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‘नीचता में नाम पैदा करने निकले हैं’, क्रिकेटर युवराज सिंह के पिता ने हिंदी को बताया ‘औरतों की भाषा’ तो भड़के मनोज मुंतशिर, बोले- इस महामूर्ख को थप्पड़…

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‘नीचता में नाम पैदा करने निकले हैं’, क्रिकेटर युवराज सिंह के पिता ने हिंदी को बताया ‘औरतों की भाषा’ तो भड़के मनोज मुंतशिर, बोले- इस महामूर्ख को थप्पड़…
‘नीचता में नाम पैदा करने निकले हैं’, क्रिकेटर युवराज सिंह के पिता ने हिंदी को बताया ‘औरतों की भाषा’ तो भड़के मनोज मुंतशिर, बोले- इस महामूर्ख को थप्पड़…

Manoj Muntashir On Yograj Singh: भारतीय टीम के स्टार क्रिकेटर रहे युवराज सिंह के पिता योगराज सिंह अपने एक इंटरव्यू को लेकर चर्चा में हैं। इस इंटरव्यू में उन्होंने महिलाओं को लेकर विवादित बयान दिया है। साथ ही यह भी कहा कि हिंदी औरतों की भाषा है। अब उनका ये बयान सुनने के बाद फेमस राइटर मनोज मुंतशिर भड़क गए हैं। उन्होंने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर एक ट्वीट करते हुए योगराज सिंह को खूब खरी-खोटी सुनाई है। वहीं यूजर्स भी इस पर अब अपना-अपना रिएक्शन देते हुए नजर आ रहे हैं।

औरतों की भाषा है हिंदी

मनोज मुंतशिर ने अपने सोशल मीडिया हैंडल एक्स पर एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें योगराज सिंह को कहते हुए सुना जा सकता है कि मुझे तो हिंदी भाषा ऐसी लगती है, जैसे कोई औरत बोल रही हो। इसके बाद जब उनसे पूछा गया कि क्या आपको हिंदी पसंद नहीं है। इसके जवाब में युवराज के पिता ने कहा कि पसंद है, जब औरत बोलती है तो बहुत अच्छा लगता है, लेकिन जब मर्द हिंदी बोलता है तो ऐसा लगता है कि क्या बोल रहा है ये, कौन आदमी है ये।

इसके आगे जब योगराज सिंह से पूछा गया कि तो मर्दों की भाषा कौन सी है, तो उन्होंने पंजाबी में बोलना शुरू कर दिया ये मर्दों की भाषा है। सिर्फ इतना ही नहीं, इसके बाद योगराज ने औरतों जैसी आवाज में बात करते हुए कहा कि ये कोई भाषा है। हिंदी में जब कोई कहता है तो मुझे ऐसा लगता है जैसे मैं गिर रहा हूं। हालांकि,  उन्होंने मुगल-ए-आजम में बोली गई हिंदी की तारीफ की।

भड़क गए मनोज मुंतशिर

इस वीडियो को शेयर करते हुए मनोज मुंतशिर ने कैप्शन में लिखा कि युवराज सिंह ने देश का नाम ऊंचा किया, उनके पिता योगराज सिंह नीचता में नाम पैदा करने निकले हैं। सुनिए इस जाहिल को, ‘मर्दों की भाषा पंजाबी, औरतों की भाषा हिंदी’,  दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी भाषा और इस देश की वीर नारियों को अपमानित करने वाले इस महामूर्ख को ‘थप्पड़ की भाषा’ बताने वाला कोई होना चाहिए।

इसके आगे उन्होंने लिखा कि स्त्रीत्व और हिंदी, दोनों ने हमें सहनशक्ति सिखाई है, वरना इस जहर उगलने वाले सांप के विषदंत तोड़ने वाले हिंदी मां के बेटे-बेटियों की भारत में कोई कमी नहीं है। एक प्रार्थना इस रोगी के लिए अपने तेजस्वी गुरुओं की महान भाषा पंजाबी में करना चाहता हूं और लास्ट में उन्होंने गेट वेल सून लिखा।

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