अन्य ख़बरे

1991 से अब तक प्रति व्यक्ति आय 22 गुना बढ़ी, रोजमर्रा की चीजें भी डेढ़ से 12.3 गुना तक महंगी

Paliwalwani
1991 से अब तक प्रति व्यक्ति आय 22 गुना बढ़ी, रोजमर्रा की चीजें भी डेढ़ से 12.3 गुना तक महंगी
1991 से अब तक प्रति व्यक्ति आय 22 गुना बढ़ी, रोजमर्रा की चीजें भी डेढ़ से 12.3 गुना तक महंगी

देश के आर्थिक बदलाव के लिए उठाए गए मजबूत कदम को आज (24 जुलाई) को 30 साल पूरे हो गए।1991 में पेश इस केंद्रीय बजट के साथ ही सरकार अर्थव्यवस्था के लिए LPG यानी लिबरलाइजेशन, प्राइवेटाइजेशन और ग्लोबलाइजेशन का मॉडल लेकर आई थी। आर्थिक सुधारों के लिए उठाए कदम से आम लोगों के जीवन पर भी असर पड़ा है। रहन-सहन के साथ उनके खर्च और आमदनी दोनों पर भी सीधा असर पड़ा है। जून 1991 में जब पी वी नरसिम्हा राव देश के 9वें प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने वित्त मंत्रालय की कमान डॉ मनमोहन सिंह के हाथों दी। उस समय तक डॉ सिंह रिजर्व बैंक के गवर्नर की जिम्मेदारी भी संभाल चुके थे।1991 में तत्कालीन सरकार ने कस्टम ड्यूटी को 220% से घटाकर 150% किया। बजट में बैंकों पर RBI की लगाम भी ढीली की, जिससे बैंकों को जमा और कर्ज पर पर ब्याज दर और कर्ज की राशि तय करने का अधिकार मिला। साथ ही नए प्राइवेट बैंक खोलने के नियम भी आसान किए गए। नतीजनत, देश में बैंकों का भी विस्तार हुआ।मार्च 1991 में कुल बैंकों की संख्या 272 रही, जो 2021 में 121 हो गई। इसमें ग्रामीण बैंकों की संख्या 196 से घटकर 43 हो गई।

तत्कालीन केंद्र सरकार ने देश में लाइसेंस राज लगभग खत्म कर दिया। इससे किस वस्तु का कितना प्रोडक्शन होगा और उसकी कितनी कीमत होगी, इन सबका फैसला बाजार पर ही छोड़ दिया गया। सरकार ने करीब 18 इंडस्ट्रीज को छोड़कर बाकी सभी के लिए लाइसेंस की अनिवार्यता को खत्म कर दी थी| तीन दशक पहले उदारीकरण की बुनियाद रखने वाले पूर्व प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने मौजूदा सरकार को चेतावनी भरे लहजे में कहा कि देश की अर्थव्यवस्था का जैसा बुरा हाल 1991 में था, कुछ वैसी ही स्थिति आने वाले समय में होने वाली है। इसके लिए तैयार रहें। आगे का रास्ता 1991 के संकट की तुलना में ज्यादा चुनौतीपूर्ण है।

 

whatsapp share facebook share twitter share telegram share linkedin share
Related News
Latest News
Trending News