धर्मशास्त्र

आठ साल बाद जन्माष्टमी पर द्वापर जैसा दुर्लभ संयाेग!!!

Paliwalwani
आठ साल बाद जन्माष्टमी पर द्वापर जैसा दुर्लभ संयाेग!!!
आठ साल बाद जन्माष्टमी पर द्वापर जैसा दुर्लभ संयाेग!!!

हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष आ रही जन्माष्टमी के अवसर पर आठ वर्षों के बाद ऐसा संयोग बन रहा है जो बेहद ही दुर्लभ है। ऐसा माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्र कृष्ण अष्टमी तिथि, बुधवार, रोहिणी नक्षत्र एवं वृष राशि में मध्य रात्रि को हुआ था।

ज्याेतिषाचार्य के अनुसार भाद्रपद मास के कृष्ण की अष्टमी तिथि को भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था, इसलिए प्रत्येक वर्ष भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि को श्रद्धालु श्रद्धा भाव से मनाते हैं। इस वर्ष जन्माष्टमी 30 अगस्त को है। जन्माष्टमी पर आठ वर्षों के बाद द्वापर जैसा संयोग बना है, जाे बहुत ही दुर्लभ है। श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्र कृष्ण अष्टमी तिथि, बुधवार, रोहिणी नक्षत्र एवं वृष राशि में मध्य रात्रि में हुआ था।

पंडितों ने बताया कि शास्त्रों में कहा गया है कि जन्माष्टमी पर छह तत्वों का एक साथ मिलना बहुत ही दुर्लभ होता है। ये छह तत्व हैं भाद्र कृष्ण पक्ष, अर्धरात्रि कालीन अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, वृष राशि में चंद्रमा, इनके साथ सोमवार या बुधवार का होना। इस बार ऐसा संयोग बना है कि ये सभी तत्व 30 अगस्त को मौजूद रहेंगे।

इस दिन सोमवार है। सुबह से अष्टमी तिथि व्याप्त है। रात में दो बजे तक अष्टमी तिथि व्याप्त है, जिससे इसी रात नवमीं तिथि भी लग जा रही है। चंद्रमा वृष राशि में मौजूद है। इन सभी संयोगों के साथ रोहिणी नक्षत्र भी 30 अगस्त को मौजूद है। ऐसे में इन संयोगों को लेकर धार्मिक विषयों के जानकार इस बार जन्माष्टमी को बहुत ही उत्तम मान रहे हैं।

निर्णय सिंधु नामक ग्रंथ के अनुसार ऐसा संयोग जब जन्माष्टमी पर आता है तो इस अवसर को हाथ से जाने नहीं देना चाहिए। इस संयोग में जन्माष्टमी व्रत करने से तीन जन्मों के जाने-अनजाने हुए पापों से मनुष्य मुक्त हो जाता है। इस संयोग में जन्माष्टमी व्रत करने से प्रेत योनी में भटक रहे पूर्वजों को भी मनुष्य व्रत के प्रभाव से मुक्त करवा लेता है।जो लोग जन्माष्टमी व्रत आरंभ करना चाह रहे हैं, उनके लिए इस वर्ष व्रत आरंभ करना उत्तम रहेगा। जो पहले से जन्माष्टमी व्रत कर रहे हैं, उनके लिए इस बार जन्माष्टमी का व्रत अतिउत्तम रहेगा।

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