ज्योतिषी
रक्षाबंधन पर्व मुहुर्त योग 2023
Paliwalwaniटोंक : रक्षाबंधन श्रावण शुक्ला पुर्णिमा के दिन भद्रा रहित एवं तीन मुहुर्त से अधिक उदय व्यापिनी श्रावण शुक्ला पुर्णिमा के अपराह्न या प्रदोष काल में रक्षाबंधन पर्व मनाया जाना शास्त्र सम्मत है, यदि पहले दिन व्याप्त पुर्णिमा के अपराह्नकाल में भद्रा हो तथा दूसरे दिन उदयकालिक पूर्णिमा तिथि त्रिमूहर्त व्यापिनी हो तो उसी उदयकालिक पुर्णिमा दूसरे दिन के अपराह्नकाल में रक्षा बंधन मनाना चाहिए.
पुर्णिमा अपराह्न से पूर्व ही समाप्त हो जाये, तब भी पुरुषार्थ चिन्ता मणि अनुसार उस समय साकल्यापादित पूर्णिमा का अस्तित्व होता है, यदि आगामी दूसरे दिन पूर्णिमा त्रि-मूहर्त व्यापिनी नहीं हो, तब पहले दिन भद्रा समाप्त होने पर प्रदोष काल में रक्षा बंधन का नियम है। मनु ज्योतिष एवं वास्तु शोध संस्थान टोंक के निदेशक महर्षि बाबूलाल शास्त्री ने पालीवाल वाणी को बताया कि स्थानीय पंचांगो अनुसार इस वर्ष श्रावण शुक्ला पुर्णिमा 30 अगस्त बुधवार को चतुर्दशी सुबह 10.58 बजे के उपरांत शुभारंभ है, जो 31 अगस्त 2023 गुरुवार को सुबह 7.05 बजे तक है, सूर्योदय सुबह 6.09 बजे से है, जो तीन मुहुर्त व्यापिनी नहीं है. 30 अगस्त बुधवार को धनिष्ठा नक्षत्र रात्रि 8.46 बजे तक उपरांत शतभिषा नक्षत्र है, चन्द्र देव सुबह 10.18 बजे कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे. भद्रा का वास इस दिन सुबह 10.58 बजे से रात्रि 9.02 बजे तक पृथ्वी लोक नैऋत्य कोण में रहेगा.
मुहूर्त चिंतामणि के अनुसार जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ या मीन राशि में होता है, तब भद्रा का वास पृथ्वी पर होता है और उसका मुख सामने होता हैं, जो अशुभ है. बाबूलाल शास्त्री ने पालीवाल वाणी को बताया कि धर्म सिन्धु एवं निर्णय सिंधु के अनुसार रक्षा बंधन का कर्म काल अपराह्न या प्रदोष काल में कहा गया है. 30 अगस्त बुधवार को अपराह्न व्यापिनी पूर्णिमा मे भद्रा दोष विद्यमान है एवं आगामी दिन पूर्णिमा त्रिमूहर्त व्यापिनी नहीं है. पूर्णिमा सुबह 7.05 बजे समाप्त हो रही है. अत: 30 अगस्त बुधवार को रात्रि 9.02 बजे पश्चात भद्रा मुक्त समय में यह पर्व मनाया जाना चाहिए. पुर्णिमा को भद्रा सुबह 10.58 बजे प्रारंभ होगी. जिस के चतुर्थ प्रहर प्रारम्भ सायं 6.32 से रात्रि 8.13 बजे तक में भद्रा का मुख होता है. इस अवधि में सभी कार्यों का त्याग करना आवश्यक है, भद्रा पुंछ काल सायं 5.32 से 6.32 तक मुहुर्त प्रकाश अनुसार विशेष परिस्थिति में रक्षा सूत्र बांध सकते हैं. सुण मांडना एवं जिमाना 30 अगस्त बुधवार को सुबह 10.58से पूर्व ही कर लेना चाहिए.
देश-काल एवं परिस्थिति के अनुसार जहां 31 अगस्त 2023 गुरुवार को प्रतिपदा युक्त पुर्णिमा उदयकालिन तीन मुहुर्त से अधिक व्यापिनी है, वहां विद्वानों द्वारा भद्रा रहित रक्षा बंधन पर्व मनाना बताया है.