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संघर्ष की कहानी: कोचिंग का खर्च नहीं उठा सकते थे मां-बाप, YouTube से पढ़कर बेटी बन गई सिविल सेवक
Pushplata‘कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों’, एक वेब सीरीज के दौरान यह दो लाइन कानों में पड़ी थीं। सुना और अनसुना कर दिया। लेकिन आज एक बार यही मेरे ज़हन में गर्दिश कर कर रही हैं। वजह है बिनी मुदुली के संघर्ष की कहानी। एक ऐसी लड़की जिसने आर्थिक तंगी और ज़िदगी के बेइंतहा संघर्ष के बावजूद ओडिशा सिविल सेवा (OCS) की परीक्षा पास कर ली है। जब नतीजे आए तो वह बोंडा समुदाय से राज्य सिविल सेवा परीक्षा पास करने वाली पहली बेटी बन गई।
YouTube से की पढ़ाई, परिवार नहीं उठा सकता था कोचिंग का खर्च
बिनी मुदुली ने ओडिशा सिविल सेवा (OCS) परीक्षा की तैयारी के लिए YouTube वीडियो देखे और ऑनलाइन मॉक टेस्ट दिए। इससे पहले 2020 में अपने पहले प्रयास में अंतिम मेरिट सूची में जगह न बना पाने के बावजूद उम्मीद न खोते हुए, बिनी ने इस बार 596वीं रैंक हासिल की है। 24 साल की बीनी ने बताया, “मुझे पता था कि मेरे माता-पिता मेरी कोचिंग का खर्च नहीं उठा पाएंगे। लेकिन मैंने तय किया कि यह बात कभी मेरे सपने को पूरा करने के बीच अड़चन नहीं बनेगी।” अपनी तैयारी के बारे में उन्होंने कहा, “मैंनेवीडियो से मदद ली और ऑनलाइन पढ़ाई की और परीक्षा की रणनीति सीखने के लिए टॉपर्स के वीडियो देखे।”
इंटरनेट एक्सेस करना भी नहीं था आसान
बिनी बताती हैं कि उनके लिए इंटरनेट एक्सेस करना भी आसान नहीं था क्योंकि गांव में इंटरनेट नहीं पहुंचता था। वह मलकानगिरी जिले के अपने गांव मुदुलीपाड़ा को छोड़कर पास के गोविंदपाली शहर गई, जहां इंटरनेट सेवाएं उपलब्ध थीं। बिनी के पिता एक सरकारी हाई स्कूल में रसोइया और केयरटेकर के रूप में काम करते हैं, और उनकी मां सुनामाली एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता हैं। बिनी ने मलकानगिरी के बोंडा घाट के सरकारी स्कूल और उसके बाद जवाहर नवोदय विद्यालय में पढ़ाई की।
बिनी ने कहा कि एक सिविल सेवक के तौर पर वह आदिवासी समुदाय के विकास के लिए काम करेंगी, खास तौर पर लड़कियों की शिक्षा के लिए मेहनत करेंगी। उन्होंने यह भी कहा कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए काम करेंगी कि सरकार की सभी आदिवासी विकास योजनाओं का लाभ जरूरतमंद लोगों तक पहुंच सके।