राजस्थान
धर्मसभा से श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन, सनातन बोर्ड की मांग : महाराज अभयदास महाराज
चन्द्र शेखर मेहता
महाराज ने ओमप्रकाश ओझा, श्रीमती कला ओझा की सराहना कर सम्मानित किया
भागवत कथा का जय...जय श्रीराम के गगनभेदी गूंज के साथ समापन
चन्द्र शेखर मेहता-अर्जन सर्जन
प्रतापगढ़. नगर में चल रही भागवत कथा का जय...जय श्रीराम के गगनभेदी गूंज के साथ समापन हुआ. भगवान श्रीकृष्ण के यदुवंशी संतानों ने मुनि की परीक्षा की. तब मुनि से श्राप मिला, "मूसलं कुळनाशनम्य" दुवंश का मुनि के श्राप से नाश हुआ. इसके बाद पूर्व जन्म का बाली जो इस जन्म में शिकारी था, उसका तीर श्रीकृष्ण के पैर में लगा और श्रीकृष्ण वैकुंठ लोक में पधार गए. इसी प्रसंग के साथ कथा का विश्राम हुआ.
पं. श्री हरिशुक्ल ने अभयदास महाराज को माला पहनाकर शाल ओढाकर श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया
धर्मसभा हुई : जिसमें श्रीकृष्ण जन्म स्थान की जन्म भूमि-मथुरा की मुक्ति के लिए आन्दोलन की घोषणा की गई. धर्मसभा में वृन्दावन से आए देवकीनंदन ठाकुर, दिल्ली से आए जैन संत लोकेश मुनि, ओजस्वी वक्ता गोतम खट्टर, आदि ने भाग लिया.
इसी धर्म सभा में देश भर के सनातन धर्म के बन्धुओं के लिए श्रीकृष्णजन्म भूमि मुक्ति आंदोलन को प्रारंभ करने की घोषणा करते हुए देवकीनंदन ठाकुर ने कहा- हमारे श्रीकृष्ण की जन्मभूमि हम लेकर रहेगे, मुक्त कराएंगे. इसी सभा में भारत सरकार से सनातन बोर्ड के गठन की मांग की.
धर्मसभा में लोकेश मुनि ने जैन धर्म को हिन्दू धर्म का ही एक अंग बताया... कहा कि हमारे 22 वे तीर्थकर तो श्री कृष्ण के भाई थे. जैन धर्मी सभी सनातन और संस्कारों की पालना करते हैं. गोतम खट्टर ने अपने ओजस्वी उद्बोधन में युवाओं को सनातन् धर्म के लिए तन-मन-धन से सनातन धर्म के लिए समर्पित होने का आव्हान किया.
धर्म सभा में अभयदास महाराज ने कहा-हम व्यवसाय रूप से कुछ भी कर्म करते हो किन्तु धर्म के रूप में, श्रीराम की जय बोलने वाले सभी हिन्दू भाई है, कोई भेद नहीं है. सभा में देवकी नंदन ठाकुर ने सबको शपथ दिलाई कि जिस धर्म में जन्म लिया, जिस धर्म में जीवन जीया, उसी धर्म को मानते हुए, उसी धर्म में मरना है, उसी धर्म के लिए मरना है.
धर्म प्रेमी जनता, युवा और महिलाओं की धर्म कार्य के लिए सराहना
पत्रकार श्री चन्द्र शेखर मेहता-अर्जन सर्जन ने पालीवाल वाणी को बताया कि अभयदास महाराज से कहा- कुछ लोगों का कहना है कि आदिवासी हिन्दू नहीं है. जो धर्म-परिवर्तन कराने वाले लोगों की साजिश है. वाल्मिकी समाज को देखो कितने आघात के बाद भी ये संघर्ष करते हुए, ये सनातन धर्म की सेवा कर रहे हैं, समापन उद्बोधन में बाल्मिकी समाज, धर्म प्रेमी जनता, युवा और महिलाओं की धर्म कार्य के लिए सराहना की.
विप्र फाउंडेशन के प्रकल्पो सेवाओं, रक्तदान के कार्यों को सराहनीय
विप्र फाउंडेशन के प्रकल्पो सेवाओं, रक्तदान के कार्यों को सराहनीय बताया, सनातन धर्म उत्सव समिति द्वारा किए जाने वाले कार्यों के लिए महाराज ने ओमप्रकाश ओझा की सराहना कर सम्मानित किया, श्रीमती कला ओझा का भी सम्मान किया गया,
इसके बाद महाराज ने भगवान केशवराय जी के दर्शन किए, मंदिर में पं. श्री हरिशुक्ल ने अभयदास महाराज को माला पहनाकर शाल ओढाकर श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया.