धर्मशास्त्र

नवरात्री के तीसरे दिन करे माँ चंद्रघंटा की पूजा-महिमा जाने विधि

Sangita Sunil Paliwal... ✍
नवरात्री के तीसरे दिन करे माँ चंद्रघंटा की पूजा-महिमा जाने विधि
नवरात्री के तीसरे दिन करे माँ चंद्रघंटा की पूजा-महिमा जाने विधि

मां का यह स्वरूप

परम शांतिदायक और कल्याणकारी है। इनके मस्तक में घंटे का आकार का अर्धचंद्र है। इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है। इनके दस हाथ हैं, जिनमें खड्ग, शस्त्र तथा बाण आदि अस्त्र विभूषित हैं। इनका वाहन सिंह है। इनकी मुद्रा युद्ध के लिए तैयार रहने की वाली होती है। मां चंद्रघंटा की कृपा से साधक के समस्त पाप और बाधाएं दूर होती हैं। मां चंद्र घंटा भक्तों के कष्ट का निवारण शीघ्र ही कर देती हैं। इनका उपासक ‘सिंह’ की तरह पराक्रमी और निर्भय हो जाता है। इनके घंटे की ध्वनि सदा अपने भक्तों को प्रेतबाधा से रक्षा करती है। इनका ध्यान करते ही शरणागत की रक्षा के लिए इस घंटे की ध्वनि निनादित हो उठती है। मां का स्वरूप अत्यंत सौम्यता एवं शांति से परिपूर्ण रहता है। इनकी आराधना से वीरता-निर्भयता के साथ ही सौम्यता एवं विनम्रता का विकास होकर मुख, नेत्र तथा संपूर्ण काया में कांति-गुण की वृद्धि होती है। स्वर में दिव्य, अलौकिक माधुर्य का समावेश हो जाता है। मां चंद्रघंटा के भक्त और उपासक जहां भी जाते हैं लोग उन्हें देखकर शांति और सुख का अनुभव करते हैं। मां के आराधक के शरीर से दिव्य प्रकाशयुक्त परमाणुओं का अदृश्य विकिरण होता रहता है। यह दिव्य क्रिया साधारण चक्षुओं से दिखाई नहीं देती, किन्तु साधक और उसके संपर्क में आने वाले लोग इस बात का अनुभव भली-भांति करते रहते हैं।

साधना की ओर अग्रसर होने का प्रयत्न करना चाहिए

हमें अपने मन, वचन, कर्म एवं काया को विहित विधि-विधान के अनुसार पूर्णतः परिशुद्ध एवं पवित्र होकर मां चंद्रघंटा के शरणागत होकर उनकी उपासना-आराधना में तत्पर होना चाहिए। उनकी उपासना से हम समस्त सांसारिक कष्टों से विमुक्त होकर सहज ही परमपद के अधिकारी बन सकते हैं। हमें निरंतर उनके पवित्र विग्रह को ध्यान में रखते हुए साधना की ओर अग्रसर होने का प्रयत्न करना चाहिए। उनका ध्यान हमारे इहलोक और परलोक दोनों के लिए परम कल्याणकारी और सद्गति देने वाला है। इस दिन सांवली रंग की ऐसी विवाहित महिला जिसके चेहरे पर तेज हो, को बुलाकर उनका पूजन करना चाहिए। भोजन में दही और हलवा खिलाएं। भेंट में कलश और मंदिर की घंटी भेंट करना चाहिए। इस दिन ॐ चन्द्रघण्टायै नमः मन्त्र का जप करने के उपरान्त भोग लगाने के बाद कर्पूर आरती करनी चाहिए |

क्यों कहा जाता है इन्हें मां चंद्रघंटा

इन देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का आधा चंद्र है इसीलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। इनके शरीर का रंग सोने के समान तथा दस हाथ वाला है। इन हाथों में खड्ग, अस्त्र-शस्त्र और कमंडल विद्यमान हैं।

माँ चंद्रघंटा पूजा विधि

माता की चौकी (बाजोट) पर माता चंद्रघंटा की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद गंगा जल या गोमूत्र से शुद्धिकरण करें। चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टीके घड़े में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापना करें। इसके बाद पूजन का संकल्प लें और वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारामां चंद्रघंटा सहित समस्त स्थापित देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें।  इसमें आवाहन, आसन, पाद्य, अध्र्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधितद्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्रपुष्पांजलि आदि करें। तत्पश्चात प्रसाद वितरण कर पूजन संपन्न करें।
पालीवाल वाणी ब्यूरो-Sangita Sunil Paliwal... ✍
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