ज्योतिषी
रक्षाबंधन पर्व मुहुर्त योग : महर्षि बाबू लाल शास्त्री
paliwalwaniटोंक. रक्षाबंधन श्रावण शुक्ला पुर्णिमा के दिन भद्रा रहित एवं तीन मुहुर्त से अधिक उदय व्यापिनी श्रावण शुक्ला पुर्णिमा के अपराह्न या प्रदोष काल में रक्षाबंधन पर्व मनाया जाना शास्त्र सम्मत है, यदि पहले दिन व्याप्त पुर्णिमा के अपराह्नकाल में भद्रा हो तथा दुसरे दिन उदयकालिक पूर्णिमा तिथि त्रिमूहर्त व्यापिनी हो तो उसी उदयकालिक पुर्णिमा दुसरे दिन के अपराह्नकाल में रक्षा बंधन मनाना चाहिए, पुर्णिमा अपराह्न से पूर्व ही समाप्त हो जाये, तब भी पुरुषार्थ चिन्ता मणि अनुसार उस समय साकल्यापादित पूर्णिमा का अस्तित्व होता है, इस वर्ष श्रावण शुक्ला पुर्णिमा 19 अगस्त 2024 सोमवार को सुबह सूर्योदय से पूर्व 3=05बजे से रात्रि 23=55बजे तक है श्रवण नक्षत्र सूर्योदय से सुबह 8=10बजे तक है
मनु ज्योतिष एवं वास्तु शोध संस्थान टोंक के निदेशक महर्षि बाबूलाल शास्त्री ने बताया कि स्थानीय पंचांगो अनुसार इस वर्ष श्रावण शुक्ला पुर्णिमा19अगस्त अगस्त सोमवार को सूर्योदय से पूर्व 3=05 बजे से रात्रि 23=55बजे तक हे सूर्योदय सुबह 6.04 बजे से है श्रवण नक्षत्र सूर्योदय से सुबह 8=10बजे तक है चन्द्र देव मकर राशि में भ्रमण करेंगे, भद्रा का वास इस दिन दोपहर13=32बजे तक नाग लोक नैऋत्य कोण में रहेगा।अत दोपहर 13=32से पुर्व ही सुण माढना जिमा लेना चाहिए
मुहुर्त चिन्तामणि के अनुसार जब चंद्रमा कन्या तुला धनु मकर राशि में होता है तब भद्रा का वास पाताल लोक पर होता है और उसका अधो मुख होता हैं, जो शुभ है। महर्षि बाबूलाल शास्त्री ने बताया कि सुण मांडना एवं जिमाना 19 अगस्त सोमवार को दोपहर 13-32बजे से पहले जिमा लेना चाहिए। रक्षा बन्धन का शुभ समय दोपहर 13=32 भद्रा के बाद चोघडिया अनुसार दोपहर चंचल 02=07बजे से लाभ 03=44से अमृत 05=21बजे से रात्रि08=20बजे तक है अपरान्ह काल विशेष समय दोपहर 01=48से04=22तक शुभ है प्रदोष काल सायं काल 06=57से रात्रि 09=10बजे तक रहैगा
- महर्षि, बाबू लाल शास्त्री टोक राजस्थान मो 9413129502