Monday, 23 June 2025

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बड़ी खबर: 8th Pay Commission को लेकर आई खबर, जल्द आठवें पे पैनल का गठन, सरकारी कर्मचारियों की बढ़ेगी सैलरी

PALIWALWANI
बड़ी खबर: 8th Pay Commission को लेकर आई खबर, जल्द आठवें पे पैनल का गठन, सरकारी कर्मचारियों की बढ़ेगी सैलरी
बड़ी खबर: 8th Pay Commission को लेकर आई खबर, जल्द आठवें पे पैनल का गठन, सरकारी कर्मचारियों की बढ़ेगी सैलरी

8th Pay Commission: केंद्र सरकार ने जनवरी 2025 में आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) के गठन का ऐलान किया था। इसके बाद से पे पैनल के गठन का इंतजार किया जा रहा है और अब कई महीनों की देरी के बाद, केंद्र ने 8वें वेतन आयोग की संदर्भ शर्तों (terms of reference- ToR)को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया तेज कर दी है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, ToR को दो से तीन सप्ताह में नोटिफाई किया जाएगा और पैनल के अध्यक्ष और सदस्यों का नाम भी एक साथ घोषित किया जाएगा।

केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन/पेंशन में संशोधन हर दशक में होता है, जिसमें आर्थिक स्थिति, क्रय शक्ति यानी पर्चेजिंग पावर, कंजम्प्शन पैटर्न और कीमतों जैसे कई फैक्टर्स को ध्यान में रखा जाता है।

केंद्र सरकार, सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों और राज्य सरकारों सहित स्टेकहोल्डर्स के साथ परामर्श के बाद आयोग को अपनी रिपोर्ट तैयार करने के लिए कम से कम एक साल का वक्त दिया जा सकता है।

यह देखते हुए कि रिपोर्ट 2026 के मिड में करीब आएगी, वेतन/पेंशन संशोधन 1 जनवरी, 2026 से पूर्वव्यापी रूप से किया जाना चाहिए और कर्मचारियों को बकाया का भुगतान किया जाएगा। केंद्रीय वेतन आयोग (CPC) का गठन दशक में एक बार किया जाता है।

एक अधिकारी ने कहा, “आठवीं सीपीसी (8th CPC) के लिए नियुक्त किए जाने वाले ToR और सदस्यों पर पर्याप्त प्रगति हुई है। उम्मीद है कि इन्हें अगले 2-3 सप्ताह में अधिसूचित कर दिया जाएगा।” पिछले हफ्ते, व्यय विभाग (department of expenditure) ने 8वीं सीपीसी में प्रतिनियुक्ति के आधार पर 35 पदों को भरने के लिए एक वैकेंसी सर्कुलर निकाला था।

कब हुआ था 7th CPC का गठन

बता दें कि सातवें सीपीसी (7th CPC) का गठन 28 फरवरी 2014 को किया गया था। इस सीपीस की अध्यक्षता जस्टिस अशोक कुमार माथुर ने की थी और उन्हें अपनी रिपोर्ट सबमिट करने के लिए 18 महीने का समय दिया गया था।

1 जनवरी 2016 को लागू किए गए 7वें सीपीसी में केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन (वेतन और भत्ते) में 23.55% की वृद्धि और पेंशन में भी इतनी ही बढ़ोतरी हुई। वित्त वर्ष 2017 में अतिरिक्त भुगतान 1.02 लाख करोड़ रुपये या जीडीपी का 0.65% होने का अनुमान लगाया गया था, जिससे सरकार के लिए वित्तीय घाटे को वित्त वर्ष 2016 में 3.9% से घटाकर वित्त वर्ष 2017 में जीडीपी के 3.5% तक लाना मुश्किल हो गया।

जबकि पे पैनल से होने वाली वेतन वृद्धि, बड़े पैमाने पर कंजम्प्शन को बढ़ावा दे सकती है, इसकी सिफारिशें राज्य सरकारों, सार्वजनिक उपक्रमों और केंद्रीय विश्वविद्यालयों पर भी भारी बोझ डालती हैं, जो आयोगों से सिफारिश लेते हैं और समान वेतन संशोधन करते हैं।

8वीं सीपीसी से संबंधित, संभावित प्रभाव संभवतः नए मीडियम-टर्म के फिस्कल कंसोलिडेशन के साथ-साथ 16वें वित्त आयोग की सिफारिशों में भी बनाया जाएगा। 16वां वित्त आयोग वित्त वर्ष 2027 से शुरू होने वाले पांच वर्षों के लिए राज्यों को केंद्रीय करों और अनुदान के हस्तांतरण के लिए अपनी सिफारिशें देगा।

आपको बता दें कि आठवें पे पैनल अवार्ड से करीब 50 लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों (सुरक्षाबलों समेत) को फायदा होगा। इसके अलावा करीब 6.5 लाख पेंशनभोगियों (सुरक्षाकर्मियों समेत) की पेंशन में भी इजाफा होगा। राज्यों और यूटीएस के लाखों कर्मचारियों को भी फायदा होगा क्योंकि आम तौर पर, राज्य सरकार के कर्मचारियों को सीपीसी अवार्ड से उनके वेतन में वृद्धि होती है।

सातवें वेतन आयोग में कितना था फिटमेंट फैक्टर

7वें वेतन आयोग ने केंद्र के 50 लाख कर्मचारियों और 54 लाख पेंशनभोगियों के लिए मौजूदा वेतन बैंड और ग्रेड वेतन की जगह एक नया वेतन मैट्रिक्स प्रस्तावित किया था, जिसमें मासिक शुरुआती वेतन और महंगाई भत्ता (डीए) शामिल है। सैलरी की शुरुआत 18,000 रुपये प्रति माह और सबसे ज्यादा वेतन 2.5 लाख रुपये था।

यह मौजूदा शुरुआती वेतन 7,000 रुपये प्रति माह और डीए को छोड़कर 90,000 रुपये (निश्चित) के उच्चतम वेतन की तुलना में था, जो उस समय 119% था। इसने 3% की वार्षिक वृद्धि को भी बरकरार रखा और 2.57% के फिटमेंट फैक्टर की सिफारिश की, जिसे समान रूप से लागू किया जाएगा।

8वीं सीपीसी को भी बीच की अवधि के दौरान सीपीआई मुद्रास्फीति (CPI inflation) की गति को ध्यान में रखते हुए एक समान फिटमेंट फैक्टर का अनुमान लगाना पड़ सकता है।

उदाहरण के लिए, 2016-17 (7वें सीपीसी अवार्ड का पहला वर्ष) में केंद्र के राजस्व व्यय में बढ़ोतरी पिछले साल के 4.8% के मुकाबले 9.9% थी। 2026-27 में इस तरह की बढ़ोतरी का केंद्र के पूंजीगत व्यय की वृद्धि के लिए उपलब्ध राजकोषीय स्थान पर भी प्रभाव पड़ेगा।

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