Monday, 30 June 2025

धर्मशास्त्र

रंग पंचमी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

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रंग पंचमी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
रंग पंचमी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

रंग पंचमी भारत में एक ऐसा त्योहार है, जो केवल आनंद मनाने का अवसर नहीं है, बल्कि यह आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक परंपराओं से जुड़ने का एक महत्वपूर्ण माध्यम भी है।

यह पर्व होली के पांच दिन बाद मनाया जाता है। होली के समय लोग एक-दूसरे पर रंग डालकर खुशियाँ मनाते हैं, जबकि रंग पंचमी पर रंगों और गुलाल को आसमान में उड़ाने की परंपरा है। धार्मिक दृष्टिकोण से, ऐसा करने से न केवल वातावरण की शुद्धि होती है, बल्कि देवताओं का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।

रंग पंचमी विशेष रूप से महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। महाराष्ट्र में इसे “शिमगा” के नाम से जाना जाता है, और इस अवसर पर विशेष जुलूस निकाले जाते हैं। इस दिन मंदिरों और घरों में भगवान कृष्ण और राधा रानी की पूजा की जाती है। इसके साथ ही, कई स्थानों पर महालक्ष्मी पूजा का आयोजन भी किया जाता है, जिससे घर में सुख और समृद्धि बनी रहे।

रंग पंचमी कब है? सही तारीख और शुभ मुहूर्त

  • पंचमी तिथि की शुरुआत: 18 मार्च 2025 (मंगलवार) रात 10:09 बजे
  • पंचमी तिथि की समाप्ति: 20 मार्च 2025 (गुरुवार) रात 12:37 बजे
  • चूंकि उदय तिथि को ही पर्व मनाने की परंपरा है, इसलिए रंग पंचमी 19 मार्च 2025 (बुधवार) को मनाई जाएगी।

रंग पंचमी का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व

भगवान कृष्ण और राधा रानी की होली : रंग पंचमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने राधा रानी और गोपियों के साथ होली खेलने की मान्यता है। इस आनंद के अवसर पर देवताओं ने आकाश से फूलों की वर्षा की, जिसे देखकर लोगों ने रंगों और गुलाल के साथ इस परंपरा की शुरुआत की।

गुलाल उड़ाने की परंपरा : कहा जाता है कि रंग पंचमी पर गुलाल उड़ाने से देवता प्रसन्न होते हैं। और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह रंग केवल बाहरी नहीं होते, बल्कि हमारे जीवन में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार भी करते है।

नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति : पौराणिक मान्यता के अनुसार, रंग पंचमी के दिन वातावरण में फैली सभी नकारात्मक शक्तियाँ समाप्त हो जाती हैं। और वातावरण शुद्ध हो जाता है। इस दिन किए गए विशेष पूजन से घर में शांति और समृद्धि का आगमन होता है।

रंग पंचमी कैसे मनाई जाती है? : गुलाल और अबीर अर्पण: इस दिन विशेष रूप से राधा-कृष्ण को गुलाल और अबीर अर्पित किया जाता है।

धार्मिक अनुष्ठान और पूजन : कई स्थानों पर विशेष धार्मिक अनुष्ठान और पूजन का आयोजन किया जाता है।

सामूहिक उत्सव और आनंद : रंग पंचमी के दिन विभिन्न स्थानों पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जहां लोग एकत्रित होकर गुलाल उड़ाते हैं। और उत्सव का आनंद लेते हैं।

राजेन्द्र गुप्ता, : ज्योतिषी और हस्तरेखाविद

मो. 9116089175

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