नाथद्वारा
भौतिकता देखो, पूरा शहर दुल्हन की तरह सजाया हुआ : मोरारी बापू
Paliwalwaniनाथद्वारा : मोरारी बापू ने रामकथा के पहले व्यापीठ से दिन कहा कि यहां तीन समन्यवता है। भौतिकता देखो, पूरा शहर दुल्हन की तरह सजाया हुआ है। आधी दैविक, और मूल में आध्यात्म भी है। ये सब एक साथ यहां पर विद्यमान हुआ है, जिसके लिए मदन भईया आभारी हैं।
बापू ने कहा कि सत्य के लिए तीन जने चाहिए। मार्ग में आते समय मुझे साथ में बैठे रूपेश ने बताया कि सत्य के लिए दो जने होने चाहिए। बोलने वाला सत्य बोलता हो और सुनने वाला सत्य को स्वीकारता हो, यह सत्यता को प्रसारित करता है। फिर मैंने कहा कि एक गवाह भी चाहिए, जबकि प्रेम के लिए दो ही चाहिए राधा और कृष्ण। एकाकी नहीं रमते और करूणा के लिए एक महादेव चाहिए, जिसके चरणों में बैठकर इस कथा का संवाद रच रहे हैं।
हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें
बापू ने कहा कि हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें। इससे बल मिलेगा। न व्यक्ति, न समाज न राष्ट्र, न व्यक्ति निर्बल रहना चाहिए। इससे हमें बुद्धि प्राप्त होती है, इसका दुरुपयोग नहीं करेंगे। बापू ने कहा कि सबको विद्या चाहिए। जिनके पास विवेक नहीं है, तो विद्या से भी कई बाधाएं आती हैं। अत: हनुमान चालीसा का पाठ अवश्य करें। मैं पहले बहुत कहता था कि इतनी बार करो, परंतु अब मैं यह नहीं कहता कि कितनी बार करो। परंतु करो जरूर और जो नहीं कर पाए वो उनको ध्यान में भी ले लें तो भी चलेगा।
पत्रकारों से बातचीत में कहा कि देश में रामराज्य की स्थापना में रामकथा की भूमिका
रामकथा मर्मज्ञ शीतल संत मोरारी बापू ने रामकथा के नाथद्वारा में श्रीगणेश से पूर्व प्रभु श्रीनाथजी के के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि देश में रामराज्य की स्थापना में रामकथा की भूमिका के सवाल पर कहा कि इसमें मेरी कोई भूमिका नहीं हो सकती है। रामकथा की भूमिका अवश्य हो सकती है। रामराज्य भगवान राम ने स्थापित किया था, अब रामकथा रामराज्य स्थापित कर रही है।
प्रभु श्रीनाथजी की नगरी नाथद्वारा आगमन के बारे में पूछे गए प्रश्न पर प्रफुल्लित मुद्रा में कहा कि नाथद्वारा के बारे में क्या कहने साहब! यहां तो स्वयं ठाकुरजी बिराजमान हैं। बापू ने कहा, यह तो हरि-हर एक स्वरूप हो गया है, जहां श्रीजी बावा से मिलने स्वयं विश्वनाथ पधारे हैं। भविष्य के लक्ष्य के बारे में पूछने पर कहा कि राष्ट्र में रामकथा से अलख जगाने के अलावा मेरा कोई लक्ष्य नहीं है। इस दौरान संत कृपा सनातन संस्थान के ट्रस्टी मदन पालीवाल भी उनके साथ थे।