राजसमन्द
कृष्णागिरी तीर्थ में बनेगी भगवान पाश्र्वनाथ की विशाल प्रतिमा
Suresh Bhatराजसमन्द। सुरेश भाट की विशेष खबर-सफेद संगमरमर के रूप में निकलने वाले विशेष किस्म के मार्बल पत्थर के लिए विश्व पटल पर अपनी खास पहचान बनाने वाले राजसमन्द के मार्बल उद्योग ने अपने इतिहास में फिर से एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। मूर्ति निर्माण के विशेष प्रयोजन के लिए अपेक्षित आकार के जिस सफेद मार्बल पत्थर की तलाश भारत ही नहीं वरन अन्य देशों तक में हुई लेकिन सफलता नहीं मिली और अंतत: राजसमन्द के मार्बल खनन क्षेत्र ने ऐसा 200 टन वजनी भारी-भरकम पत्थर देकर न सिर्फ मूर्ति निर्माण का काम आसान कर दिया है बल्कि इससे मार्बल जगत में अपनी नई पहचान भी कायम की है।
विश्व में सफेद मार्बल के लिए इसकी पहचान
राजसमन्द मार्बल मण्डी ही नहीं अपितु जिले के लिए यह गौरव का विषय है कि पूरे विश्व में सफेद मार्बल के लिए इसकी पहचान दशकों से बनी हुई है और अब जिस आकार के पत्थर की मांग हो रही थी, वो भी यहां पूरी हो गई है। श्री करणी मार्बल खदान मालिक मार्बल उद्यमी महेश प्रताप सिंह लखावत की खदान से निकाले गए 200 टन वजनी पत्थर से तमिलनाडू के कृष्णागिरी पद्मावती तीर्थ में भगवान पाश्र्वनाथ की मूर्ति बनाई जाएगी। दरअसल कृष्णागिरी तीर्थ में जैनाचार्य बसंत कुमार के निर्देशन में भगवान पाश्र्वनाथ की 24-24 फिट ऊंची चार बड़ी प्रतिमाएं स्थापित की जा रही है। इन प्रतिमाओं में एक का रंग हरा, एक का काला, एक का पीला और एक का रंग सफेद होगा। पिछले दो साल में तीन प्रतिमाएं बनकर तैयार हो गई है। इसके तहत हरे रंग का पत्थर उदयपुर जिले के केसरियाजी से, काला पत्थर भैंसला का डेरा सवाई माधोपुर से और पीला पत्थर भुज गुजरात की खदान से निकाला गया जबकि सफेद मार्बल की तलाश देश भर के मार्बल खनन क्षेत्रों में की गई लेकिन कहीं ऐसा अपेक्षित आकार का पत्थर नहीं मिल पाया। यही नहीं सफेद पत्थर के लिए वियतनाम आदि देशों में भी तलाश की गई परन्तु सम्भव नहीं हो पाया। इसी क्रम में जैनाचार्य के शिष्य स्थानीय निवासी प्रमोद मोदी ने राजसमन्द मार्बल मण्डी में ऐसे पत्थर की तलाश शुरु की और मार्बल उद्योग से जुड़े अपने मित्रों-परिचितों में इस बारे में चर्चा की और काफी समय तक प्रयास करने के बाद अंततोगत्वा उन्हें इसमें सफलता मिल ही गई।
श्री करणी मार्बल खदान में मिला विश्व का सबसे बड़ा सफेद मार्बल
राजसमन्द मण्डी के तलाई खनन क्षेत्र स्थित श्री करणी मार्बल खदान में उक्त अपेक्षित आकार के पत्थर की तलाश पूरी हो गई। इस खदान में 25 फिट ऊंचे, आठ फिट मोटे एवं 15 फिट चौड़े पत्थर को प्रतिदिन दर्जनों मजदूरों ने मशीनों की सहायता से कई दिनों तक कड़े परिश्रम के साथ सावधानीपूर्वक काटा जिसे पिछले दस दिनों के लगातार प्रयास व कड़ी मशक्कत के बाद खदान से बाहर निकाल कर तैयार किया गया। इस काम में जुटे गिरधारीलाल लोहार, मोहनलाल पालीवाल, रत्नसिंह सौदा आदि ने बताया कि इतने वजनी पत्थर को उठाने के लिए कोई क्रेन उपलब्ध नहीं है, ऐसे में मजदूरों ने इसे ट्रेलर पर चढ़ाने के लिए रस्से जैक लगाने जैसे पारम्परिक तौर-तरीकों का इस्तेमाल किया जिसमें एक पखवाड़े का समय लगा।
विशेष वाहन से पहुंचेगा मार्बल ब्लॉक
