राजसमन्द
जिस संपत्ति के पिछे दुनिया पागल है उस संपत्ति को त्यागी : रत्नविजय
Suresh Bhatराजसमंद। मुमुक्षु खुशबू कुमारी के दीक्षा निमित्त वर्षीदान वरघोड़ा निकाला गया। वरघोड़ा सुबह दस बजे दयालशाह किला से शुरू हुआ जो शहर के जलचक्की, कांकरोली बसस्टेण्ड, जके मोड़ सहित प्रमुख मार्गों से होता हुआ प्रज्ञा विहार पंहुचा। जिसमें समाज के सैकड़ों पुरुष व महिलाओं के अलावा आचार्य गुणरत्नसूरीश्वर, आचार्य रविरत्न सूरीश्वर, आचार्य रश्मिरत्न सूरीश्वर, आचार्य पद्मभूषण सूरीश्वर, नूतन आचार्य निपुणरत्न सूरीश्वर, पंन्यास वैराग्यरत्न, विजय, साध्वी पुष्पलता, साध्वी कीर्ति रेखा सहित अनेक साध्वियों ने हिस्सा लिया। इस अवसर पर अनेक युवा नाचते हुए चल रहे थे। मुमुक्षु खुशबू कुमारी एक मार्च को दयालशाह किला परिसर में विभिन्न जैन आचार्यों की मौजूदगी में दीक्षा प्रदान की । यहां दो मार्च को प्रभु प्रतिष्ठा का समारोह का आयोजन हुआ। वरघोड़ा में हाथी, घोड़े, बैण्डबाजों की मधुर स्वरलहरियों के साथ प्रभु के रथ के साथ मुमुक्षु व उनके परिजन रथ पर सवार हो कर चल रहे थे।
मुमुक्षु खुशबु -दीक्षा निमित्त वर्षीदान वरघोड़ा में उमड़ा सैलाब
वर्षीदान के तहत मुमुक्षु खुशबु अपने दोनों हाथों से विभिन्न प्रकार की सामग्री लोगों पर लुटाती हुई वैराग्य पथ पर अग्रसर होने का भाव प्रकट कर रही थी। इस अवसर पर मुमुक्षु का महावीर मंच अवं सकल जैन संघों द्वारा सम्मान किया गया। आयोजन में अध्यक्ष चन्द्रप्रकाश दोशी, देवीलाल हिंगड़, चन्द्रप्रकाश चोरडिया, धीरेन्द्र सिरोया, सीपीअ सिंयाल, भैरुलाल हिंगड़, प्रमोद सोनी, संजय बोल्या, कमल कुमार झोटा, पिस्ता बोल्या, रितु झोटा, प्रज्ञा हिंगड़, अनिता मेहता, ज्योति जैन, नीता सोनी, तारा पगारिया, मधु पीपाड़ा, महेश खाटेड़, बाबूलाल हिंगड, वीरेन्द्र महात्मा सहित हजारों की संख्या में श्रावक श्राविकाएं मौजुद थे। दोपहर बाद सिद्धचक्र महापूजन का आयोजन व रात्री 8 बजे विदाई समारोह का आयोजन हुआ। बुधवार को भव्य दीक्षा समारोह का आयोजन प्रझा विहार में सुबह 8 बजे से आयोजन हुआ।
जिस संपत्ति के पिछे दुनिया पागल है
दोपहर बाद वरघोड़ा शोभायात्रा प्रझा विहार पहुंचकर धर्म सभा में परिवर्तित हो गया। जहां पर आचार्य गुण रत्नविजय महाराजा ने मांगलिक प्रवचन देते हुए कहा कि जिस संपत्ति के पिछे दुनिया पागल है उस संपत्ति को त्यागकर मुमुक्षु ने संयम जीवन अपरिग्रह अकिंचन व्रत में विश्वास जताते हैं। आचार्य रश्मिरत्न ने बताया कि दो मिल लम्बे भाषण से ज्यादा प्रभावशाली दो ईंच का आचरण है। बातो के बादशाह के बजाय आचरण के आचार्य बनने पर जोर दिया।
दीक्षार्थी का परिचय
नाम : खुशबु खांटेड़
जन्मतिथि : 27 अप्रेल 1991
जन्मस्थान : रायपुर (छत्तीसगढ़)
शिक्षा : एम. कॉम., 3 वर्ष पूर्व सी.ए. तृतीय वर्ष पढ़ते-पढ़ते अहमदाबाद में वैराग उत्पन्न हुआ
धर्म गुरु : दीक्षा दानेश्वरी आचार्य गुणरत्नसूरिश्वर महाराजा
वैराग्य कैसे आया : पुष्पलता की सुशिष्या मनीष रेखा के सान्निध्य में रहते-रहते एवं जीव विचार के अर्थ करते-करते वैराग्य आया।
मूल निवासी : सोजत रोड़ हाल कांकरोली विगत 23 वर्षों से
पिता-माता : महेश कुमार, जयश्री देवी खांटेड़
दादा-दादी : जवरीलाल-भंवरी बाई खांटेड़ (सोजत रोड़)
नाना-नानी : पुखराज-मोहनी देवी कोचर मूल निवासी फलौदी(जोधपुर)
बहन - बहनोई : रेणु-महावीर बाघमार, वन्दना - युवराज सरूपरिया
बड़े पापा-मम्मी : बसन्त कुमार -पुष्पा , संतोष कुमार - वसुदेवी, ज्ञानचंद - शिरोमणि
दिनेश कुमार -कमला खांटेड़
चाचा-चाची : विजय कुमार - राजश्री खांटेड़
मामा-मामी : राजेंद्र कुमार - योगिता कोचर, महेंद्र -चंचल कोचर
मित्रगण : स्नेहा लोढ़ा, भारती महात्मा
संपूर्ण परिवार : 14 भाई एवं 3 बहनें
फोटो-सुरेश भाट- राजसमंद। जिला मुख्यालय पर दीक्षा निमित्त निकाले गए वर्षीदान वरघोड़े में शामिल समाजजन व मुमुक्षु खुशबू कुमारी। फोटो-सुरेश भाट