राजसमन्द
संसार सागर से पार करने वाला सेतु है - संत मंजिता साध्वी
suresh bhatकुंवारिया । राजसमंद जिले के कुंवारिया कस्बे के महावीर भवन में चातुर्मास के दौरान चल रही धर्मसभा के दौरान गुरूवार को साध्वी मंजिता ने संत शब्द की परिभाषा बताते हुए कहा कि संत वह है जिसकी सम्पुर्ण संसार से आसक्ति नष्ट हो गई है। जिसका अज्ञान नष्ट हो चुका है, और जो कल्याण स्वरूप परमात्मत्व में स्थित है वहीं संत है। संत की प्रथम पहचान है जो विष्यासक्त नहीं है विषय जिसे आकर्षित नहीं कर पाते है वह संत है भारतीय संस्कृति संत प्रधान संस्कृति रही है। भारत में संतो की एक अनवरत श्रंखला चली आई है भारतीय इतिहास और प्रागेतिहास का कोई ऐसा कोई ऐसा काल खण्ड खोजे से न खोजा जा सकेगा जब संत का अस्तित्व नहीं रहा है। संत मानव चेतना पर जागरूक की दस्तक देता है आज इस पंचम काल में धर्म की सुवास है, शेष है तो उसका संवाहक संत है संत पृथ्वी की सुगन्ध है श्रेष्टतम की सुचनाएं संत है। संत हमें संसार सागर से पार करवाने वाले सेतु है तीन सुत्र है। देव गुरूधर्म गुरू बीच में है गुरू हमे धर्म और देव की पहचान कराते है साध्वी ने संत शब्द की व्याख्या बड़े सपष्ट शब्दो में की है। धर्मसभा के दौरान सैकड़ो श्रद्धालुओं ने धर्मलाभ लिया।
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