राजस्थान

मीरा महोत्सव के दौरान हुए चारभुजा नाथ के दर्शन : मीराबाई के जन्म के दिन पर मेड़ता नगरी में बरसात हुई

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मीरा महोत्सव के दौरान हुए चारभुजा नाथ के दर्शन : मीराबाई के जन्म के दिन पर मेड़ता नगरी में बरसात हुई
मीरा महोत्सव के दौरान हुए चारभुजा नाथ के दर्शन : मीराबाई के जन्म के दिन पर मेड़ता नगरी में बरसात हुई

मंदिर परिसर में हवन करवाने के लिए 50 वर्ष की वेटिंग 

नागौर : भारत की सनातन संस्कृति के प्रति श्रद्धा और आस्था रखने वालों का धर्म की अनेक परंपराओं पर भी भरोसा रहता है। हमारे घर-परिवार या समाज में ऐसे अनेक धार्मिक व्यक्ति मिल जाएंगे जो प्रतिदिन ठाकुर जी (भगवान कृष्ण के विभिन्न स्वरूप) की पूजा अर्चना करते हैं। कुछ लोग तो अपने ठाकुर जी को साथ ही रखते हैं। यानी यात्रा में भी ठाकुर जी साथ रहते हैं। यह विश्वास की बात है कि बेजुबान ठाकुर जी की प्रतिमा को सांस लेने वाला जीव मान कर श्रद्धा प्रकट की जाती है। ऐसी ही श्रद्धा मेरी 90 वर्षीय माता जी कुंती देवी के भी ठाकुर जी के प्रति है।

9 अगस्त 2022 को मुझे एक पारिवारिक समारोह में भाग लेने के लिए राजस्थान के नागौर जिले के मेड़ता शहर में जाना पड़ा। परिवार के सदस्यों में माताजी भी साथ रहीं। चूंकि इन दिनों मेड़ता में मीरा जन्म महोत्सव चल रहा है, इसीलिए चारभुजा नाथ के मंदिर में ठाकुर जी के दर्शनों का खास महत्व रहा। ठाकुरजी की प्रतिमा के सामने भक्त मीराबाई की प्रतिमा है। यह वहीं मीरा बाई है जिनके प्रसाद को ठाकुर जी ने स्वीकार किया था। मीरा बाई का प्रसाद भले ही 1516 ईस्वी में स्वीकार किया गया हो, लेकिन ठाकुर जी को प्रसाद अर्पित करने की परंपरा आज भी जारी है। माताजी ने भी उन ठाकुर जी के दर्शन किए, जिन्होंने भक्त मीराबाई का प्रसाद स्वीकार किया।

मीरा बाई की भक्ति की कहानियां सब जानते हैं। लेकिन मंदिर के इंतजामों से जुड़े और सनातन संस्कृति के प्रबल समर्थक जुगल जी अग्रवाल ने बताया कि मेड़ता में मीरा बाई का जन्मदिन उत्सव के तौर पर मनाया जाता है। जन्म जयंती पर सप्ताह भर के धार्मिक कार्यक्रम होते हैं। इसे ठाकुर जी का चमत्कार ही कहा जाएगा कि मीरा बाई के जन्मदिन पर हर बार बरसात होती है। इस बार भी जब 8 अगस्त को आसपास में सूरज चक रहा था, तब बरसात हुई। यानी एक तरफ सूर्य देवता थे तो दूसरी तरफ इंद्र देवता। ऐसा लगा कि आसमान से आशीर्वाद की बरसात हो रही है। ऐसा न जाने कितने वर्षों से हो रहा है।

जुगल जी ने बताया कि मीरा जयंती पर आज भी वर्षों पुरानी परंपराएं निभाई जा रही है। जयंती समारोह के सातों दिनों में ठाकुर जी और मीरा बाई की प्रतिमाओं के बीच खड़े होकर श्रद्धालु भजन गाते हैं। सबसे खास बात यह है कि भजनों का गायन चौबीस घंटे चलता है। यानी जयंती के सात दिनों में अखंड गायन होता है। ऐसा नहीं कि इसके लिए पेशेवर भजन गायकों को बुलाया जाता है। मेड़ता और आसपास के क्षेत्रों के विभिन्न समाजों के लोग भजनों की व्यवस्था करते हैं। आम व्यक्तियों की भजन टोली सिर्फ एक घंटा ही भजनों की प्रस्तुति दे सकती है।

इसे मीराबाई की भक्ति और ठाकुर जी का प्रताप ही कहा जाएगा कि जयंती के अवसर पर मंदिर में भजन गाने वाली टोलियों में होड़ मची रहती है। ऐसा कभी नहीं हुआ कि जयंती के सात दिनों में किसी घंटे भजन मंडली उपलब्ध नहीं हुई हो। जयंती के समापन वाले दिन मंदिर परिसर में ही हवन होता है। यह हवन भी श्रद्धालुओं द्वारा करवाया जाता है। जुगल जी ने बताया कि आगामी 50 वर्षों तक हवन की बुकिंग हो चुकी है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि मेड़ता में विराजमान ठाकुर जी के प्रति कितनी आस्था है। यूं तो देश भर में चारभुजा नाथ के मंदिर हैं लेकिन मेड़ता के मंदिर का महत्व इसलिए की, यहां भक्त मीराबाई का मंदिर भी है। वहीं मीरा बाई जिनका प्रसाद ठाकुर जी ने स्वीकार किया। मेड़ता के चारभुजा नाथ और मीराबाई के मंदिर के बारे में और अधिक जानकारी मोबाइल नंबर 7014553102 पर जुगल जी अग्रवाल से ली जा सकती है। 

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