इस बीच, इतना बड़ा और भारी-भरकम पत्थर तय स्थान तक ले जाने के लिए राजसमन्द में कोई ऐसा भारवाहक वाहन उपलब्ध नहीं हुआ। इस कारण गुजरात के जामनगर से खास तौर पर 128 टायर वाला ट्रेलर मंगवाया गया है। कई दिनों की मेहनत के बाद इस पत्थर को इस ट्रेलर में लदान किया गया और मंगलवार को यह ट्रेलर पत्थर लेकर कृष्णागिरी तीर्थ के लिए रवाना भी हो गया। इसे वहां तक पहुंचने में करीब दो माह का समय लगने का अनुमान है।
सुरक्षित परिवहन पर भी दियाा खास ध्यान
खदान मालिक मार्बल उद्यमी महेश प्रताप सिंह लखावत ने बताया कि आम तौर पर राजसमन्द की मार्बल खदानों में 20 से 22 टन वजनी ब्लॉक ही निकलते है जबकि उक्त मूर्ति निर्माण के लिए यह पत्थर 10 गुना ज्यादा वजन का काटा गया है। इसके लिए खदान में करीब 150 मीटर लम्बी नई सडक़ भी बनानी पड़ी। लखावत ने बतया कि इस पत्थर को ले जाने में सुरक्षा का विशेष ख्याल रखना होगा। मामूली खामी होने पर पत्थर में दरार आ सकती है और सारी मेहनत बेकार हो सकती है। इसके सुरक्षित परिवहन पर भी खास ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस एक ही पत्थर से राज्य सरकार को रॉयल्टी के रूप में करीब पांच लाख से ज्यादा राशि प्राप्त होगी।
तमिलनाडू के कृष्णागिरी पद्मावती तीर्थ में बनेगी पाश्र्वनाथ की मूर्ति
उल्लेखनीय है कि जैनाचार्य बसंत कुमार के निर्देशन में कृष्णागिरी तीर्थ में बन रही प्रतिमा के लिए तीन रंगों का पत्थर मिल गया लेकिन सफेद का नहीं मिला। वियतनाम में सफेद पत्थर की बड़े पैमाने पर खदानें है लेकिन वे ज्यादा गहराई पर होने से भीतर से पत्थर को उपर लाने में मुश्किलें तथा टूट फूट की आशंका ज्यादा होने से सम्भव नहीं हो पाया तथा आखिर में राजसमन्द में तलाश शुरु की गई। यहां कुछ खदानें कम गहराई पर होने से यहां काम आसान हो गया। बताया गया कि जयपुर के कारीगरों का दल उक्त पत्थर को प्रतिमा का रूप देगा। गौरतलब है कि बड़े पैमाने पर एवं अच्छी क्वालिटी का मार्बल उत्पादन होने के कारण राजसमन्द का नाम देश व दुनिया में जाना जाता है। यहां वृहद स्तर पर मार्बल उत्पादन के अलावा प्रोसेसिंग कार्य होता है जो अन्य देखने को नहीं मिलता है।
- तमिलनाडू के कृष्णागिरी पद्मावती तीर्थ में भगवान पाश्र्वनाथ की मूर्ति बनाई जाएगी
- विश्व में सफेद मार्बल के लिए इसकी पहचान
- जैनाचार्य बसंत कुमार के निर्देशन में कृष्णागिरी तीर्थ में बन रही प्रतिमा
- 200 टन वजनी मार्बल ब्लॉक विश्वभर में स्थापित करेगा कीर्तिमान
- कृष्णागिरी तीर्थ में बनेगी भगवान पाश्र्वनाथ की विशाल प्रतिमा
- पत्थर की ऊंचाई 25 फिट, मोटाई 8 फिट और चौड़ाई 15 फिट
- भारी-भरकम पत्थर परिवहन के लिए लाए 128 टायर वाला ट्रेलर
- मूर्ति निर्माण के लिए यह पत्थर 10 गुना ज्यादा वजन का काटा
- प्रतिमाओं में एक का रंग हरा, एक का काला, एक का पीला और एक का रंग सफेद होगा
- रंग का पत्थर उदयपुर जिले के केसरियाजी से
- काला पत्थर भैंसला का डेरा सवाई माधोपुर से
- पीला पत्थर भुज गुजरात की खदान से
- श्री करणी मार्बल खदान में विश्व में सफेद मार्बल राजसमन्द मार्बल मण्डी
- श्री करणी मार्बल खदान में मिला विश्व का सबसे बड़ा सफेद मार्बल
फोटो - राजसमंद। तमिलनाडू के कृष्णागिरी पद्मावती तीर्थ में बनने वाली पाश्र्वनाथ की मूर्ति के लिए निकाला गया मार्बल ब्लॉक व 128 टायर के वाहन रखा हुआ पत्थर। फोटो-सुरेश भाट
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