राजस्थान
साधु विजय दास की मौत पर राजस्थान में सियासत गरमाई
Paliwalwaniपूर्व मुख्यमंत्री राजे व बीजेपी अध्यक्ष पूनिया ने सरकार को जिम्मेदार ठहराया, कहा सरकार ने इसे हल्के में न लिया होता तो साधु की जान नहीं जाती
केकड़ी : भरतपुर की पहाड़ियों में खनन के खिलाफ आत्मदाह करने वाले साधु विजय दास की मौत मामले पर राजस्थान में सियासत गरमाने लगी है। राजस्थान में विपक्षी दल भाजपा ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए राज्य की कांग्रेस सरकार पर निशाना साधा है। भाजपा ने साधु विजय दास की मौत के लिए राज्य सरकार को जिम्मेदार बताया है। इसके साथ ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पार्टी की एक जांच समिति गठित की है, जो मौके पर जाकर इसकी छानबीन करके उन्हें रिपोर्ट सौंपेगी। उल्लेखनीय है कि साधु विजय दास की शुक्रवार देर रात नयी दिल्ली के अस्पताल में मौत हो गई।
डीग क्षेत्र में खनन गतिविधियों को बंद करने की मांग को लेकर जारी साधु-संतों के आंदोलन के बीच साधु विजय दास ने बुधवार को आत्मदाह का प्रयास किया था और दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। बाबा विजय दास हरियाणा में फरीदाबाद जिले के बडाला गांव के रहने वाले थे। साधु बनने से पहले से उनका नाम मधुसूदन शर्मा था। वह कपड़ा फैक्ट्री में काम करते थे। बाबा विजय दास के बेटे और बहू की मौत हो गई थी जिसके बाद बाबा विजय दास और उनकी 3 साल की पोती रह गई। बाबा विजयदास की पत्नी की मौत पूर्व में हो चुकी थी। इस घटना के बाद वह साधु बन गए थे। बेटे और बहू की मौत के बाद वह अपनी पोती को लेकर बरसाने के मान मंदिर आ गए। बाबा विजय दास ने अपनी पोती दुर्गा को गुरुकुल में पढ़ने के लिए भर्ती करा दिया।दरअसल राजस्थान के भरतपुर में ब्रज क्षेत्र की पहाड़ियों में हो रहे खनन को लेकर लगातार विरोध जताया जा रहा है। इसे लेकर यहां साधु संत पिछले 550 दिनों से आंदोलन कर रहे थे।
संत इस मुद्दे पर सरकार की ओर से सुनवाई नहीं किए जाने की नाराजगी जता रहे थे। मामले में बढ़ती नाराजगी के बीच आंदोलन का नेतृत्व कर रहे बाबा हरिबोल दास ने आत्मदाह की चेतावनी तक सरकार को दी दे थी। 20 जुलाई 2022 को आंदोलन को तेज करने का अल्टीमेटम दिया गया। इसके बाद साधु संतों की बढ़ती नाराजगी को देखते हुए सरकार के कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह आगे आए। मंत्री विश्वेंद्र सिंह और साधुओं के बीच वार्ता का दौर शुरू हुआ, लेकिन इसी बीच मांग मंगवाने के लिए पहले यहां बाबा नारायण दास मोबाइल टॉवर पर चढ़ गए। वहीं इसके बाद बाबा विजयदास से आत्मदाह का प्रयास करते हुए खुद को आग लगा ली, जिससे उनकी इलाज के दौरान मौत हो गई।
इस मामले की हाई लेवल जांच की मांग करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि अगर अधिकारी और सत्ता से जुड़े राजनेताओं ने समय रहते संतों की बात सुनी होती तो एक साधु की जान नहीं जाती। वसुंधरा राजे ने कहा कि घटना के बाद मुख्यमंत्री असहाय हो कर स्वयं स्वीकार कर रहे हैं कि प्रदेश में अवैध खनन नहीं रुक रहा। इससे स्पष्ट है कि संत की मौत का जिम्मेदार अगर कोई है तो वह राज्य सरकार है। वहीं, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां ने भी आरोप लगाते हुए कहा कि साधु विजय दास की मौत का अगर कोई जिम्मेदार है तो वह खनन माफिया को संरक्षण देने वाली राजस्थान की कांग्रेस सरकार है। सतीश पुनियां ने आरोप लगाया कि राज्य की सरकार खनन माफिया की गिरफ्त में है और राज्य के मुख्यमंत्री, गृहमंत्री के रूप में अपनी जिम्मेदारी से बच रहे हैं।
इस मामले में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने संत विजय दास के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने घटना की जांच के लिए 4 सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। यह समिति घटनास्थल का दौरा कर जानकारी एकत्रित करेगी और शीघ्र ही रिपोर्ट नड्डा को सौंपेगी। पार्टी प्रवक्ता ने बताया कि समिति में पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री व प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह, सांसद स्वामी सुमेधानंद सरस्वती, पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद सत्यपाल सिंह, उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक एवं सांसद बृजलाल यादव को शामिल किया गया है।