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मनीष कश्यप को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका! NSA मामले में कोर्ट की तरफ से कोई रहत नहीं, 11 महीने और रहना होगा जेल में
Paliwalwaniपटना. जेल में बंद यूट्यूबर मनीष कश्यप को एक और बड़ा झटका लगा है. दरअसल मनीष कश्यप को अगले NSA मामले में 11 महीने तक लगातार तमिलनाडु की जेल में ही बंद रहना पड़ेगा. दरअसल मनीष कश्यप के खिलाफ तमिलनाडु सरकार द्वारा लगाए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) पर तमिलनाडु के राज्यपाल रविंद्र नारायण रवि ने अपनी मंजूरी दे दी है. राज्यपाल ने राज्य सरकार के निर्णय को सही ठहराते हुए अपनी मुहर लगा दी है.
5 अप्रैल को लगाया था NSA
दरअसल, 6 मई को ही राज्यपाल की तरफ से दिए गए आदेश के आधार पर एक अधिसूचना जारी कर दी गई है. अधिसूचना के अनुसार NSA लगाने का यह फैसला पूरे 12 महीने तक के लिए प्रभावी रहेगा. इस नोटिफिकेशन के कारण अब अगले 11 महीने मनीष कश्यप को तमिलनाडु की जेल में ही रहना पड़ेगा. मनीष पर तमिलनाडु सरकार ने 5 अप्रैल को NSA लगाया था. तब से लेकर अब तक में करीब एक महीने का समय मनीष कश्यप का जेल में गुजर चुका है. इसके बाद अब उसे 10 महीने और जेल के अंदर ही रहना होगा.
सुप्रीम कोर्ट ने सारी दलीलों को खारिज कर दिया
गौरतलब है कि पिछले 8 मई को मनीष को सुप्रीम कोर्ट ने भी मनीष कश्यप को सुप्रीम झटका दिया था. मनीष ने बिहार और तमिलनाडु में दर्ज सभी एफआईआर को क्लब करने, जमानत देने और एनएसए को हटाने के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, जिसके बाद इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मनीष कश्यप के सारे दलीलों को खारिज कर दिया था. शीर्ष कोर्ट ने मनीष के वकील को मामले में हाईकोर्ट में जाने का आदेश दिया था.
बिहारियों की पिटाई का फर्जी वीडियो वायरल करने का था आरोप
बता दें, तमिलनाडु में बिहारियों की पिटाई का फर्जी वीडियो वायरल करने का आरोप मनीष कश्यप पर लगा था. इस प्रकरण में तमिलनाडु की पुलिस ने कुल 13 केस दर्ज किया था, जिसमें से 6 FIR में मनीष कश्यप को नामजद किया गया था. इसके बाद 30 मार्च को तमिलनाडु की पुलिस ने मनीष को बिहार से ट्रांजिट रिमांड पर उसे लेकर गई थी. पूरे प्रकरण की जांच होने के बाद मदुरई के डीएम (DM) ने मनीष कश्यप के ऊपर NSA लगाने की अनुशंसा की थी. इसके बाद सरकार के सलाहकार बोर्ड के पास यह मामला गया था.
बोर्ड ने माना कि यह अधिनियम लगाने के उनके पास पर्याप्त साक्ष्य है. इसके बाद तमिलनाडु सरकार ने अपनी मंजूरी दी थी. इसके बाद 5 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) 1980 की धारा-3 (4) के तहत सरकार का आदेश प्रभावी हो गया.