धर्मशास्त्र
जीवन मे शीतलता की कामना का पर्व शीतला पूजन : पं. विक्रम पुरोहित
Paliwalwani
शीतला सातम का पूजन दिनांक 24 मार्च 2022 गुरुवार को रहेगा. जिसमें ’माताओं बहनों द्वारा अपने जीवन मे शीतलता बनी रहे. इसलिए इसका पूजन किया जाता है. जिसमें ठण्डा बासोङा दिनांक 23 मार्च 2022, बुधवार को शाम को बनाया जाएगा.
बसौड़ा पर्व की पौराणिक कथा : बसौड़ा पर्व यानी शीतला सप्तमी के दिन शीतला माता का पूजन तथा कथा का वाचन किया जाता है. लोक किंवदंतियों के अनुसार बसौड़ा की पूजा माता शीतला को प्रसन्न करने के लिए की जाती है. इस कथा के अनुसार कि एक बार किसी गांव में गांववासी शीतला माता की पूजा-अर्चना कर रहे थे तो मां को गांववासियों ने गरिष्ठ भोजन प्रसादस्वरूप चढ़ा दिया.
शीतलता की प्रतिमूर्ति मां भवानी का गर्म भोजन से मुंह जल गया. तो वे नाराज हो गईं और उन्होंने कोपदृष्टि से संपूर्ण गांव में आग लगा दी. बस केवल एक बुढ़िया का घर सुरक्षित बचा हुआ था. गांव वालों ने जाकर उस बुढ़िया से घर न जलने के बारे में पूछा तो बुढ़िया ने मां शीतला को गरिष्ठ भोजन खिलाने वाली बात कही और कहा कि उन्होंने रात को ही भोजन बनाकर मां को भोग में ठंडा-बासी भोजन खिलाया. जिससे मां ने प्रसन्न होकर बुढ़िया का घर जलने से बचा लिया.
बुढ़िया की बात सुनकर गांव वालों ने मां शीतला से क्षमा मांगी और रंगपंचमी के बाद आने वाली सप्तमी के दिन उन्हें बासी भोजन खिलाकर मां का बसौड़ा पूजन किया. हिन्दू व्रतों में केवल यही व्रत ऐसा है जिसमें बासी भोजन किया जाता है. इस दिन मां शीतला का पूजन करने से माता अपने भक्तों को धन-धान्य से परिपूर्ण कर, उनके संतानों को लंबी आयु देती है तथा हर भक्त प्राकृतिक विपदाओं से दूर रखती हैं.
पंड़ित विक्रम पुरोहित (श्री सुदामा जी) शामगढ, मोबाईल नं. 9993513823