मुम्बई
‘धनुष-बाण’ चुराने वाले ‘‘चोर’’ को सबक सिखाएं : 2000 करोड़ खर्च कर हमसे छीना गया 'धनुष-बाण', जाएंगे सुप्रीम कोर्ट : संजय राउत
Paliwalwaniमुंबई :
शनिवार को उद्धव ठाकरे ने अपने समर्थकों से कहा कि वे पार्टी का चिह्न ‘धनुष-बाण’ चुराने वाले ‘‘चोर’’ को सबक सिखाएं. शिवसेना(यूबीटी) प्रमुख उद्धव ने उपनगर बांद्रा स्थित अपने आवास ‘मातोश्री’ के बाहर पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें चुनावों के लिए तैयारी शुरू कर देनी चाहिए. राज्य विधानसभा चुनाव अक्टूबर 2024 में होने हैं.
चुनाव आयोग के एक फैसले से महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों बवाल मचा हुआ है. एक तरफ जहां शिंदे गुट खुशी से समा नहीं रहा है. वहीं उद्धव गुट और उनके नेता चुनाव आयोग के साथ-साथ केंद्र सरकार को कोस रहे हैं. हाल ही में चुनाव आयोग ने शिवसेना का चुनाव चिन्ह और पार्टी का नाम शिंदे गुट को सौंप दिया, जिससे उद्धव गुट के नेता नाराज हो गए और तल्ख टिप्पणी करने लगे. इस बीच केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भी चुनाव आयोग के कदम को सही ठहराया तो उद्धव गुट के नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने टिप्पणी की.
संजय राउत ने कहा, ‘मैंने ट्वीट कर बताया है कि किस तरह से हमसे तीर-बाण चुनाव निशान और नाम छीनने के लिए 2000 करोड़ का लेन-देन हुआ है. यह मेरा आरोप है, जो गद्दार गुट के लिए एक विधायक 50-50 करोड़ का भाव लगाते है. ऐसे में पार्टी ने चुनाव निशान लेने के लिए जरूर इतनी रकम खर्च की होगी..यह मुझे भरोसा है.’ संजय राउत ने कहा कि कल सुप्रीम कोर्ट में हम चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ अपील दाखिल करेंगे.
संजय राउत ने कहा, ‘अमित शाह क्या बोलते है वो महाराष्ट्र ध्यान नही देता, जो सत्य को खरीदने का काम करते हैं वो झूठ और सच की क्या बात करते है. इसका निर्णय लेना का काम जनता के पास है और समय आने पर वो करेगी. फिलहाल अमित शाह पर ज़्यादा कुछ नही बोलूंगा.’ इसके अलावा संजय राउत ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट से क्लीन चिट देने का कारखाना खुला हुआ है. यह देश देख रहा है कि PM मोदी किस तरह से अपने एक दोस्त का साथ दे रहे हैं.’
बीते शनिवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शनिवार को पुणे दौरे के दौरान शिंदे गुट की पार्टी को शिवसेना नाम और तीर-कमान चिन्ह दिये जाने पर चुनाव आयोग के फैसला का स्वागत किया था. उन्होंने कहा था, ‘शुक्रवार को दूध का दूध और पानी का पानी हो गया. सत्यमेव जयते का सूत्र चरितार्थ हुई. जब कभी भी 2014 से 2022 के कालखंड का भारत की चुनी हुई सरकारों का इतिहास लिखा जाएगा तो स्वर्णिम अक्षरों से लिखा जाएगा.