत की। अगर राहुल उनके मुकाबले 150 वा हिस्सा भी मेहनत कर लेते तो कांग्रेस पार्टी कुछ और होती। एक राजनितिक दल अपनी मर्जी के अनुसार नहीं चल सकती। मैंने कांग्रेस से बनने वाले सभी प्रधानमंत्रियों के साथ काम किया।
वहीं क्या राहुल गांधी ही कारण की आज गुलाम नबी आजाद कांग्रेस पार्टी का हिस्सा नहीं है। उन्होंने इसके जवाब में कहा हां ये सच है। उन्होंने कहा कि आज कांग्रेस में सोनिया गांधी की चलती तो मैं पार्टी के बाहर ही नहीं होता। न ही अब मल्लिकार्जुन खडगे कोई बड़ा निर्णय ले पाने में सक्षम हैं। वहीं उन्होंने कांग्रेस नेता जयराम रमेश पर कमेंट पर करते हुए कहा, मैं 24 कैरेट कांग्रेसी हूं और वो 18 कैरेट हैं।
आजाद ने इस पुस्तक में अपने 55 सालों के राजनीतिक अनुभवों का जिक्र किया है। राजनीतिक और वैचारिक संघर्ष को लेकर जयराम रमेश और सलमान खुर्शीद जैसे वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने अपनी किताब में सलमान खुर्शीद को पर भी निशाना साधा है। आजाद के मुताबिक, सलमान ने जी-23 में उनके रोल पर सवाल उठाए थे।
असम के मुख्यमंत्री और भाजपा नेता हिमंता बिस्वा सरमा एक समय नॉर्थ ईस्ट में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार थे। हिमंता ने 2001 में कांग्रेस के टिकट पर पहली बार विधानसभा चुनाव जीता था। इसके बाद 2004 से 2014 तक वह असम सरकार में मंत्री रहे। 2015 में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा जॉइन कर ली थी। गुलाम नबी आजाद ने जिस घटना का जिक्र किया है, वो इसी दौरान की है।
भाजपा में आने के बाद 2016 में हिमंता को मंत्री बनाया गया। सर्बानंद सोनोवाल की अगुआई में वह सरकार में मंत्री रहे। इसके बाद 2021 में सर्बानंद को हटाकर हिमंता को मुख्यमंत्री बना दिया गया। आज के समय पूरे नॉर्थ ईस्ट में भाजपा को मजबूत करने के लिए हिमंता को जिम्मेदारी दी गई है।
कांग्रेस के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि एक बैठक के दौरान कई कांग्रेसी नेताओं ने हिमंता बिस्वा सरमा का मुद्दा उठाया। कहा कि इसे अच्छे से मैनेज किया जाना चाहिए क्योंकि असम में ज्यादातर विधायक हिमंता के साथ हैं। तब राहुल ने तुरंत बिना कुछ सोचे-समझे कह दिया कि जाने दो उसे…। गुलाम का कहना है कि तब उन्हें यकीन नहीं हुआ कि राहुल दूरगामी परिणामों को बिना जाने ये बोल रहे हैं और इसका असर न केवल असम में देखने को मिलेगा बल्कि पूरे नॉर्थ ईस्ट में नुकसान उठाना पड़ेगा।
गुलाम ने आगे लिखा, जब उन्होंने इसके बारे में सोनिया गांधी को बताया तो उन्होंने भी अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी नहीं निभाई। सोनिया ने मुझसे कहा कि हिमंता से नाव न चलाने का अनुरोध करें।
गुलाम नबी आजादी की आत्मकथा का प्रकाशन करने वाली रूपा प्रकाशक ने दावा किया है कि इस किताब में राजीव गांधी से लेकर सोनिया और राहुल गांधी तक के बारे में कई बड़े खुलासे हुए हैं। आजाद ने कांग्रेस से जुड़ी कई अहम बातों को इस किताब के जरिए दुनिया के सामने रखने की कोशिश की है।